10 अगस्त को जब दावाह अलमोण्टेसर ने खलील जिब्रान अन्तर्राष्ट्रीय अकादमी से त्याग प्रत्र दिया तो उनके इस कार्य में उस अभियान की सफलता छुपी हुई थी जो चिन्तित लोगों ने न्यूयार्क सिटी के अधिकारियों के विरूद्ध चलाया था। परन्तु लड़ाई जारी है अगला कदम इस अकादमी को स्वत: रद्द कराना है।
अलमोण्टेसर को हटाने का प्रयास पाँच महीने पहले आरम्भ हुआ था जब अनेक लोगों ने अरबी के भाषा के विद्यालय में अन्तर्निहित राजनीतिक और धार्मिक समस्याओं की ओर संकेत अनेक विश्लेषणों में किया था। जून तक न्यूयार्क सिटी के नागरिकों में से चिन्तित गुट कुछ विशेषज्ञों के साथ (जिसमें मेरे सहयोगी आर – जान मैथिस भी हैं) मिलकर इस्लामवादियों को कर – दाताओं के धन पर विद्यालय खोलने से रोकने के लिए Stop the Madrassa Coalition बनाया। 150 लोगों से निर्मित इस गठबन्धन ने ऊर्जावान ढंग से शोध किये, कार्यक्रमों में भाग लिया , सार्वजनिक अधिकारियों को पत्र लिखे ( मेयर माइकल ब्लूमवर्ग और विद्यालय के कुलपति जोएल क्लेन ) पत्रकारों से सम्पर्क किया राष्ट्रीय टेलीविजन और रेडियो शो में परिचर्चायें कीं। बाधायें असम्भावित रूप से लम्बी लग रही थीं विशेषकर तब जब सरकार और शहर के मीडिया ने खलील जिब्रान अन्तर्राष्टीय अकादमी और अलमोण्टेसर का प्रधानाचार्य के रूप में समर्थन किया और आलोचकों का विरोध किया।
परन्तु इन बाधाओं से बेपरवाह गठबन्धन के कार्य का परिणाम रहा कि अगस्त के आरम्भ में अलमोन्टेसर को त्यागपत्र देना पड़ा। इसकी एक नेता ने एक टीशर्ट के कुछ चित्र खींचे जिसमें ‘ इन्तिफादा न्यूयार्क सिटी ’ लिखा था और उसे ‘ अरब वोमैन एक्टिव इन आर्ट एण्ड मीडिया ने बेचा था जिसका सबा एसोसिएशन आफ अमेरिकन यमनीज ’ के साथ ब्रुकलिन में कार्यालय है। बाद में पता चला कि अलमोन्टेसर सबा एसोसिएशन के बोर्ड सदस्य और प्रवक्ता दोनों हैं।
फिलीस्तीनी पद्धति का यह आह्वान अलमोन्टेसर के सम्पर्क के लिए पीड़ादायक रहा। महींनो तक उन्होंने चुप्पी साधी। परन्तु खलील जिव्रान अन्तर्राष्ट्रीय अकादमी की प्राचार्या राजनीति पर खुलकर बोलती हैं और टी-शर्ट के बचाव में आने से स्वयं को रोक न सकीं। न्यूयार्क पोस्ट में उन्होंने कहा कि “ मूलरूप में इन्तिफादा का अर्थ हटाना होता है। और यदि आप अरबी में देखें तो यही मूल शब्द है। फिलीस्तीनी – इजरायली क्षेत्र की गतिविधियों के कारण इसके नकारात्मक अर्थ को समझ सकती हूँ। मुझे नहीं लगता कि न्यूयार्क सिटी में किसी भी प्रकार की हिंसा का कोई आशय है। मुझे लगता है कि यह लडकियों के लिए स्वयं को अभिव्यक्त करने का अवसर था कि वे न्यूयार्क के समाज का अंग हैं और उत्पीड़न को हटा रही हैं ’’।
आत्मघाती आतंकवाद के लिए इस कृतज्ञ क्षमा भाव के चलते अलमोन्टेसर का वर्षों का कार्य और महीनों की चुप्पी धुल गई और उनकी आलोचना करते हुए सम्पादकीय लिखे गये तथा नेताओं ने भी आलोचना की । सबसे विनाशकारी युनाइटेड फेडरेशन ऑफ टीशर्ट की अध्यक्षा और पूर्व में अलमोन्टेसर का बचाव कर चुकीं राण्डी विनगार्टेन का पत्र था। अलमोन्टेसर ने इन्तिफादा के प्रति क्षमाभाव रखने वाला वक्तव्य प्रकाशित होने के चार दिन के बाद गुस्से से भरा त्यागपत्र दे दिया।
अलमोन्टेसर के त्यागपत्र के उपरान्त अकादमी के कुलपति क्लीन ने जोर देकर कहा “मैं खलील जिब्रान अन्तर्राष्ट्रीय अकादमी की सफलता के प्रति प्रतिबद्ध हूँ ’’। यह ठीक है परन्तु 4 सितम्बर, 2007 को खलील जिब्रान अन्तर्राष्ट्रीय अकादमी का खुलना संदेह के घेरे में है, इसकी समस्यायें इस प्रकार हैं – विद्यालय के पास प्राचार्य नहीं है, इसके पास केवल पाँच अध्यापक हैं तथा छात्रों की 25 प्रतिशत सदस्यता ही मिली है। दूसरा इसे विधायक डोव हिकिंग जैसे राजनेताओं के विरोध का सामना करना पड़ रहा है और यह बुरी तरह अलोकप्रिय है। अवैज्ञानिक अमेरिकी आन लाइन जनमत सर्वेक्षण के अनुसार 1,80,000 सदस्यों में से 4\5 प्रतिशत लोग वद्यालय के प्रति सहानुभूति नहीं रखते ।
यद्यपि अलमोन्टेसर का जाना स्वागत योग्य है परन्तु इससे विद्यालय की प्रमुख समस्या अरबी भाषा के विद्यालयों का अरबी और इस्लामवादी सामग्री का व्यवहार और धर्मान्तरण का समाधान नहीं होता।
मार्च के अपने आरम्भिक अनुमान पर फिर से जोर देना चाहता हूँ कि सैद्धान्तिक रूप में अमेरिका को अधिक से अधिक अरबी बोलने वाले चाहिए। परन्तु व्यवहार में अरबी भाषा के विद्यालयों पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए ।
दूसरे शब्दों में शहर खलील जिब्रान अन्तर्राष्ट्रीय अकादमी को स्वीकार्य बना सकता है परन्तु उसके लिए उसके लक्ष्य को नये सिरे से निर्धारित करना होगा, नये सलाहकार बोर्ड की स्थापना करनी होगी नये स्टाफ को सेवा में लाना होगा तथा आवश्यक शैक्षणिक और राजनीतिक नियन्त्रण थोपना होगा।
दुर्भाग्यवश मेयर और विद्यालय के कुलपति के वक्तव्यों से लगता है कि ऐसे कदम नहीं उठाये जा रहे हैं। जब तक कि शहर का नेतृत्व खलील जिब्रान अन्तर्राष्ट्रीय अकादमी के प्रति अपने व्यवहार में परिवर्तन नहीं लाता तब तक विद्यालय के बार में कहता रहूँगा कि उसे तब तक न खोला जाये जब तक कि इसे पुनर्गठित नहीं किया जाता और इस पर नजर नहीं रखी जाती ।