तारिक रमादान ने मुझ पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है, जिसे मैने काफी गम्भीरता से लिया है। परन्तु जैसा अधिनायकवादियों और इस्लामवादियों के साथ प्राय़ः होता है कि आरोपी स्वयं आरोप लगाता है ।
20 जनवरी, 2007 को लन्दन के मेयर केन लिविंगस्टोन के साथ मेरी परिचर्चा में तारिक रमदान ने श्रोताओं की भीड़ में बैठकर नरमपंथी इस्लाम के विकास में पश्चिम से सहयोग के मेरे आह्रवान को सुना था। मेयर को सम्बोधित करते हुए मैंने कहा था कि नरमपंथी इस्लाम के उद्देश्य की प्राप्ति आप द्वारा प्रस्तावित बहुलवादी संस्कृति से नहीं वरन् विश्व स्तर पर अपने सभ्य सहयोगियों और विशेषकर सउद अरब में उदारवादियों,ईरानी विद्रोहियों और अफगानिस्तान में सुधारदियों के साथ मजबूती से खडे होकर ही प्राप्त की जा सकती है। मैने इस सम्बन्ध में पश्चिम के कुछ सहयोगियों के नाम भी गिनाये थे जैसे इटली के मिस्र मूल के अग्रणी पत्रकार मगदी आलम, डेनमार्क के सांसद नसीर खादर, कनाडा के प्रोफेसर और लेखक सलीम मन्सूर तथा यहाँ ब्रिटेन में एक कार्यकर्ता इरफान अल अलावी ।
उसी दिन के दूसरे पैनल में, “क्या यहाँ इस्लामी खतरा है” ,विषय पर परिचर्चा में मैं स्वयं उपस्थित न हो सका परन्तु मुझे लोगों ने बताया और कैरोल गोल्ड ने इस सम्बन्ध में लिखा भी कि रमादान ने मगदी का नामोल्लेख करने पर मेरे ऊपर प्रहार किया। एक इस्लाम वादी प्रकाशन the Muslim weekly के 9 फरनरी के अंक में मोजम्मिल हक ने ऐसी रिपोर्टों की पुष्टि भी की। कुछ आवश्यक अंशों को उसी रुप में उद्धत किया जा रहा है ।
“प्रातः काल नरमपंथी मुसलमान विषय पर डेनियल पाइप्स बोले और इस क्रम में उन्होने मिस्री कास्ट को नरमपंथी मुसलमान बताया। प्रोफेसर रमदान ने कहा ‘’ जो तथ्य उन्होने बताया वह गलत है। वह एक मिस्री ईसाई है। परन्तु उन्होने अरब नाम धारण कर रखा है”।
यहाँ दो आरम्भिक बिन्दु ध्यान देने योग्य है -1- रमादान ने यह नहीं कहा कि आलम की पहचान मुसलमान के रुप में करने में मुझे धोखा हुआ वरन् कहा कि मैं झूठ बोल रहा हूँ। अन्तर्निहित था कि मै पहले से जानता था कि आलम ईसाई हैं परन्तु छलपूर्वक उन्हें मुसलमान बताया। 2 – वास्तव में आश्चर्यजनक है। लन्दन की अपनी परिचर्चा में या अन्य कहीं भी मैंने आलम का उल्लेख मुसलमान के रुप में नहीं किया – वरन् उन्हें सभ्य सहयोगियों में से एक बताया। रमादान ने अनावश्यक रूप से आलम के धार्मिक लगाव को अप्रत्यक्ष तरीके से मेरी बात बता दिया ।
मगदी आलम ने कोरियर डेली सेरा समाचार पत्र के अग्रणी व्यक्ति के रुप में अपने धार्मिक लगाव के सम्बन्ध में कहा ( इस सूचना के लिए मैं लोरेन्जो विडिनों का आभारी हूँ )। आलम ने एक आत्मकथा ( भय को परास्त करनाः मुस्लिम आतंक-वाद और पश्चिमी मूर्छा ) 2005 में प्रकाशित आत्म कथा में उन्होनें विस्तार से मिस्र में अपने बचपन के सम्बन्ध में लिखा कि वे ऐसे माता – पिता से जन्मे जिनकी पहचान मुसलमान के रुप में थी और वह मुसलमान के रुप में ही बड़े हुये । कुछ उद्धरण इस बिन्दु को पुष्टि करते हैं –
“इस्लाम जिसमें मै रहा हुँ और जिस इस्लाम में मै पैदा हुआ और पला बढ़ा हूँ ” पृष्ठ 27
“मेरी माँ जो सदैव एक धार्मिक मुसलमान थी” पृष्ठ – 32
“मेरे माता - पिता दोंनों मुसलमान थे और दोनों के ईश्वर एक थे तथा दोनों के मूल्य और संस्तॉकृतियाँ भी समान थी” पृष्ठ 37
इटली आने के बाद बेहतर अनुभव करने के लिए आलम ने ईसाइयत स्वीकार करने का विचार किया परन्तु उन्होने ऐसा कदम कभी उठाया नहीं। काप्ट के साथ उनका कोई सम्बन्ध नहीं है। आलम की आत्मकथा की प्रस्तावना में प्रकाशक ने आलम के स्वप्रस्तुतीकरण को संक्षेप में बताया है “,मगदी आलम ने अपना वर्णन एक सेक्यूलर मुसलमान के रुप में किया है जो नसीर के मिस्र में पैदा हुआ और पला बढा ।”
फिर आलम के काप्ट होने सम्बन्धी रमादान का आरोप किस ओर से सही सिद्ध होता है।
ऐसा मिस्र मूल के दोनों यूरोपवासियों के मध्य वैमनस्य के कारण। उदाहरण के लिए आलम की आत्म कथा में जोडा गया है, रमादान के नाम खुला पत्र । इस पत्र में आलम ने रमादान को एक कट्टरपंथी के रुप में अनावृत किया है और चूंकि आलम ने रमदान के साथ आने से इन्कार कर दिया इस कारण इस पत्र को PEN America Centre
द्वारा पुरस्कार भी नहीं मिला ।
रमादान के इस दावे के साथ उनके कुछ सहयोगी भी हैं। इटली में यूनियन आफ द कम्युनिटीज एण्ड आर्गनाइजेशन्स मुस्लिम्स इन इटली और एक मिगुल मार्टिनेज जो कि समालोचक हैं और आलम तो प्रतिष्ठित करने व उनकी छवि खराब करने में लगे हैं ।
कम से कम आलम को काप्ट सिद्ध करने से उनकी महत्वपूर्ण इस्लामवाद विरोधी अवाज और तीखी होती है और अधिक से अधिक इस्लाम के द्रोही के रुप में उनकी पहचान करने से उनकी जान को खतरा उत्पन्न होता है।
वैसे यह कोई छुपा तथ्य नहीं है कि आलम राज्य द्वारा प्रदत्त सतत चौकस अंगरक्षकों के बिना कही नहीं आते – जाते। रमादान को इस बात के लिए सदैव शर्मिन्दा होना चाहिए कि ऐसे रचनात्मक और बहादुर मुस्लिम चिन्तक के लिए वे खतरा पैदा कर रहे हैं ।
तो पुनरीक्षण के तौर पर मगदी आलम मुसलमान के रुप में पैदा हुए, मुसलमान के रुप में पले – बढ़े और आज उनकी पहचान मुसलमान के रुप में हैं। परन्तु रमादान उन्हें ईसाई कहते हैं। मै आलम के साथ खड़ा हूँ। रमादान कहते है कि “मै झूठा हुँ” । प्रिय पाठकों आप यहाँ किसे झूठ मानेगें ।
आप के संकेत के लिए बता दें कि रमदान ने पहली बार सार्वजनिक रुप से सत्य को जटिल नहीं बनाया है, पहली बार इजरायलवासियों की हत्या को न्याय संगत ठहराने में जिसमें मुकरने पर भी टेप में आवाज पकड़ी गई और दूसरा दो बार कहना कि उन्हें अमेरिका से बाहर करने में मेरा हाथ है फिर सार्वजनिक रूप से कहना कि ऐसा कुछ कहा ही नहीं