पिछले सप्ताह मैं खतरा संकेतित करने वाला (Whistleblower) बना. (मेरियम वेबस्टार के अनुसार Whistleblower वह है जो किसी संगठन के भीतर की गड़बड़ को सार्वजनिक रूप से लोगों के समक्ष या अधिकार सम्पन्न लोगों के समक्ष प्रकट करता है).
इस भूमिका की मैंने अपेक्षा नहीं की थी, परन्तु जब करदाताओं के धन से आर्थिक सहायता प्राप्त वाशिंगटन डी.सी के संगठन अमेरिकी शान्ति संस्थान ने मुझे ऐसे गुट के साथ कार्यक्रम आयोजित करने को कहा जो कट्टरपंथी इस्लाम के साथ निकटता से जुड़ा है तो मुझे यह भूमिका लेने को विवश होना पड़ा. यह गुट वशिंगटन स्थित सेन्टर फार स्टडी आफ इस्लाम एण्ड डेमोक्रेसी है और यह कार्यक्रम मेरे अथक विरोध के बाद भी 19 मार्च को आयोजित एक कार्यशाला थी.
सेन्टर फार स्टडी के अधिकांश मुस्लिम सदस्य अतिवादी हैं. इनमें से एक व्यक्ति कामरान बुखारी को मैं विशेष रूप से अमेरिकी शान्ति संस्थान के संज्ञान में लाया. कामरान सेन्टर फार स्टडी का सहयोगी सदस्य है जिसके बारे में इस संगठन के निदेशक मण्डल की राय है कि वह अच्छी प्रतिष्ठा वाला व्यक्ति है. संगठन का सहयोगी होने के नाते वह सेन्टर फार स्टडी के निदेशक मण्डल के चुनावों में भी भाग ले सकता है. संक्षेप में वह सेन्टर फार स्टडी का अभिन्न अंग है.
बुखारी ने वर्षों तक पश्चिम के सबसे कट्टरपंथी इस्लामवादी संगठन अल मुहाजिरोन के उत्तरी अमेरिका के प्रवक्ता के रूप में भी कार्य किया है. उदाहरण के लिये इस संगठन ने 11 सितम्बर की पहली वर्षगाँठ को इतिहास का शीर्ष दिवस बताकर उल्लास मनाया और दूसरी वर्षगाँठ को शानदार 19 की संज्ञा दी. इसकी वेबसाइट पर भी अमेरिका की कैपिटोल इमारत को ध्वस्त होते चित्रित किया गया है.
अल मुहाजिरोन की बुराई केवल शब्दों और चित्रों तक ही सीमित नहीं है. लन्दन स्थित इसके नेता उमर बिन बकरी ने कश्मीर, अफगानिस्तान और चेचन्या जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में लड़ने के लिये जिहादियों की भर्ती करना भी स्वीकार कर चुका है. अल मुहाजिरोन का कम से कम एक सदस्य आत्मघाती आतंकवादी आक्रमण के लिये इजरायल गया था. अल मुहाजिरोन 11 सितम्बर के एक अपहरणकर्ता हानी हन्जोर से सम्बद्ध भी प्रतीत होता है.
अमेरिकी शान्ति संस्थान के अप्रत्यक्ष रूप से अल मुहाजिरोन से सम्बन्ध खतरनाक परिणामों वाला सिद्ध हो सकता है. इसका सर्वाधिक गम्भीर परिणाम अमेरिकी शान्ति संस्थान द्वारा बिना जाने बुखारी और सेन्टर फार स्टडी को प्रदान की जाने वाली मान्यता है जिससे अतिवादियों को नरमपंथी के रूप में आगे बढ़ने की अनुमति प्रदान की जा रही है. इस मान्यता के आधार पर यह अनुमान कर लिया जाता है कि अमेरिकी शान्ति संस्थान ने सेन्टर फार स्टडी के साथ कार्य करने से पूर्व उसकी विधिवत जाँच कर ली है. परन्तु अमेरिकी शान्ति संस्थान ने ऐसा कुछ भी नहीं किया है.
जब शान्ति संस्थान के नेतृत्व ने सेन्टर फार स्टडी के साथ कार्य करने पर जोर दिया तो ऐसा लगा कि इसने इसके परिणामों की भी व्याख्या की, प्रासंगिक सरकारी संगठनों और विश्वसनीय गैर-सरकारी संगठनों से विचार किया तथा प्रशासन द्वारा समर्थित उपयुक्त संगठनों के साथ सार्वजनिक रूप से आर्थिक सहायता प्राप्त कार्यक्रमों के आयोजन के लिये पात्र पाया. नौकरशाहों ने तो कहा कि सेन्टर फार स्टडी के साथ अन्य लोगों ने कार्य किया है तो हम क्यों न करें.
परन्तु इस प्रकार एक दूसरे के पाले में गेंद डालने का अर्थ है कि किसी ने भी आवश्यक छानबीन नहीं की और प्रत्येक संगठन अपने से पूर्व की सूचनाओं पर निर्भर रहा. इस प्रकार कभी बन्द कमरे में रहा अप्रतिष्ठित संगठन सेन्टर फार स्टडी मुख्यधारा में अपना स्थान बनाने में सफल रहा. या फिर ऐसा ही चलता रहेगा कि जब तक इसकी वास्तविक पहचान स्पष्ट नहीं हो जाती. बार-बार अमेरिकी सरकार की शाखाओं ने जिहादी इस्लाम की ओर से आँखें मूंदने के कारण स्वयं को विचित्र स्थिति में पाया है.
राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी से पूछिये जिसने एक ऐसे इस्लामवादी के साथ हँस-हँसकर चित्र खिंचाया जिसे बाद में आतंकवादी गतिविधियों के लिये जेल भेजा गया.
अमेरिकी सेना से पूछिये जिसने जिहाद से जुड़ी आपराधिक गतिविधियों में कम से कम सात इस्लामवादियों को गिरफ्तार किया.
न्यूयार्क के कारावास ढाँचे से पूछिये जिसकी आँख तब खुली जब उसे पता चला कि जेल की कुछ धार्मिक शाखाओं में घोषणा की गयी है कि 11 सितम्बर की घटना बुरे लोगों के लिये ईश्वर का दण्ड थी.
बोस्टन के मेयर से पूछिये जिसने इस्लामिक सोसायटी आफ बोस्टन को बाजार की कीमत से 10 प्रतिशत कम कीमत में भूमि उपलब्ध करायी जिसे बाद में पता चला कि उसका सम्बन्ध जिहादी संगठन से है जिसका अमेरिका में प्रवेश प्रतिबन्धित है. दूसरा संघीय जेल में है और तीसरा इजरायल पर आत्मघाती आक्रमणों की प्रशंसा करता है. इन सबमें एक शिक्षा समान है कि प्रत्येक सरकारी संस्था को अपना शोध कराना चाहिये.
आतंकवाद के विरूद्ध युद्ध में पुलिस और सेना को तैनात करना ही पर्याप्त नहीं है, यह मानना भी आवश्यक है कि उन्हें भी अस्वीकार किया जाये जिनके विचार बीच-बीच में हिंसा का मार्ग प्रशस्त करते हैं. अमेरिका की सरकार को बीच में ही उन तत्वों के प्रति सावधान होना होगा जिनका आतंकवाद के विरूद्ध युद्ध में लगाव दूसरी ओर है.
अमेरिकी शान्ति संस्थान का उत्तर
विषय-सेन्टर फार इस्लाम एण्ड डेमोक्रसी
द्वारा-के किंग
को-अ ब स
प्रेषण तिथि-बुधवार, 31 मार्च , 2004
प्रिय अ ब स,
डा. रिचर्ड सोलोमन ने मुझे 19 मार्च को सेन्टर फार इस्लाम एण्ड डेमोक्रसी के साथ मिलकर इज्तिहाद- 21वीं शताब्दी के सिद्धान्तों की पुनर्ब्याख्या विषय पर आयोजित होने वाली कार्यशाला के सम्बन्ध में आपका ई-मेल भेजा और उत्तर देने को कहा. इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्त्रियों की दशा, मुस्लिम विश्व में लोकतन्त्र की भूमिका और अन्तर्धार्मिक सम्बन्धों पर पड़ने वाले प्रभावों के बीच 21 वीं शताब्दी में जीवन में इस्लाम को स्वीकार करने में उत्पन्न मुख्य बाधाओं पर चर्चा करते हुये नरमपंथी इस्लामी एजेण्डे को आगे बढ़ाने के लिये इस्लाम के सुधार के लिये प्रतिबद्ध मुस्लिम विद्वानों को अवसर प्रदान करना है. पैनल में सम्मिलित स्थापित और अति सम्मानित नरमपंथी मुस्लिम विद्वानों ने अत्यन्त विचारपूर्ण और सुधारवादी विचार रखे. हम आपको यह कार्यक्रम अपनी वेबसाइट पर देखने को आमन्त्रित करते हैं.
संस्थान ने सेन्टर फार स्टडी और कुछ वक्ताओं पर लगाये गये आरोपों को अत्यन्त गम्भीरता से लिया है. इन आरोपों की जाँच प्रतिष्ठित व्यक्तियों और अमेरिका की सरकारी एजेन्सियों से सवधानीपूर्वक कराई गयी और इनमें कोई सच्चाई प्राप्त नहीं हुई. सेन्टर फार स्टडी तथा वक्ताओं की सार्वजनिक आलोचना सन्दर्भ से काट कर प्रस्तुत किये गये उद्धरणों , संगठन के साथ सम्बन्ध, तथ्यों की भूल और अप्रत्यक्ष टिप्पणियों पर आधारित है.
आमन्त्रित किये गये वक्ताओं की आतंकवाद का विरोध करने, मुस्लिम विश्व में लोकतन्त्र की वकालत करने और नरमपंथी इस्लामी दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका है. एक वक्ता डा. मुजम्मिल सिद्दीक को 11 सितम्बर की घटना के बाद राष्ट्रपति बुश ने वाशिंगटन के नेशनल कैथेड्रल में आयोजित अन्तर्धार्मिक प्रार्थना में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करने के लिये आमन्त्रित किया था. वे कैथोलिक विशपों के अमेरिका सम्मेलन में कैथोलिक व मुस्लिम संवाद में अग्रणी मुसलमान थे और इसके साथ ही अनेक अन्तर्धार्मिक प्रकल्पों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहते हैं.
इस कार्यक्रम के सह आयोजक सेन्टर फार स्टडी को राज्य विभाग तथा नेशनल एन्डाउमेन्ट फार डेमोक्रेसी के वरिष्ठ अधिकारियों ने मुस्लिम देशों में लोकतन्त्र की स्थापना तथा इस्लामी सुधार को आगे बढ़ाने के लिये समर्पित संगठन की संज्ञा दी है. इस संगठन ने अरब तथा मुस्लिम विश्व में सर्वत्र तानाशाही का विरोध किया है.
जहाँ तक कामरान बुखारी का सम्बन्ध है तो इस व्यक्ति ने 19 मार्च की कार्यशाला में भाग नहीं लिया था. उसने सेन्टर फार स्टडी में शामिल होने से पूर्व पाँच वर्ष पहले अल मुहाजिरोन से सम्बन्ध तोड़ लिये थे और सार्वजनिक रूप से आतंकवाद तथा राजनीतिक हिंसा की निन्दा की थी.
यह संस्थान प्रशासन के आग्रह और कांग्रेस की मान्यता से एक ओर अमेरिका में परस्पर सम्बन्धों तथा दूसरी ओर मुस्लिम विश्व के विविध देशों के मध्य परस्पर सम्बन्धों से जुड़े समस्त विषयों पर प्रकाश डालता है. संस्थान का कार्यक्रम किसी विशेष दृष्टिकोण को आगे नहीं बढ़ाता. हमारे कार्यक्रमों के द्वारा विभिन्न दृष्टिकोणों को एक साथ लाया जाता है ताकि नाजुक विषयों को रेखांकित कर नीति निर्माताओं का मार्गदर्शन किया जा सके. इस बात की सीमायें हैं कि हम किन लोगों को संस्थान के मंच का उपयोग करने देंगे. हिंसा की वकालत करने वाले उनमें से हैं जिन्हें मंच प्रदान नहीं किया जायेगा. एक बार फिर अपनी चिन्ताओं से हमें अवगत कराने के हम आपकी सरराहना करते हैं.
के किंग
निदेशक, कांग्रेस और जन मामले
अमेरिका शान्ति संस्थान