11 सितम्बर 2001 को राष्टपति बुश द्वारा आतंकवाद के विरूद्ध ’ युद्ध की घोषणा के उपरान्त दो वर्ष व्यतीत हो चुके हैं। उग्रवादी इस्लाम ने अब तक कितनी यात्रा तय की है।
यह विडम्बना है कि उनकी सबसे बड़ी पराजय अफगानिस्तान थी और सबसे बडा लाभ इराक है। अफगानिस्तान में उनका तालिबान शासन और इसके द्वारा उपलब्ध सुरक्षित शरणस्थली समाप्त हो गयी। इराक में सद्दाम हुसैन के पतन और अर्ध अराजक स्थित में 2 लाख पश्चिमवासियों की उपस्थिति उग्रवादी इस्लामी व्यवस्था स्थापित करने का स्वाभाविक अवसर प्रदान करती है।
व्यापक विश्व में आतंकवाद प्रतिरोधी प्रयास प्रभावी ढंग से सफल रहे हैं, धन का प्रवाह रूका, संदिग्धों का पीछा किया गया और संगठनों में व्यवधान पडा। यद्यपि मौतों का होना जारी है विशेष रूप से इण्डोनेशिया, रूस, सउदी अरब, इजरायल और मोस्को में घटनाएं घट रही हैं 11 सितम्बर से अब तक आतंकवाद को कोई बड़ी घटना नहीं घटी है।
बहुत सी सरकारें अभी भी उग्रवादी इस्लामी आतंकवाद के खतरे को लेकर जागरूक नहीं है और 11 सितम्बर से पूर्व समय में हैं। इस सम्बन्ध में जून 2003 का एक उदाहरण हमारे समक्ष है जब हालैन्ड के न्यायालय ने 12 लोगों को अलकायदा के लिए लोगों की भर्ती करने और पश्चिम के विरूद्ध जिहाद का षड़यन्त्र करने के लिए आरोप से मुक्त कर दिया था। अभियोजन पक्ष का यह मामला सादे तीन महीने परीक्षण में चला जब हालैन्ड की खुफिया सेवा द्वारा उपलब्ध साक्ष्यों को अदालत में स्वीकार न होने लायक बता दिया गया।
उसके बाद सउदी अरब सरकार का मामला है जो उग्रवादी इस्लाम के सभी रूपों के विरूद्ध होने का दिखावा करती हैं परन्तु राजतन्त्र को उखाड फेकने वाले अपेक्षाकृत कम तत्वों के विरुद्ध ही है।
अन्तर्राष्ट्रीय समन्वय काफी सफल चल रहा है और कानून प्रवर्तन, सैन्य बल और खुफिया एजेन्सियाँ समस्त विश्व में समन्वय का प्रयास कर रही हैं।
एक महत्व पूर्ण मामला इस महीने के आरम्भ में सामने आया था जब ब्रिटिश प्रतिरोधी खुफिया, अमेरिकी कानून प्रवर्तन और रूस के राज्य अधिकारियों ने साथ मिलकर एक जटिल स्टिंग आपरेशन के द्वारा लन्दन स्थित एक हथियार विक्रेता को इस आधार पर पकड़ा कि वह अमेरिका एअर लाइन्स के विरूद्ध प्रयोग के लिए आतंकवादियों को जमीन से हवा में मार करने वाला मिसाइल बेचने की योजना बना रहा था।
राष्टपति बुश ने 11 सितम्बर 2001 की शाम को आतंकवाद के विरूद्ध युद्ध, वाक्यांश का प्रयोग किया जबकि उस समय तक उन्हें आक्रमणकर्ताओं के सम्बन्ध में स्पष्ट जानकारी नहीं थी. परन्तु ऐसा उस समय तक आवश्यक था। परन्तु लगभग दो वर्ष पश्चात इस वाक्यांश को रखना तथा आधिकारिक रूप से उग्रवादी इस्लाम की विचार धारा को समझने से परहेज करना इस युद्ध को दण्डित करना प्राय: कठिन बना रहा है।
बिडम्बना यह कि है यहाँ तक कि सउदी गृहमंत्री ने भी स्वीकार किया है कि समस्या एक विचारधारा और आतंकवादियों की प्रतिबद्धता में है। यदि वह ऐसा कदम उठा सकते हैं तो निश्चय ही गैर मुस्लिम अधिकारी भी ऐसा कर सकते हैं।
पूरी तरह से युद्ध का सर्वेक्षण यदि किया जाये तो 11 सितम्बर 2001 से पूर्व की गहरी नींद से उठने का प्रयास है, परन्तु कुछ उलेखनीय अपवादों को छोडकर कोई भी राज्य पूरी तरह जागृत नहीं है और उग्रवादी इस्लाम की शक्तियां किसी भी प्रकार से उससे कम खतरा नहीं है जैसा दो वर्ष पूर्व थीं ।