इराक में क्या किया जाये? यह प्रश्न गठबन्धन पर बन रहे दबाव और सात बड़े कार बम विस्फोटों के बीच आपातिक महत्व का हो गया है। इन सबमें सबसे नवीनतम रविवार को बगदाद होटल का विस्फोट है। जिसमें 6 लोग मारे गये और एक दर्जन घायल हुये।
विस्तृत रूप में सद्दाम हुसैन के एक असुखद शासन के दबाव से मुक्ति की संक्षिप्त कृतज्ञता को सप्ताहों और महीनों के विरोध ने समाप्त कर दिया है। इराकी शिकायत कर रहे हैं कि पुलों की निर्मिति अपेक्षित गति से नहीं हो रही है, मुद्रा में पर्याप्त स्थिरता नहीं है और अन्य उपयोगिताओं में भी नियमितता नहीं है। एक अधिनायकवादी राज्य की सीमाओं में रहने के आदी लोगों को सभी के लिये स्वतन्त्रता भा नहीं रही है।
यहाँ तक कि गठबन्धन के साथ निकटता से कार्य करने वाले भी वाशिंगटन के निर्णयों की शिकायत कर रहे हैं। बुश प्रशासन द्वारा मनोनीत निकाय इराकी प्रशासकीय परिषद ने भी इराक में तुर्की सेना की तैनाती की सम्भावनाओं पर उत्साह नहीं दिखाया है जबकि तुर्की सेना की तैनाती के लिये बुश प्रशासन ने काफी प्रयास किया था।
इराकियों और उनके मुक्तकर्ताओं के मध्य अलग-अलग रास्तों पर चलने की यह प्रवृत्ति दिनों दिन और तीव्र होगी। ऐसे में क्या किया जाये? वास्तव में तो यह बहुत सरल है। सत्ता इराकियों को सौंप दी जाये। उन्हें सरकार बनाने दी जाये। राष्ट्रपति के दूत पाल ब्रेमर की भूमिका कम कर दी जाये। गठबन्धन सेना की सड़कों पर पहरेदारी या इमारतों की सुरक्षा से हटाकर उन्हें रेगिस्तानी बेस में तैनात कर दिया जाये। वहाँ से वे इराकी जनसंख्या की नजर में आये बिना सभी महत्वपूर्ण सीमाओं की सुरक्षा, तेल और गैस की आधारभूत संरचना, सद्दाम हुसैन का पीछा करना और इराकी सरकार को अन्तिम अधिकार प्रदान करने जैसे कार्य सम्पन्न कर सकते हैं।
यदि यह स्वीकार किया जाये तो यह सुझाव फ्रांस की सरकारी नीति के अनुकूल है जैसा कि फ्रांस के राष्ट्रपति जैक्स शिराक ने कहा है, “ जब तक जितना शीघ्र सम्भव हो इराकियों को सम्प्रभुता नहीं सौंपी जाती समस्या का सटीक समाधान नहीं निकल सकता ”। यह कहते हुये उन्होंने 6 से 9 महीनों के बीच सत्ता का अन्तरण करने का सुझाव दिया। अमेरिका के राज्य सचिव कोलिन पावेल ने ऐसे किसी भी सत्ता हस्तान्तरण को अस्वाभाविक कहकर निरस्त कर दिया। अमेरिका की योजना में इराकियों के हाथ में नियन्त्रण देना महीनों में नहीं वर्षों में सम्भव है। परन्तु गठबन्धन और फ्रांसीसी लोगों के प्रति शत्रु भाव रखने वाले ही गतिपूर्वक संक्रमण के इच्छुक नहीं हैं वरन् जो इराकी गठबन्धन के साथ सहयोग कर रहे हैं चाहे उनका तेहरान, रियाद, सी.आई.ए या रक्षा विभाग के साथ अच्छा सम्बन्ध हो वे भी इसके इच्छुक हैं।
सबसे महत्वपूर्ण बात है कि इराकी नेशनल कांग्रेस के प्रमुख अहमद चलाबी इस बात का आग्रह कर रहे हैं कि इराकियों को कम से कम वित्त और सुरक्षा मन्त्रालय का आंशिक नियन्त्रण मिलना चाहिये। इस बात को व्यापक समर्थन मिला है। फाइनेन्सियल टाइम्स के अनुसार “ सम्प्रभुता सम्बन्धी प्रस्ताव ने साधारण इराकियों को भी झकझोरा है। जिन्हें लगता है कि देश को फिर से गति प्रदान करने के लिये फिर से नियन्त्रण प्राप्त करना आवश्यक है।”
दिशा में एक बड़ा परिवर्तन वाशिंगटन के लिये अनेक परिणामों वाला है । इससे अमेरिका के सत्ता में बने रहने सम्बन्धी प्रश्न उठता है। सद्दाम हुसैन के विरूद्ध सफल युद्ध से उपजी प्रतिष्ठा समाप्त होती है, विजय की सम्भावना समाप्त होने का खतरा उत्पन्न होता है और इससे अरब, यूरोप और डेमोक्रेट जैसे आलोचकों को मुँह खोलने का अवसर प्राप्त होता है। इससे भी बुरी बात यह है कि अमेरिका की सेनाओं के विरूद्ध नियमित आक्रमण को गति मिलती है जिससे अमेरिका की सेनाओं पर अन्यत्र भी आक्रमण आरम्भ हो सकते हैं।
अमेरिकी सेना के वापस न होने के भी उपयुक्त कारण हैं, परन्तु जैसा कि मैं अपेक्षा करता हूँ कि इराक का मिशन असफल होगा तो ऐसे में उनका धैर्य समाप्त हो जायेगा। मेरी भविष्यवाणी है कि असुखद स्थिति अमेरिकी पक्ष की कमी के कारण नहीं वरन् इराक में अमेरिका के स्थित रहने की प्रेरणा और उन्हें वहाँ से हटाने की इराकी प्रेरणा के संयोग के कारण उत्पन्न हुई है। बाद का कारण मुझे अधिक झकझोरता है। इसमें गैर-मुसलमानों द्वारा शासित होने पर मुसलमानों की तीव्र शत्रुता का भाव है। उदाहरण के लिये फिलीस्तीन, चेचन्या, कश्मीर और मोरोस में हो रही हिंसा को देखा जा सकता है।
इस परिपाटी से मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा हूँ कि जब तक किसी गैर-मुसलमान द्वारा मुस्लिम जनसंख्या पर शासन करने का कोई विशेष कारण नहीं है तो इस शासन के विरूद्ध हिंसा होगी और शासन छोड़ना पड़ेगा। याद रखिये कि लेबनान और सोमालिया में अमेरिकी सरकार दो बार हथियार डाल चुकी है। अमेरिका, ब्रिटेन या अन्य गैर-मुस्लिम सहयोगियों के लिये अमेरिका द्वारा इराक को निश्चित करना वहाँ टिके रहने का पर्याप्त कारण नहीं है। यही कारण है कि मैं महत्वपूर्ण अधिकार इराकियों को हस्तान्तरित करने की वकालत करता हूँ और जितना शीघ्र हो सके ऐसा करना चाहिये।