पिछले सप्ताह इस्लामिक सोसायटी ऑफ बोस्टन द्वारा 17 प्रतिवादियों के विरूद्ध वाद समाप्त करने के निर्णय के बाद क्रान्तिकारी (इनमें आतंवाद प्रतिरोध विशेषज्ञ स्टीवन इमरसन भी हैं) इस्लाम की कानूनी महत्वाकांक्षाओं पर विचार करने का अवसर है।
यह वाद इस कारण आया है कि नवम्बर 2002 इस्लामिक सोसायटी ऑफ बोस्टन के 22 मिलियन डालर के इस्लामिक सेन्टर के भण्डाफोड़ के बाद मीडिया और अनेक गैर-लाभकारी संगठनों ने तीन प्रमुख मुद्दों पर प्रश्न पूछने आरम्भ कर दिये – इस्लामिक सोसायटी ने अधिग्रहीत भूमि के मूल्य का आधा ही बोस्टन शहर को क्यों भुगतान किया, इस्लामिक सोसायटी के बोर्ड सदस्य और बोस्टन शहर के कर्मचारी ने इस सेन्टर के लिए आर्थिक सहायता जुटाने के लिए कर दाताओं के धन पर मध्य-पूर्व की यात्रा क्यों की ? तथा इस्लामिक सोसायटी ऑफ बोस्टन के क्रान्तिकारी इस्लाम से सम्बन्ध है।
मई 2005 में इन आलोचनाओं के मध्य आलोचकों को कटघरे में खड़ा करते हुए इसने आलोचकों के विरूद्ध वाद दायर किया और उन पर आरोप लगाया कि वे वादी के विरूद्ध षड़यन्त्र कर उसके संगठन बनाने और धार्मिक स्वतन्त्रा के अधिकार से वंचित कर उसकी अवमानना करते हुए नागरिक अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं।
यह वाद बोस्टन वासियों के लिए दो वर्ष तनाव का कारण बना रहा और विशेष रूप से यहूदी- मुस्लिम सम्बन्ध। खोज की इस प्रक्रिया का जब खुलासा हुआ तो पता चला कि प्रतिवादियों ने बिना कुछ छुपाये नियमित समाचार संकलित करने की प्रक्रिया और राजनातिक वाद-विवाद में रहस्योद्घघाटन किया कि वादियो का धोखे और कट्टरता का रिकार्ड रहा है। इस्लामिक सोसायटी ऑफ बोस्टन को जब इनका पता चला तो इसने अपना वाद 29 मई को अपना वाद “गलत सूचना की शिकायत” सहित वापस ले लिया ।
आखिर यह मामला याचिकाकर्ताओं से परे दूसरे लोगों के लिए महत्व का क्यों है।
इस्लामवादी आन्दोलन की दो शाखायें हैं – एक हिंसक और दूसरी कानून सम्मत जो अलग- अलग काम करती हैं पर एक दूसरे को प्रभावित करती हैं। प्रभावी समन्वय पिछले अगस्त में ब्रिटेन में देखने को मिला जब इस्लामवादियों ने हीथ्रो एयर पोर्ट षड़यन्त्र के द्वारा अटलांटिक महासागर के ऊपर के विमानों को उड़ाने की योजना बनाई ताकि ब्लेयर सरकार को उसकी नीतियाँ बदलने के लिए दबाव में लाने का आरम्भ किया जा सके। इसी प्रकार की कार्रवाइयों से मोहम्मद, कुरान, इस्लाम और मुसलमानों के सम्बन्ध में खुली बहस को दबाया जाता है। सेटेनिक वर्सेज, डेनमार्क के कार्टून, और पोप बेनेडिक्ट के मामलों में हिंसा से सैकडों लोगों की मृत्यु से भय का वातावरण व्याप्त होता है और इसमें इस्लामिक सोसायटी ऑफ बोस्टन का वाद और भी शक्ति प्रदान करता है जैसा कि इमरसन ने कहा है कि हाल ही में मुस्लिम पब्लिक अफेयर्स काउन्सिल ने जब उन्हें तथाकथित गलत बयान के लिए मुकदमे की धमकी दी तो ऐसा लगता है कि अपने आलोचकों का मुंह बन्द कराने या उन्हें डराने के लिए इस्लामवादी संगठनों लिए कानूनी कार्यवाही मुख्य हथियार बन गया है।
इस्लामिक सोसायटी ऑफ बोस्टन सहित ऐसे वाद प्राय: दूसरों को परेशान करने की प्रकृति होतें हैं जिससे जीतने की अपेक्षा गम्भीरता पूर्वक नहीं होती और इसे दीवालिया बनाने, भयभीत करने और प्रतिवादी का मनोबल गिराने के लिए आरम्भ किया जाता है। ऐसे वादी विजय नहीं चाहते वरन् शोधकर्ताओं और विश्लेषकों को भारी मात्रा में समय और धन की क्षति पहुँचाते हैं, यदि विजयी होते हैं। इस सम्बन्ध में दो उदाहरण हैं-
खालिद बिन महफूज बनाम राचेल एरेनफेल्ड ने लिखा है कि बिन महफूज के अलकायदा और हमास से सम्पर्क हैं। बिन महफूज ने राचेल में अपने मित्र व्रिटिश न्यायालय में 2004 में मुकदमा किया और गलती से जीत लिया और उसे 30,000 यूरो तथा राचेल की माफी मिली ।
इकबाल युनुस बनाम रिटा काज। अमेरिकी सरकार के एक आपरेशन में उनके घर की तलाशी हुई। ग्रीनक्वेस्ट नामक कूटवाक्य के इस आपरेशन के बाद युनुस ने रिटा पर मुकदमा किया इस गैर सरकारी आतंवाद प्रतिरोध विशेषक्ष पर आरोप लगाया गया कि इस तलाशी की उत्तरदायी वही है। युनुस मुकदमा हार गया और उसे रिटा काज को न्यायालय के खर्च का भुगतान करना पड़ा।
काउन्सिल आन अमेरिकन इस्लामिक रिलेशन्स ने 2003 में मुकदमों का दौर आरम्भ किया और इसे प्रयास के लिए महत्वाकांक्षी आर्थिक सहायता जुटाने की योजना की घोषणा की। परन्तु तीन मुकदमे हारने के बाद और विशेष रूप से एन्ड्रयू व्हाइट हेड से हारने के बाद अप्रेल 2006 में इस पूरी योजना पर पुनर्विचार किया। न्यायलय में कुण्ठित हुए सी.ए.आई आर के एक सदस्य ने स्वयं को शान्त्वना दी कि “ शिक्षा मुकदमेंबाजी से श्रेष्ठ है।
पैर खींचने के बाद भी डगलर फराह के शब्दों में इस्लामवादी अपेक्षा रखतें हैं कि वादों से शोधकर्ताओं और विश्लेषकों का धन खर्च होता है और वे थककर चुप होने की विवश होते हैं। पिछले महीने किन्डर यू.एसए ने मैथ्यू लेविट नामक आतंकवादी आर्थिक सहायता के विशेषज्ञ के और दो संगठनों पर इस कारण वाद ठोंका कि उन्होंने किन्डर यू.एस.ए पर हमास को आर्थिक सहायता देने की बात की थी । कोई भी कल्पना कर सकता है कि इस्लामवादी अपने आलोचकों के लिए भविष्य में कष्टकारी कानून दांव-पेंच की योजना बना रहे हैं।
इससे मुझे एक घोषणा पर विवश होना पड़ता है “ मिडिल ईस्ट फोरम आतंकवाद प्रतिरोध तथा शोधकर्ताओं और विशेलेषकों की सुरक्षा के लिए एक कानूनी प्रकल्प स्थापित कर रहा है। कानूनी भय से उनका कार्य नहीं रूकेगा। उन्हें आर्थिक और कानूनी दृष्टि से पूरी सुरक्षा मिलेगी।
सैयद सोहरावर्दी बनाम द वेस्टर्न स्टैण्डर्ड। सोहरावर्दी ने मार्च 2006 में तर्क किया था कि पत्रिका को डेनमार्क के मोहम्मद के कार्टून प्रकाशित करने का अधिकार नहीं है और इसे अपने विरूद्ध कार्रवाई की रक्षा का अधिकार भी नहीं है। यह मामला मानवाधिकार न्यायालय में दायर किया गया। इसका अर्थ था कि न तो सोहरावर्दी को न्यायालय का खर्चा वहन करना था और न ही प्रतिवादी के खर्चे के लिए उसे उत्तरदायी ठहराया जा सकता था।