अक्टूबर 2006 में ब्राण्डैस मिडिल ईस्ट रिव्यू और मिडिल ईस्ट फोरम ने मुझे विश्वविद्यालय में बोलने के लिए ब्राण्डैस बुलाया जिसे मैने तत्काल स्वीकार लिया। मेजबान और मैने 23 अप्रैल की तिथि निर्धारित की तथा ( यूरोप का इस्लामी करण ) विषय चुना और ऐसा प्रतीत हुआ मानों सब कुछ ठीक है।
परन्तु 23 जनवरी को पूर्व राष्टपति जिमी कार्टर ने ब्राण्डैस की यात्रा की और हार्वर्ड के कानून विभाग के प्रोफेसर एलेन डर्शोविजने से उनका हल्का वाद –विवाद हुआ और इसके बाद की प्रतिद्वन्द्विता के कारण विश्वविद्यालय में बन्द हो चुके विद्यार्थियों के विभाग की एक समिति को मध्य पूर्व वक्ताओं पर नजर रखने के लिए स्थापित कर दिया गया। (यह समिति Voices of of Palestine, की 2006के बसन्त में दिखने के बाद पहले से स्थापित एक समिति से ऊपर है) यद्यपि मेरा व्याख्यान यूरोप से सम्बन्धित है परन्तु इसे मध्य पूर्व की श्रेणी में माना गया और यह अब नई समिति की संस्तुतिके लिए प्रतीक्षारत है ।
यही अपने आप में काफी बुरा था परन्तु इससे भी बुरा जस्टिस में 6 फरवरी को विश्वविद्यालय के अध्यक्ष जेहुदा रेनहार्ज की यह टिप्पणी पढने पर लगा “मुझे इस बात का भय है कि ये लोग ( नार्मन फिन्केलस्टीन और मैं ) जिन्हे आमन्त्रित किया गया है, वे जनसंहारक हथियार हैं ।”
उसके बाद रेन हार्ज के प्रशासकीय सहायक जान हास ने इसकी व्याख्या की, “ये वे लोग हैं जिनका उद्देश्य भावनायें भड़काना है, इनका उद्देश्य बहस या शिक्षा से अधिक थियेटर में नाटक करना है। यदि छात्रों को नाटक चाहिए तो उनके लिए अच्छा है कि वे स्पिनगील्ड जायें। परन्तु आप गम्भीर बहस चाहते हैं तो ब्राण्डैस में पहले से तमाम स्रोत उपलब्ध हैं ।”
फिन्केलस्टीन के साथ किसी भी प्रकार की अपनी समानता पर मुझे घोर आपत्ति है। फिन्केलस्टीन ने यहूदी नरसंहार को एक अद्भभुत मृत बुराई मानकर उससे इन्कार किया है। इजरायल की तुलना नाजियों के साथ की है, जिनसे उनकी असहमति होती है उनकी तुलना वह नाजियों से कर देते हैं, हमास को न्यायसंगत ठहराते हुए मुसलमानोंके सेमेटिक विरोधी कृत्य के लिए उनके पास तर्क है। इस पैमाने पर वे और भी कहते हैं, “मुझे नहीं लगता कि नाजी नरसंहार के लिए यहुदी नेताओं में कोई गम्भीर वेदना है, क्योंकि उनके अनुसार इससे उनको लाभ हुआ है, उन्होंने इसे नरसंहार क्षतिपूर्ति रैकेट की संज्ञा दी है। उन्होंने यूरोप को ब्लैकमेल किया, अरबों डालर लेकर इन्होंने अपने बैंक, संगठन और जेबें भर ली ।” फिन्केलस्टीन के साथ जोड़ना रेनहार्ज की बौद्विक संभ्रमता को प्रकट करता है विशेषकर एक प्रमुख विश्वविद्यालय के अध्यक्ष को ऐसी बात के लिए क्षमा याचना करनी चाहिए।
रेनहार्ज और हासका वक्तव्य कुछ और प्रश्न भी खङे करता है – श्रीमान रेनहार्ज ठीक प्रकार से मै जनसंहारक हथियार कैसे हूँ और इस शब्दावली से आपका तात्पर्य क्या है ।
2- और श्रीमान हास क्या आपने इस पर दृष्टि डाली है कि मेरे भाषण से कौन उत्तेजित होता है। उदाहरण के लिए 31 जनवरी के इस्लामवादी उपद्रवियों के समूह को आप मेरी वेबसाइट की तीन वीडियो में देख सकते हैं । इस गुट के नेता ने मुझे बोलने से रोक कर इस पृथ्वी से इजरायल को नष्ट करने की बात की। आपके वक्ततव्य से मुझे आश्चर्य होता है कि आप मेरी ओर हैं या उनकी ओर ।
3-स्पष्ट रुप में ब्राण्डैस में उपलब्ध वे विद्वत स्रोत कौन से है, निश्चित रुप से हास सामयिक इस्लामी चिन्तन और चलन विषय के विश्वविद्यालय के अग्रणी विशेषज्ञ प्रोफेसर नताना डेलान्ग वास का संन्दर्भ दे रहे थे जो कि अनेक लेखों में अल- कायदा को पक्ष लेने वाले अपने मानसिक दीवालेयपन के कारण आलोचना के शिकार हो चुके हैं। या फिर वे खलील शिकाकी का सन्दर्भ रहे थे जिन पर आतंकवादियों से सम्बन्ध का आरोप लगा और जो फिलीस्तीनी जनमत के अपने विषय में गलत सिद्ध होते आये हैं ।
यदि व्यापक दृष्टि से देखा जाये तो हाल के वर्षों में जब इजरायल का विषय आता है तो ब्राण्डैस का रिकार्ड अत्यन्त निरशाजनक रहा है – जैसे Voices of Palestine की
प्रदर्शनी डीलान्ग बास और शिकाकी की सेवायें लेना, यहुदी विरोधी नाटककार टोनी कुशर को सम्मान में डिग्री देना, भ्रमित प्रोफेसर शाए फेल्डमैन को क्राउन सेन्टर का प्रमुख बनाना, इस्लामवादी (कमर अल हुदा ) को अपने यहाँ मुस्लिम धर्मस्थल में अनुमति देना तथा विदेश अध्ययन सम्पर्क के लिए ब्राण्डैस अल कट्स विश्वविद्यालय की स्थापना करना ।
दर्शकों से ब्राण्डैस को मुख्य रूप से उन लोगों से लाभ हुआ है जो इजरायल की सुरक्षा और कल्याण के लिए चिन्तित हैं। दुख की बात है कि रेनहार्ज के नेतृत्व में उसका रिकार्ड इन वर्षों में इतना भ्रमित हुआ कि पहले ही एक वर्ष पूर्व जिओनिस्ट आर्गनाइजेशन आफ अमेरिका ने दान दाताओं से ब्राण्डैस को दी जाने वाली सहायता पर पुनर्विचार का आग्रह किया है । जब तक वे विश्वविद्यालय के अध्यक्ष बने रहेगें तब तक मुझे सलाह की ध्वनि आती रहेगी ।