एक उदाहरण प्रस्तुत है। जिसमें मैं स्वयं व्यक्तिगत रूप में शामिल हूँ कि किस प्रकार कट्टरपंथी वाममार्गी और इस्लामवादी आपस में गहरे मित्र हैं और मिलकर धोखा देते हैं।
यह मामला हाउस आफ टिप्रजेन्टेटिव द्वारा पारित किये गये अधिनियम से सम्बन्धित है। जिसे आम तौर पर H. R. 3077 के नाम से जाना जाता है और जो सीनेट में पारित होने के लिए प्रतीक्षारत है। इस अधिनियम के अन्तर्गत विश्वविद्यालय स्तर पर मध्य पूर्व के अध्ययन के लिए प्रतिवर्ष खर्च होने वाली करदाताओं के 100 मिलियन डालर की धनराशि की पुनर्समीक्षा की जानी है।
इस बोर्ड की आवश्यकता दो कारणों से है – मध्य पूर्व के अध्ययन का कार्य एक असफल क्षेत्र सिद्ध हुआ है जहाँ आर्थिक सहायता प्राप्त करने वाले अकादमिकों का कोई उत्तरदायित्व नहीं होता।
11 सितम्बर 2001 को अमेरिका पर हुए आक्रमण के पश्चात विदेशी भाषाओं और सांस्कृतिक हुनर सीखने के लिए कांग्रेस ने इस सब्सिडी को 26 प्रतिशत बढ़ा दिया था। उसके बाद भी अनेक विश्वविद्यालयों ने इस भूमिका को अदा नहीं किया है और वे एक जासूस के रुप में ही पशिक्षण दे रहे हैं ।
2001 में मार्टिन क्रामर ने अपनी पुस्तक Ivory Towers and sand पुस्तक लिखकर इस मामले में कांग्रेस से हस्तक्षेप की माँग की। जून 2003 में हाउस के साथ एक मुख्य गवाही में स्टेन ली कुट्र्ज ने यह विचार उठाया ।
“इस सलाहकार बोर्ड में मेरी भूमिका”, 8 आठ माह पहले यह शब्द इस आशा के साथ लिखा गया कि इसमें बोर्ड में कुछ उत्तरदायित्व की भावना आयेगी जिससे कांग्रेस को अपना उद्देश्य प्राप्त करने में आसानी होगी । सीनेट द्वारा H .R . 3077 पास होते समय ऐसी आशा रखते हुए मैंने न तो इस बिल की प्रशंसा की और न ही इसके पक्ष में लाबिंग की।
यह तो एक रिकार्ड है। परन्तु रास्ते में केवल तथ्य ही होने चाहिए ? वामपंथियों और इस्लामवादियों ने यह सोचकर कि H . . R. 3027 में मेरी ब्यक्तिगत पहल बताकर उसे सीनेट में परास्त कर सकने की अपेक्षा से मेरी काल्पनिक भूमिका बनाई ।
अमेरिकन सिबिल लिबर्टीज यूनियन ने मुझ पर आरोप लगाया कि मैं सरकारी सहायता का उपयोग अकादमिकों पर अपनी बात थोपने के लिए करता हू ।
अमेरिका अरब भेदभाव विरोधी समिति ने अपना शीर्षक दिया “पाइप्स और बडे भाई के द्वारा अकादमिक स्वतन्त्रता खतरे में है ।”
काउन्सिल आन अमेरिकन इस्लामिक रिलेशन्स ने कहा कि मै सलाहकार बोर्ड के लिए अत्यन्त सक्रिय रुप से प्रयासरत हूँ ।
इस धोखेबाजी से परिसर के समाचार पत्रों कोलम्बिया, सी. यू. एन. वाई, स्वार्थमोर और येल ने मुझे बिल के साथ सम्बद्ध किया। इसी का अनुसरण शहर के समाचार पत्रों बर्कशायर ईगल और ओरेजोनियन तथा बेबसाइटों ने भी किया ।
इन लोंगों ने सलाहकार बोर्ड की सफलता की सम्भावना को लेकर प्रकट किये गये मेरे सन्देह पर ध्यान नहीं दिया। यह सांकेतिक रूप से महत्वपूर्ण है और यह समस्याओं पर प्रकाश डाल सकता है। परन्तु समस्या का पूरी तरह समाधान करने में यह सक्षम नहीं होगा ।
मै ऐसा इसलिए कह रहा हूँ कि अन्य संघीय बोर्डों की तुलना में यह सलाहकार बोर्ड है और इसके पास सुपरवाइजर के अधिकार नहीं हैं इसी के साथ इसकी शक्तियाँ भी सीमित हैं और पाठ्यक्रम पर ध्यान देने को लेकर इस पर नियन्त्रण हैं। प्रोफेसर आर्थिक सहायता की परवाह किये बिना एक पक्षीय पाठ्यक्रम पढ़ा सकते हैं। अधिक विस्तार से क्या कहें तो सामान्य तौर पर ऐसे संघीय बोर्ड बहुत कम ही कुछ सफल होते हैं, मैं दो अन्य बोर्डों के साथ बैठा हूँ और मुझे लगा कि उनके पास असुविधाजनक अफसशाही का ढाँचा है जिसका बहुत कम प्रभाव है ।
तथा क्या नया बोर्ड चीजों को कुछ बदल पायेगा ? निश्चित रुप से परन्तु कांग्रेस को कुछ क्रांन्तिकारी समाधानों को ध्यान में रखना होगा। एक तो यह कि 11 सितम्बर के आक्रमण के पश्चात विश्वविद्यालयों में क्षेत्रों के अध्ययन पर दी जाने वाली 20 मिलियन डालर की सहायता राशि समाप्त कर आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध में संसाधन केन्द्र विकसित करने पर जोर दिया जाना चाहिए उग्रवादी तथा इस्लाम पर विशेष ध्यान देते हुए क्षेत्रीय जानकारों को इसके साथ मिला देना चाहिए ।
एक दूसरा समाधान यह है कि क्षेत्रीय अध्ययन के लिए दी जाने वाली सहायता राशि पूरी तरह बन्द की जाये। इस कदम से विश्वविद्यालयों में विदेशी संस्कृतियों के अध्ययन पर विरला ही प्रभाव पडेगा क्योंकि 100 मिलियन डालर की संघीय राशि अनेक केन्द्रों के कुल बजट का 10 प्रतिशत हो जाता है और वे इस राशि को ब्यक्तिगत स्रोत से भी उगाह सकते हैं परन्तु ऐसा करने से एक कठोर सन्देह हो जायेगा कि अमेरिका के कर दाता किसी कम गुणवत्ता कार्य के लिये पैसा खर्च करने को तैयार नहीं हैं। इससे युवा विद्वानों को प्रोत्साहन मिलेगा कि अपने नये प्रयासों के द्वारा वे पुन: लोगों का विश्वास अर्जित कर सार्वजनिक धन प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।
यदि सलाहकार बोर्ड उपयुक्त समाधान नहीं है तो मेरी दृष्टि में उच्च शिक्षा लाबी को कुछ समय के लिये इसका अधिकार दिया जाना चाहिये। मैं H.R 3077 को एक अवसर देने के पक्ष में हूँ और इसके लिये कांग्रेस और लोगों में जनमत बनाने का आग्रह करूँगा । तब मेरे विरोधियों को पता चलेगा कि कांग्रेस को एक समाधान के साथ सक्रिय रूप से कार्य करने का क्या असर होना है।