जून 1975 में जब ड्रविट डी. आइजनहावर ने वाशिंगटन में इस्लामी केन्द्र समर्पित किया था तो 500 शब्दों की अपनी बातचीत में उन्होंने सद्भावना की बात की ( सभ्यता अनेक यन्त्रों और उपलब्धियों के लिए इस्लामी विश्व की ऋणी है) यहाँ तक कि अमेरिका के राष्ट्रपति दुविधा में पड़ गये ( उन्होंने घोषणा की कि अमेरिका में मुसलमानों को भी अपना चर्च निर्मित करने का अधिकार है ) यह स्पष्ट था कि उन्होंने नीतिगत ढंग से इस शब्द का प्रयोग किया ।
ठीक पचास वर्ष उपरान्त जार्ज डब्ल्यू बुश ने बिना जूते के खड़े होकर पिछले सप्ताह इस केन्द्र को पुन: समर्पित किया। अपने 1600 शब्द के भाशण में उन्होंने भी मध्य युगीन इस्लामी संस्कृति की प्रशंसा की ( हम उस विश्वास की सराहना करते हैं जिसने शताब्दियों तक सभ्यता को सम्पन्न बनाया है) परन्तु उन्हें चर्च मस्जिद के मध्य अन्तर पता था और उनके एजेण्डे में कुछ गम्भीर भी था ।
सबसे अधिक महत्वपूर्ण बात उनका वक्तव्य था कि “मैने अपने राष्ट्रपतीय काल का ह्वदय इस बात में लगा दिया है कि मुसलमान आतंकवाद से लड़कर अपनी स्वतन्त्रता पर दावा कर सकें तथा शान्ति और समृद्धि के अपने विशिष्ट मार्ग को प्राप्त कर सकें ’’। इससे संकेत मिलता है कि किस प्रकार श्रीमान बुश यह समझते हैं कि किस हद तक मुसलमानों के कृत्य उनकी विरासत को परिभाषित करेंगें।
क्या वे इस स्वप्न की ओर ध्यान देगें और शान्ति तथा समृद्धि के अपने विशिष्ट मार्ग को प्राप्त करेंगें , तभी उनके राष्ट्रपतीय काल की पुष्टि होगी। इतिहासकारों की दृष्टि में जैसा हैरी एस. टूमैन के साथ हुआ था उन्हें अपने समकालीनों से अधिक मान्यता मिलेगी। यद्यपि मुसलमान वैश्विक आन्दोलन में स्वतन्त्रता और समृद्धि की दृष्टि से पीछे छूट जायेंगे, तो भी इतिहासकार उनके दो कार्य काल की उतनी ही निष्ठुर समीक्षा करेंगे जितनी अमेरिका के लोग करते हैं।
निश्चित रूप से बड़ी मात्रा में मुसलमानों की यात्रा कट्टरपंथी इस्लाम के भविष्य के क्रियाकलापों पर निर्भर करती है और यह इस बात पर निर्भर करता है कि अमेरिका के राष्ट्रपति कट्टरपंथी इस्लाम के कुछ भागों को कैसे समझते हैं ? पिछले वर्षों में बुश ने सामान्य तौर पर इस विषय के प्रति बढ़ती समझ का प्रदर्शन किया है। उन्होंने सामान्य ढंग से शुरूआत की और 2006 के अन्त तक वे इस्लाम के प्रति क्षमाभाव “शान्ति पूर्ण धर्म” वाक्यांश का प्रयोग करते रहे।
इससे पूर्व बुश ने इस धर्म के सही स्वरूप पर भाषण दिया जिसके आधार पर 2001 में मैंने उन्हें ‘इमाम बुश ’ की संज्ञा दी ।
जैसे-जैसे उनकी समझ बढ़ी, बुश ने खिलाफत , इस्लामी कट्टरपंथ और इस्लामोफासिज्म जैसे शब्दों का प्रयोग आरम्भ किया जिसे 2001 में वे ‘ आतंकवाद के विरूद्ध ’ कहते थे, 2006 तक उन्होंने इसे इस्लामी फासिस्टों के विरूद्ध युद्ध जैसी कड़ी संज्ञा दी। सम्भवत: आधिकारिक वाशिंगटन ने अन्ततोगत्वा खतरे को समझा।
परन्तु ऐसे बिश्लेषणों से मुस्लिम विरोध भी भड़का और बुश ने राजनीतिक टिमटिमाहट की पहुँच दिखाई और सुरक्षित धरातल पर आ गये और पिछले सप्ताह इस्लाम का कोई उल्लेख नहीं किया।
इसके बजाय उन्होंने मध्य पूर्व से बाहर कट्टरपंथ के विरूद्ध संघर्ष तथा व्यापक रूप में ऐसे कट्टरपंथियों के गुट का उल्लेख किया जो प्रभाव और सत्ता प्राप्त करने के लिए धर्म का प्रयोग कर रहे हैं।
इससे बुरी बात यह रही कि इस्लामी कान्फ्रेन्स संगठन के लिए अमेरिका के एक विशेष दूत की नियुक्ति की गई और इस दूत को निर्देश दिया गया कि वह अपने मुस्लिम सहयोगियों से सीखें। परन्तु आर्गनाइजेशन आफ द इस्लामिक कान्फ्रेन्स एक सउदी प्रेरित संगठन है जो मुस्लिम अमेरिका के लक्ष्य के साथ वहाबी एजेण्डे को आगे बढ़ा रहा है।
जैसा कि आतंकवाद प्रतिरोध विषय के विशेषज्ञ स्टीवन इमरसन ने पाया है कि बुश की यह दुखद पहल ओ.आई.सी नेताओं के नियमित अमेरिका विरोधी, आतंकवाद समर्थक और निहायत कट्टरपंथी बयानों के प्रति पूरी तरह अज्ञानता के कारण है।
इस कार्यक्रम में शामिल हुए लोगों के तेवर देखें तो राष्ट्रपति के भाषण को सुनने वाली उनकी शीर्ष महिला सहायिकाओं फ्रांसिस टाउनसेन्ट और कैटेन हुयूज ने भाषण सुनते समय कामचलाऊ हिजाब पहन रखा था।
संक्षेप में यह वर्तमान परिस्थिति ही चारों ओर दिख रही थी। जैसा कि स्तम्भकार डायना वेस्ट ने लिखा है कि 111 सितम्बर की घटना के प्राय: 6 वर्ष पश्चात और इस्लामिक सेन्टर की पहली यात्रा के प्राय: 6 वर्ष पश्चात और इस्लाम को शान्ति घोषित करने के बाद भी श्रीमान बुश ने कुछ नहीं सीखा है। परन्तु 2001 से कुछ अधिक आशा है कि वह अब भी सीख रहे हैं, ग्रहण कर रहे हैं और शत्रु के इस्लामवादी स्वभाव की समझ को दर्शा रहे हैं।
समाप्ति की ओर चलें तो वह इस प्रमुख मुद्दे के साथ संग्लन होने में असफल रहे। हमें श्रीमान बुश के सम्भावित उत्तराधिकारियों की ओर देखना होगा कि वे उनकी कभी-कभी की कठोरता पर लौटें और इस्लामी कट्टरपंथ, शारियत और खिलाफत जैसी धारणाओं को लें। अनेक रिपब्लिकन रूडी गिउलियानी , मिट रोमनी और उनसे ऊपर फ्रेड थाम्पसन वैसा ही कर रहे हैं। दुर्भाग्यवश डेमोक्रेट प्रत्याशी इस मुद्दे पर शान्त रहने को अधिक प्राथमिकता दे रहे हैं।
अमेरिकावासियों पर पहले इस्लामवादी के हमले के लगभग तीस वर्षों और ग्रेट ब्रिटेन पर तीन आतंकवादी हमलों के प्रयास के बाद भी राषट्रपति का भाषण रहस्योद्घाटन करता है कि वाशिंगटन अब भी कितना भ्रमित है।