मलेशिया के प्रधानमन्त्री महाथिर मोहम्मद ने इस माह अन्य चीजों के अतिरिक्त विश्व को बताया कि, “यहूदी इस विश्व पर परोक्ष रूप से शासन कर रहे हैं। वे अपने लिये दूसरों को लड़वा रहे हैं और मरवा रहे हैं”। अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार कोण्डोलेजा राइस ने महाथिर के वक्तव्य को घृणित और आक्रोशित करने वाला बताया, परन्तु उन्होंने यह भी जोड़ा “मुझे नहीं लगता यह मुस्लिम विश्व को परिलक्षित करता है”। इस मामले में तो अकेले वही सही हो सकती हैं।
वास्तव में तो यहूदियों के सम्बन्ध में महाथिर का दृष्टिकोण मुसलमानों की भावना का प्रतीक है और इसका प्रतीक 57 राष्ट्रों के नेताओं द्वारा महाथिर के वक्तव्य पर तालियों से किया गया उनका स्वागत है। जब पश्चिम के नेताओं ने महाथिर के वक्तव्य की निन्दा की तो एक सउदी समाचार पत्र ने लिखा कि मुस्लिम नेताओं ने अपने मतभेद भुलाकर उनकी प्रशंसा की।
यद्यपि मुसलमानों के मध्य यहूदी विरोधी भावना सदियों पुरानी है, परन्तु वर्तमान शत्रुता के पीछे दो प्रमुख कारण हैं- आधुनिक समय में यहूदी सफलता और इजरायल की स्थापना। 1970 तक मुस्लिम असन्तोष अपेक्षाकृत कम था, परन्तु 1970 में तेल की कीमतों में आई अचानक वृद्धि ने राजनीतिक क्रान्ति के साथ मिलकर ईरान, इराक, सउदी अरब और लीबिया जैसे राज्यों को समस्त विश्व में यहूदी विरोधी विचारों को प्रसारित करने की इच्छा शक्ति प्रदान कर दी। इन धारणाओं को खण्डित करने के लिये कोई विरली मुस्लिम आवाज ही सामने आई और यह आवाज द्विगुणित होकर गहराती चली गई। पहली बार मुस्लिम विश्व यहूदी विरोधी धारणा का प्रमुख बिन्दु बन गया।
अमेरिका के यहूदी संगठन के मोर्टन क्लीन के अनुसार “ समस्त मुस्लिम विश्व में यहूदियों के विरूद्ध घृणा पसरी पड़ी है। यह घृणा स्कूलों में पढ़ाई जाती है और मस्जिदों में सिखाई जाती है। नियमित आधार पर मुस्लिम समाचार पत्रों में सेमेटिक विरोधी वाक्यांशों के आधार पर स्पष्ट रूप में यहूदियों को कार्टून में चित्रित किया जाता है। ”
निश्चित रूप से यहूदी विरोधी वक्तव्य देने वाले महाथिर शायद ही अकेले मुस्लिम शासक हों। 2001 में सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद ने कहा था कि “ इजरायलवासी सभी धर्मों के सिद्धान्तों को उसी प्रकार मार देना चाहते हैं जैसे उन्होंने जीसस क्राइस्ट को मार दिया था। ” ईरानी अयातोल्ला और सउदी राजकुमारों द्वारा यहूदियों के विरूद्ध विष वमन का समृद्ध इतिहास रहा है और ऐसा ही मिस्र के टेलीविजन और फिलीस्तीनी पाठ्रय पुस्तकों का है।
असंख्य उदाहरणों में से एक जून 2002 में सउदी टेलीविजन पर बसमल्लाह नामक एक तीन वर्षीया बालिका के साक्षात्कार का उदाहरण हमारे समक्ष है। मिडिल ईस्ट मीडिया और अनुसन्धान संस्थान ने इसे उपलब्ध कराया।
प्रस्तोता- बसमल्लाह तुम्हें यहूदियों के सम्बन्ध में पता है?
बसमल्लाह-हाँ
प्रस्तोता-तुम उन्हें पसन्द करती हो।
बसमल्लाह-नहीं
प्रस्तोता-तुम उन्हें क्यों नहीं पसन्द करती हो ?
बसमल्लाह- क्योकि
प्रस्तोता-क्योंकि वे क्या?
बसमल्लाह-क्योंकि वे गोरिल्ला और सूअर हैं।
प्रस्तोता-वे गोरिल्ला और सूअर हैं किसने कहा?
बसमल्लाह-हमारे ईश्वर ने।
प्रस्तोता-कहाँ कहा है?
बसमल्लाह-कुरान में।
छोटी बालिका ने कुरान के सम्बन्ध में गलत बात की परन्तु उसके शब्द राइस के विश्लेषण के विपरीत हैं और मुसलमानों का सेमेटिक विरोध छोटे बच्चों तक में है। महाथिर स्वयं इस्लामवादी नहीं हैं ( न्यूयार्क टाइम्स के स्तम्भकार पाल क्रूगमैन) कितने भी अग्रगामी नेता आप ढ़ूँढ लें परन्तु यहूदी विरोधी पक्षपात उनमें भी नजर आयेगा।
वर्तमान समय में मुस्लिम विश्व का यहूदियों के प्रति व्यवहार 1930 के जर्मनी की याद दिलाता है जब राज्य प्रायोजित अपमान, कार्टूनों, षड़यन्त्रकारी सिद्धान्तों और जब-तब हिंसा ने जर्मनवासियों को तैयार किया और उसके बाद यहूदियों का सामूहिक संहार हुआ।
ऐसा ही आज भी सम्भव है। महाथिर जैसे जंगली आरोपों के वक्तव्य अस्वाभाविक नहीं रहे। पिछले तीन वर्षों में इजरायल के विरूद्ध हिंसा का स्तर बढ़ा है और प्रतिदिन एक व्यक्ति की हत्या हो रही है। इजरायल के बाहर यहूदियों के विरूद्ध हिंसा सामान्य बात है। अर्जेन्टीना में यहूदी इमारत गिराई गई, पाकिस्तान में डैनियल पर्ल की हत्या हुई, फ्रांस में चाकू घोंपा गया, अमेरिका में ब्रुकलिन पुल और लैक्स में हत्या की गई।
ऐसी घटनायें और यहूदियों को गोरिल्ला या सूअर कहना एक मनोवैज्ञानिक आक्रमण है जो एक दिन इजरायल पर जनसंहारक हथियारों से आक्रमण की ओर भी जा सकता है। रसायन, जैविक और परमाणु हथियारों को आउसाविच, बुचेनवाल्ड और डाचाउ का उत्तराधिकारी माना जा सकता है। जैसा कि 1930 में हुआ था उसी प्रकार अमेरिका सहित अधिकांश विश्व सतत चलायमान प्रक्रिया को नजरअन्दाज कर रहा है। यद्यपि यहूदी विरोधी लफ्फाजी और हिंसा की निन्दा हो रही है परन्तु उसमें आपातिक भाव का अभाव है और उसके प्रभाव की अपेक्षा यह कम है।
कोण्डोलेजा राइस तथा अन्य अधिकारियों को मुसलमानों के अन्दर व्याप्त व्याप्त यहूदी विरोधी विचारधारा के व्याप और शक्ति को समझते हुये उससे लड़ने के लिये प्रभावी कदम उठाये जाने चाहिये। इस बुराई ने पहले ही निर्दोष लोगों की जान ली है जब तक इससे लड़ा नहीं जायेगा यह और लोगों की जान लेगा।