" शत्रु ने हमारे शिविर में प्रवेश कैसे किया "
कुवैत में अमेरिकी शिविर में रविवार को दोपहर 1 बजे 101 वीं एयरबोर्न प्रखण्ड के कमान सारजेण्ट मेजर बार्ट वोमैक ने अपने निकट एक ग्रेनेड फेंके जाने पर यही कहा।
आक्रमणकर्ता ने व्यवस्थित ढंग से कार्य किया तथा वोमैक के टेन्ट में तथा दो अन्य कमान टेन्टों में ग्रेनेड फेंका तथा फिर टेन्ट में गोलाबारी की और एक विद्युत जेनरेटर को नष्ट कर दिया। इस घटना में एक सैनिक मारा गया और 15 लोग घायल हुए।
एस मामले में शत्रु वह नहीं है जिसकी एक इराकी सैनिक या कुवैत के इस्लामवादी के रूप में अपेक्षा की जा रही है। हिरासत में लिया गया 31 वर्षीय सारजेण्ट कमान संदिग्ध 101 वीं एयरबोर्न प्रखण्ड का हसन करीम अकबर है।
यदि अकबर इस भगदड़ का उत्तरदायी है तो उसकी प्रेरणा क्या हो सकती ? पहली रिपोर्ट के अनुसार एक कट्टर अफ्रीकी अमेरिका धर्मान्तरित होने के नाते वह अपने साथी सैनिकों के विरूद्ध इराक के शत्रुओं के साथ देखता है।
लास एंजेल्स टाइम्स ने उसे उद्धत किया “आप लोग हमारे देश में आ रहे हैं और आप हमारी महिलाओं के साथ बलात्कार करेंगे और हमारे बच्चों को मारेंगे ’’।
एन बी सी ने पाया कि “वह मुसलमानों के हत्या का विरोधी था और इराक में युद्ध का विरोधी था ’’। रायटर्स ने एक स्रोत को उद्धत करते हुए कहा “ वह एक मुसलमान है और ऐसा लगता है कि वह युद्ध के विरूद्ध है ’’ जबकि दूसरे ने समाचार एजेन्सी को बताया कि हिंसा राजनीति से प्रेरित थी ।
यह साक्ष्य संकेत देता है कि अकबर ने कुवैत में आने से पूर्व ही स्वयं को संकट में डालने का निश्चय किया था। उसके पूर्व सौतेले पिता ने उसे उद्धृत करते हुए कहा “अकबर इस युद्ध में भाग नहीं लेना चाहता था वह वहाँ नहीं जाना चाहता था ’’।
एक पड़ोसी ने इसकी ब्याख्या करते हुए बताया , कि अकबर ने उसे बताया था कि अमेरिका को नहीं जाना चाहिए था उसे लगा कि इराक पर आक्रमण करना उचित नहीं है। उसकी माता ने उसे उद्धृत किया, “माँ जब मैं वहाँ पहुँचूँगा तो मुझे ऐसा लगता है कि मेरे नाम के कारण मुझे गिरफ्तार कर लेंगे ’’।
इस घटना से दो मुद्दे उठते हैं –
पहला, अमेरिका सरकार से आरम्भिक संकेतों से ऐसा प्रतीत होता है कि यह एक अमेरिकी मुसलमान की हिंसा को शुद्ध व्यक्तिगत कारण मान रहा है पहले की हत्याओं को भी देखा जा सकता है।
1990 में रब्बी मीर कहाने की अल सईद ए नासिर द्वारा की गई हत्या को लगातार अवसाद में रहने का परिणाम बताया गया।
1994 में व्रुकलिन पुल पर राशिद बाज द्वारा एक हसीदियन बालक की हत्या को ‘रोडरेज ’ बताया गया।
2002 में लास एंजेल्स अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के काउन्टर पर हेशाम मोहम्मद अली हिदायत द्वारा दो लोगों की हत्या का कारण कार्यस्थल का विवाद बताया गया।
और 2003 में अकबर ? अमेरिका के सेना के प्रवक्ता ने अनेक बातें कहीं ‘व्यवहारगत समस्या ’ तथा ‘ विरोध की इच्छा ’। अकबर के फोर्ट कैम्पबेल के मुख्य चैपलेन ने भी बिना किसी प्रमाण के घोषित कर दिया कि घटना किसी भी प्रकार अपनी आस्था का प्रकटीकरण नहीं है।
अभी तक कोई भी अकबर के आशय को नहीं जानता, परन्तु अमेरिकी मुसलमानों के राजनीतिक हिंसा की लगातार परिपाटी के अनुकूल है और इसकी अवहेलना स्वयं को धोखा देना है। आखिर अधिकारीगण कब इसे मानना आरम्भ करेंगे।
वास्तविकता की अवहेलना करने के वास्तविक परिणाम होने वाले हैं और अमेरिकावासिय़ों के लिए खतरा बढ़ाने वाला है। “ इस देश के अधिकारी अवहेलना की स्थिति हैं जो कि आतंकवाद के साथ ही खतरनाक हैं जिससे उन्हें लड़ना है ’’। ऐसा डेनिस प्रेंगर का आकलन है हालांकि थोड़ा बहुत अतिशयोक्तिपूर्ण है।
दूसरा , अकबर की घटना सरकार में शामिल मुसलमानों के साथ संदिग्धों की निकटता की ओर संकेत करती है। अभी हाल में गमाल अब्दुल हफीज का मामला सामने आया जब एफ बी आई के इस एजेण्ट ने दो बार उग्रवादी इस्लामी आतंकवादियों को सहयोग करने वाले संदिग्धों के साथ वार्तालाप को रिकार्ड करने से मना कर दिया। ( सिएटल टाइम्स ने बताया कि वाशिंटन डी.सी क्षेत्र में स्पिनर हत्या के आरोपी के बारे में गवाहों ने बताया कि 1991 में इराक के विरूद्ध युद्ध में उसने एक टेन्ट में ग्रेनेड फेका था )
यह सब कुछ उसी बात पर जोर देता है जो कुछ मैने जनवरी में लिखा था, “इस दुर्भाग्यपूर्ण – तथ्य से नहीं बचा जा सकता कि कानून प्रवर्तन संस्थाओं में सरकारी कर्मचारी, सेना और कूटनीतिक सदस्यों की आतंकवाद के साथ सम्पर्क की निगरानी की जानी चाहिए इसी प्रकार जेलों में मुस्लिम चैपलिन और सैन्य बलों में भी। मुस्लिम यात्रियों और आप्रवासियों की पृष्ठभूमि की तलाश की जाये। चर्च और मन्दिरों में लागू दोने वाली देखरेख से अधिक मस्जिदों पर की जाये ’’।
जैसा कि सारजेण्ट वोमैक ने माना है कि शत्रु पहले से ही हमारे शिविरों में प्रवेश कर चुका है। इससे पहले कि वह फिर हमला करे रोकने में सफल होंगे ।