अमेरिका के ध्वज आज इराक में युद्ध मशीनरी का संगठन है। वे कब्जाधारी शक्ति के संगठन हैं वास्तविक नायक वही है जो अमेरिका की सेना को परास्त करने का रास्ता तलाश कर सकते हैं ’’।
वह 1.8 करोड़ अमेरिकनों को मरा देखना चाहते हैं। कोलम्बिया प्रशासन ने डि जिनेवा के वक्तव्य से स्वयं को दूर कर लिया (वह किसी भी रूप में विश्वविद्यालय के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते) तथा अन्य प्रोफेसरों ने उनकी आलोचना की, परन्तु उनकी टिप्पणी बड़ी मुश्किल से इस विश्वविद्यालय की ससामन्य प्रक्रिया में अपवाद मानी जा सकती है। जैसे इसी अकादमिक वर्ष में कोलम्बिया विश्वविद्यालय के विजिटिंग प्रोफेसर टाम पालिन ने कहा कि बुकलिन में जन्में यहूदी यदि पश्चिमी तट में रहते हैं तो उन्हें गोली मार देनी चाहिए।
और विस्तृत रूप में कोलम्बिया के अनेक प्रोफेसर डि जिनेवा के अमेरिकी शत्रुता की भावना के साथ हैं यद्यपि अमेरिकनों की मृत्यु की बात नहीं करते।
एरिक फोनर – अमेरिका इतिहास के प्रोफेसर डेविट क्लिंटन अमेरिकी सरकार को आदतन आक्रान्ता के रूप में देखते हैं। “एक शान्तिप्रिय गणतन्त्र की हमारी परिकल्पना गलत है अनेक देशों के विरूद्ध हमने सैन्य शक्ति का प्रयोग किया है और कुछ ही मामलों में हमें आक्रमण की धमकी मिली या हम पर आक्रमण का खतरा आया ’’।
एडवर्ड सेड – विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने इराक में अमेरिकी नीति को एक स्तब्ध कर देने वाला प्रदर्शन बताया जो कि अनिर्वाचित गोपनीय राजनीतिक दल द्वारा संचालित है जिसने अमेरिका की नीतियों का अपहरण कर लिया है। उन्होंने जार्ज बुश और उनके सहयोगियों पर आरोप लगाया है कि वे तेल और प्रभाव के अपने साम्राज्यवादी लोभ को मानवाधिकार तथा लोकतन्त्र निर्मित करने के आशय के पीछे छुपा रहे हैं। सेड के अनुसार आपरेशन इराकी फ्रीडम मानवीय सहिष्णुता और मानवीय मूल्यों का उल्लंघन है जो ईसाई और यहूदी युद्ध देवता द्वारा चलाया गया है। उनके अनुसार यह युद्ध अमेरिका की उस बड़ी परिपाटी में सटीक बैठते है, जिसमें सभी देशों, लोगों और यहाँ तक कि महाद्वीपों को जनसंहार से कम कुछ भी नहीं की स्थिति में नष्ट किया जाये।
राशिद खलीदी – जो कि एडवर्ड सेड के बाद मध्य – पूर्व अध्ययन की कुर्सी संभालेंगे उन्होंने 1990 में सद्दाम हुसैन द्वारा कुवैत पर आक्रमण को बदलने की व्यापक सहमति को बेवकूफ सर्वानुमति ’ कहा और अपने सहयोगियों से इसके विरूद्द लड़ने को कहा 11 सितम्बर के पश्चात उन्होंने मीडिया को चेतावनी दी कि कहा ‘आत्मघाती हमलावरों को लेकर पागलपन कम करे ’।
गैरी सिक – मध्य पूर्व संस्थान के कार्यकारी निदेशक सिक ने रोनाल्ड रीगन पर आरोप लगाया कि उन्होंने अयातोल्ला खोमैनी के साथ षड़यन्त्र कर ईरान में अमेरिकी बन्धकों को रख कर जिमीकार्टर को हराया “ उन्होंने ईरानी सरकार से क्षमा याचना की और वाशिंगटन पर आरोप लगाया कि उसने परमाणु हथियार बनाने के लिए आगे बढ़ने के लिए ईरान को प्रेरित किया। अमेरिकी ईरान प्रेरित आतंकवाद से पीड़ित लोगों द्वारा क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का भी सिक ने विरोध किया। वे बुश प्रशासन को शत्रुवत मानते हैं और सभी अमेरिकनों को पीड़ित ।
जार्ज सलीवा – इस्लामी विज्ञान और अरबी के प्रोफेसर सलीबा अपनी कक्षाओं को राजनीतिक पैंतरेवाजी से निरन्तर बाधित करते हैं। एक छात्र को पर्यवेक्षण करने देते हैं कि उनकी कक्षाओं में आना नियमित रूप से अपमान है और दूसरे अपने पाठ्यक्रम के बारे में शिकायत करने देते हैं।
जोसेफ मसाद – आधुनिक अरब राजनीति और बौद्धिक इतिहास के सहायक प्रोफेसर अरब विश्व की सभी बुराइयों का कारण अमेरिका को मानते हैं। गरीबी का कारण अमेरिका प्रभुत्व वाले अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष तथा विश्व बैंक की नस्लवादी बर्बर नीतियाँ हैं। लोकतन्त्र के अभाव का कारण ‘ शासनधारी अधिनायक कुलीन और उनका संरक्षक ’ अमेरिका है। उग्रवादी इस्लाम का कारण ‘अमेरिका साम्राज्यवादी आक्रामकता है।
कोलम्बिया के प्रोफेसरों के अग्रणी लोगों की भावना से लगता है कि डि जिनेवा इस संस्थान में बिल्कुल सटीक बैठते हैं उन्होंने अपने कुछ सहयोगियों द्वारा अग्रसारित अमेरिका विरोध को तार्किक परिणत तक पहुँचाने की गलती कर दी।
आत्म – घृणा की यह बात पद्धति देश के सबसे बड़े संस्थान में उत्पन्न बौद्धिक संकट को प्रकट करती है। विद्यार्थियों के अभिभावकों तथा अन्य मित्रों को इसे निश्चित करने के लिए कदम उठाने से पहले इस वास्तविकता को ध्यान में रखना चाहिए।