आप्रवासी राजनीति की विभाजित तरंगों पर सवारी करना सरल नहीं है और वह भी विशेषकर मुजाहिदीने खल्क और पीपुल्स मुजाहिदीन ऑफ ईरान जैसे ईरानी विपक्षी गुटों के सम्बन्ध में।
सामान्य रूप से इसे देखें तो जिस दुष्ट तेल शासन का यह विरोध करता है उसने आधे पश्चिम को आतंकित कर रखा है और अन्यों लोगों को भी उत्प्रेरित कर रहा है जबकि मुजाहिदीने खल्फ पर स्वयं लुप्तप्राय मार्क्सवादी – इस्लामवादी सम्प्रदाय होने का आरोप है।
इन बाधाओं के बाद भी इस्लामवाद को एक नये वैश्विक खतरे के रूप में मुखरता से प्रस्तुत करने से मुजाहिदीने खल्क को रोका नहीं जा सकता है। इसने पश्चिम को महत्वपूर्ण खुफिया सूचना उपलब्ध कराई ( उदाहरण के लिए ईरान का परमाणु कार्य क्रम)
तेहरान के शासन को आतंकित किया और शासन विरोधी शक्तियों के साथ महत्वपूर्ण मौकों पर एकजुटता दिखाई।
ऐसा ही एक प्रदर्शन मैने पिछले सप्ताह पेरिस के बाहर एक विशाल कक्ष में देखा जहाँ समस्त विश्व के 20,000 ईरानी इस प्राचीन विश्व का संगीत सुनने के लिए एकत्र हुए, उन्होंने झण्डे और बैनर लहराये और गैर -ईरानी ईरानी शुभचिन्तकों अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य बाव फिल्नर , अल्जीरिया के पूर्व प्रधानमंत्री सीद अहमद घोजाली के संक्षिप्त भाषणों को भी सुना। उसके बाद भीड़ ने मुजाहिदीने खल्क के नेता मरयाम रजावी के 85 मिनट के कार्यक्रम को भी देखा।
इस बैठक के आधार पर कुछ निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं – पहला ,अत्यन्त सहज निर्माण जिसमें एक अमेरिकी राजनीतिक संधि का संकेत था जो कि हाल से बाहर के श्रोताओं के लिए लक्षित था और विशेष रूप से ईरान में। दूसरा इस कार्यक्रम के दो उद्देश्य परिलक्षित हो रहे थे ईरानियों की इस बात की याद दिलाई जा रही थी कि आज के मजहबी शासन का विकल्प विद्यामान है तथा यूरोपीय संघ पर इस बात का दबाव डाला जा रहा था कि मुजाहिदीने खल्क को आतंकवाद की सूची से हटाया जाये। ईरानियों के लिए संगीत में पश्चिमी वस्त्रधारी सुन्दर लड़कियां भी थी, यूरोपवासियों के लिए द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान फ्रांसीसी प्रतिरोध का गान था। तीसरा, रजावी के गहन विश्लेषण में न तो अमेरिका और न ही इजरायल का उल्लेख हुआ जो कि मध्य-पूर्व की राजनीति के लिए एक दुर्लभ चीज है। न ही उन्होंने षडयन्त्रकारी विचार की ओर संकेत भी किया जो कि ईरानी राजनीति में एक स्वागतयोग्य परिवर्तन है।
अन्तत: समस्त विश्व में कोई भी दूसरा विपक्षी गुट इतने प्रभावी ढंग से अपनी शक्ति का प्रदर्शन नहीं कर सकता जितना मुजाहिदीने खल्क जिसमें अनेक युवा और सम्भ्रान्त लोगों के साथ हजारों समर्थक है।
इन तत्वों को यदि मुजाहिदीने खल्क के प्रति मुल्लाओं की फोबिया को जोड़कर देखें तो इसमें पता चलता है कि यह संगठन तेहरान को धमकाने का बड़ा यन्त्र सिद्ध हो सकता है।
काश , पश्चिमी लोग वर्तमान में मुजाहिदीने खल्क के साथ कार्य नहीं कर सकते और वह भी 1997 के क्लिंटन प्रशासन के एक निर्णय के नाते जिसे पाँच वर्षों उपरान्त यूरोपीय संघ ने भी अपनाया जिसमें मुल्लाओं की सन्तुष्ट करने के लिए इसे आधिकारिक रूप से अल – कायदा, हमास हिजबुल्लाह जैसे आतंकवादी संगठनों के साथ रखकर आतंकवादी संगठन घोषित किया गया था। यूरोपीय संघ के एक पुर्तगाली सदस्य पालो कसाका ने माना , “अटलांटिक के दोनों ओर के सदस्यों ने औपचारिक रूप इस चीज को कहा कि इस गुट को अमेरिका के आतंकवादी गुटों की सूची में ईरानी शासन के प्रति सद्भावना सन्देश देने के लिए रखा गया ’’।
परन्तु मुजाहिदीने खल्क ने दशकों से अमेरिका या यूरोपवासियों के लिए कोई खतरा प्रस्तुत नहीं किया है। यह तेहरान के मलीन और आक्रमक मजहबी शासन के लिए खतरा प्रस्तुत करता है। पश्चिमी राज्यों के प्रति मुजाहिदीने – खल्क की उपयोगिता पिछले दशक में इसके प्रति अमेरिकी सरकार के असंगत और विरोधाभासी व्यवहार से प्रकट होती है।
एक हास्यास्पद उदाहरण अक्टूबर 2003 में तब सामने आया। जब राज्य सचिव कोलिन पावेल ने उस समय रक्षा सचिव डोनाल्ड रम्सफेल्ड को याद दिलाते हुए लिखा कि इराक में अशरफ शिविर में मुजाहिदीने खल्क की 3,800 की सेना को बन्दी के रूप में माना जाये न कि सहयोगी।
परन्तु अब यह बिल्कुल हास्यास्पद नहीं है जब इराक में अमेरिकी उपस्थिति अपने बोरिया बिस्तर बाँध रही है और मुजाहिदीने – खल्क के हजारों नि:शस्त्र सदस्य बगदाद में स्थित तेहरान समर्थक शासन की दया पर छोड़ दिये गये हैं। देर से ही सही बुश प्रशासन को तीन कदम उठाने की आवश्यकता है –
मुजाहिदीने खल्क के सदस्यों को अशरफ शिविर मानवीय और सुरक्षित अंदाज में छोड़ने दिया जाये। दूसरा इसे आतंकवादी सूची से हटाकर ईरानी के इस्लामी गणतन्त्र को चुनौती देने के लिए छोड़ दिया जाये ।
तीसरा , मुजाहिदीने खल्क के प्रति शासन के अस्वाभाविक भय का शोषण किया जाये।
जैसा कि चार वर्ष पूर्व पैटिक क्लावसन और मैने सुझाव दिया था “मुल्लाओं को शत्रुवत कदम उठाने से रोकने के लिए (गठबन्धन सेनाओं के विरूद्ध इराक में आतंकवाद का समर्थन और परमाणु हथियार का निर्माण) यह अत्यन्त प्रभावी होगा कि शासन को मुजाहिदीने खल्फ के साथ मिलकर या फिर शासन विरोधी प्रचार अभियान को सहायता देकर धमकाया जाये ’’
यह अब भी अच्छी सलाह है परन्तु अब प्रतीक्षा के लिए चार और वर्ष नहीं हैं ।