डेट्रायट क्षेत्र के इस्लामी संगठन द इन्स्टीट्यूट फार पालिसी एण्ड अन्डरस्टैंडिग ने ‘A Portrait of Detroit Mosques: Muslim Views on Policy, Politics and Religion’ शीर्षक से 6 अप्रैल 2004 को डेट्रायट के मुसलमानों के सम्बन्ध में एक सर्वेक्षण जारी किया. केन्टोकी विश्वविद्यालय में इस्लामी विषयों के सहायक प्रोफेसर इहसान बागबी द्वारा लिखित यह सर्वेक्षण 2003 के मध्य में सम्पादित हुआ था. प्रायोजक संगठन के अनुसार सर्वेक्षण का मुख्य थीसिस यह है कि नीति, राजनीति और धर्म के सम्बन्ध में अमेरिका के मुसलमानों की बड़ी संख्या नरम है. बागबी ने एक समाचार पत्र में साक्षात्कार में सर्वेक्षण के निष्कर्षों पर कहा कि ‘मस्जिद समुदाय कट्टरपंथ का स्थान नहीं है’
बागबी के अध्ययन को मीडिया ने निष्पक्ष रूप से स्थान दिया और कुछ शीर्षकों ने अपने कर्तव्य का पालन करते हुये आधिकारिक ढंग से कुछ बातें कहीं-
- डेट्रायट फ्री प्रेस- मुसलमानों का लक्ष्य सक्रिय होना और नरम होना है.
- डेट्रायट न्यूज- महानगरीय मुसलमान कट्टरपंथ को नकारते हैं. अध्ययन से पता लगता है कि अधिकांश मुसलमान नरमपंथी हैं और आत्मसात् होना चाहते हैं.
- स्क्रिप्स हावर्ड न्यूज सर्विस- सर्वेक्षण ने पाया कि मुसलमान नरम हैं
इसके अतिरिक्त इस अध्ययन के पहले अमेरिका के अग्रणी उग्रवादी संगठन काउन्सिल आन अमेरिकन इस्लामिक रिलेशन्स ने अपनी वेबसाइट पर परिणाम जारी कर दिये और इसके प्रवक्ता इब्राहिम हूपर ने बागबी के तथाकथित परिणामों का उपयोग करने में कोई हिचक नहीं दिखाई. एक लेख ने उसे कहते हुये लिखा, ‘ डेट्रायट के मस्जिद के नेताओं का यह सर्वेक्षण अमेरिका के मुसलमानों का मूल रूप में नरम होने का उदाहरण है’
परन्तु क्या वास्तव में परिणाम ऐसा कहते हैं निश्चित रूप से नहीं. बागबी के परिणाम कुछ संकेत करते हों परन्तु कुछ स्पष्ट आंकड़े नरमपंथ के बारे में कुछ और ही कहते हैं-
- 67 और 33 के अनुपात से अमेरिका के मुसलमान सोचते हैं कि अमेरिका अनैतिक है.
- 90 प्रतिशत मुसलमान वैश्विक स्वास्थ्य सेवा के पक्षधर हैं.
- कुल 79 प्रतिशत अल्पसंख्यकों के लिये सकारात्मक कार्रवाई के पक्षधर हैं.
- राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश के कार्य के सम्बन्ध में पूछे जाने पर 85 प्रतिशत मुसलमानों ने इसे नकार दिया और 4 प्रतिशत ने ही इसके प्रति सकारात्मक उत्तर दिया.
टिप्पणियाँ- एक सप्ताह पूर्व यूरोप में Manifestations of Antisemitism in the EU 2002-2003 की रिपोर्ट में हमने पाया कि किस प्रकार प्रायोजकों ने वास्तविक परिणामों को छुपाने के लिये शोध को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया. यह बौद्धिक छल और राजनीतिक धोखा है.
2- इस सर्वेक्षण के परिणामों पर सन्देह करने के अनेक कारण हैं जिसकी सर्वेक्षण पद्धति काफी कुछ अवैज्ञानिक दिखती है. हमें बताया गया कि डेट्रायट महानगर की बारह मस्जिदों में प्रश्नावली वितरित की गई जिसे कोई भी प्राप्त कर सकता था और 2003 के ग्रीष्म काल में मस्जिद में आने वाले 1300 लोगों ने प्रश्नावली भरी. कुछ उत्तरों ने विशेषकर 81 प्रतिशत लोगों द्वारा मुस्लिम बहुल क्षेत्र में शरियत लागू करने का समर्थन इस बात का प्रमाण है कि मस्जिद में जाने वाले मुसलमानों के विचार सामान्य मुसलमानों से अलग हैं. इसलिये मुस्लिम विचार उतने भी गैर नरम नहीं हैं जैसा बागबी बताते हैं.
3- इसके अतिरिक्त बड़ी मात्रा में ऐसे साक्ष्य हैं जो संकेत देते हैं कि अमेरिका में रहने वाले मुसलमानों के विचार अमेरिका की सामान्य जनसंख्या से भिन्न हैं. इसका उदाहरण सी.ए.आई.आर ने स्वयं दिया है. अन्य आंकड़े स्वयं मर्ज का इलाज हैं या सर्वेक्षण शोध से निकलकर आते हैं. दूसरे शब्दों में डेट्रायट मुसलमानों के सम्बन्ध में बागबी का अध्ययन अमेरिकी मुसलमानों के मध्य अमित्रवत और कट्टरपंथी राजनीतिक विचारों को स्थापित करने की परिपाटी को पुष्ट करता है. एक बार फिर आश्वस्त किया जायेगा कि ऐसा नहीं है परन्तु समस्या विद्यमान है और यह मानना कि ऐसा नहीं है इसका समाधान नहीं है, इस समस्या का समाधान किया जाना चाहिये.