सउदी अरब एयरलाइन्स ( जिसे सउदिया के नाम से जाना जाता है ) ने अपनी अंग्रेजी की वेबसाइट पर घोषणा की है कि राज्य ने ‘बाइबिल, क्रास का निशान मूर्तियाँ , नक्काशी तथा स्टार ऑफ डेविड जैसे धार्मिक चिन्हों को प्रतिबन्धित कर दिया है ’’।
जब तक सउदी सरकार इस घृणास्पद नीति को परिवर्तित नहीं करती इसकी एयरलाइन्स को पश्चिमी हवाई अड्डों पर उड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
जेरूसलम पोस्ट के हाल के एक लेख में माइकल फ्रेन्ड इस विनियामक को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर लोगों की दृष्टि में लाये। Saudis might take Bibles from tourists शीर्षक के इस लेख में उन्होंने संकेत किया कि सउदिया वेबसाइट के एक खण्ड 'Customs Regulations'
में वह सूची दी गई है जिसमें इस्लाम के अतिरिक्त अन्य धर्मों में से जुड़ी सामग्रियों को ले जाना प्रतिबन्धित किया गया है।
फ्रेन्ड ने इस मामले में न्यूयार्क में सउदिया कार्यालय सम्पर्क किया जहाँ एक कर्मचारी ने इस बात की पुष्टि की कि वह नियम वास्तव में अमल में लाया गया है। न्यूयार्क में सउदी वाणिज्य दूतावास के एक अनाम कर्मचारी ने इस विनियमन की पुष्टि करते हुए कहा “हाँ श्रीमान जी ऐसा ही हमने सुना है कि ऐसी चीजों को सउदी अरब में ले जाना समस्या है इसलिए आप ऐसा नहीं कर सकते ’’। “इस राज्य में ऐसी चीजे लाने की अनुमति नहीं है । यदि आप ऐसा करते हैं तो वे ले लेंगे। यदि यह वास्तव में आपके लिए महत्वपूर्ण है तो आप उसे लाकर देख सकते हैं कि क्या होता है। परन्तु मैं ऐसा करने की संस्तुति नहीं देता ’’।
चर्च , बाइबिल और स्टार ऑफ डेविड पर सउदी प्रतिबन्ध की प्रतिक्रिया में कोई पश्चिम में मस्जिदों , कुरान और चाँद के निशान पर प्रतिबन्ध लगायेगा परन्तु अभिव्यक्ति और उपासना की स्वतन्त्रता के चलते यह लागू नहीं हो सकेगा। उदाहरण के लिए कुरान कोई सउदी सामग्री नहीं है और इसी कारण सउदी नीति के लिए उसे बन्धक बनाया जा सकता है। यद्यपि यह निकटता से इस्लाम के साथ सम्बद्ध है परन्तु सउदी सरकार धर्म की स्वामी नहीं है।
सेन्टर फार इस्लामिक प्लूरलिज्म के स्टीफन स्कावर्ज ने संकेत किया कि सउदी हवाई अड्डे पर उपस्थित धार्मिक पुलिस या मुतवइन मुस्लिम यात्रियों के कुरान या अन्य इस्लामी साहित्य को जब्त कर लेते हैं जो सउदी मूल का नहीं होता। विशेष रूप से शियाओं के लिए और अहमदिया के विषय में भेद-भाव करने वाली यह नीति वहाबीवाद की सर्वोच्चता पर जोर डालती है। और विस्तृत संदर्भ में सउदी नेतृत्व ऐसा देश संचालित कर रहा है जिसकी अमेरिका ने बारम्बार आलोचना की है कि वहाँ धार्मिक स्वतन्त्रता नहीं है और विश्व में धार्मिक आधार पर सर्वाधिक उत्पीड़न है।
सउदिया नामक राज्य स्वामित्व वाला देश का एयरलाइन्स और विश्व के लिए इसका पोर्टल परिवर्तन के लिए एक दबाव बनाने का कारण प्रदान करता है। इस परिस्थिति का लाभ उठाकर पश्चिमी सरकारों को माँग करनी चाहिए कि जब तक सउदी सरकार सउदिया एयरलाइन्स में कम से कम सामग्री की अनुमति नहीं देती तब तक जापान, उत्तरी अमेरिका और यूरोप में 18 हवाई अड्डों पर इसकी सेवाओं को वंचित किया जायेगा। यदि वे रास्ते बन्द कर दिये जाते हैं तो रियाद के सामने कठिन विकल्प होंगे –
इस कार्रवाई की अवहेलना करें – सउदी अरब में पश्चिमी एयरलाइन्स को बिना किसी प्रकार की सुविधा पश्चिम में मिले अनुमति देना राज्य के लिए काफी बोरियत भरा होगा।
इसके बदले पश्चिमी एयरलाइन्स से सम्बन्ध विच्छेद – पश्चिमी एयरलाइन्स से सम्बन्ध विच्छेद करने से सउदी प्रमुख बाजारों और स्थानों से भी कट जायेंगे।
गैर वहाबी धार्मिक सामग्री की अनुमति हो – इससे सउदी अरब के पास ‘बाइबिल, क्रास के निशान , मूर्तियों , नक्काशी और स्टार ऑफ डेविड जैसे धार्मिक चिन्ह का आयात स्वीकार करने के अतिरिक्त कोई रास्ता नहीं होगा। एक बार इन सामग्रियों के लिए अनुमति देने के उपरान्त और भी लाभ उसके बाद मिलेंगे जैसे राज्य में रह रहे लाखों गैर मुसलमानों को गैर इस्लामी इमारतों और कार्यों की अनुमति भी मिल जायेगी। इससे उन मुसलमानों को लाभ होगा जो इस्लाम की वहाबी व्याख्या को नहीं मानते।
इससे रियाद को यह संकेत भी जायेगा कि पश्चिमी अब कठोर हो रहे हैं। पहली कार्रवाई कौन करे ? कौन सी राष्ट्रीय सरकार या नगरपालिका सबसे पहले उठकर धिम्मी स्वभाव से बाहर आकर अपने रनवे से सउदिया को प्रतिबन्धित कर उसे इस बात के लिए बाध्य करेगी कि राज्य काफिरों की धार्मिक सामग्री को एकेश्वरवादी और बहुदेववादियों को एक समान अपने राज्य क्षेत्र में अनुमति देगा ? कहाँ हो तुम एथेन्स, फ्रैंकफर्ट, जेनेवा, ह्रयूस्टन, लन्दन, मैड्रिड, मलांगा, मैनचेस्टर, मिलान, न्यूयार्क, नाइस, ओसाका, पेरिस, प्राग, रोम, वियना,और वाशिंगटन डी.सी?
यदि कोई सरकार नहीं करती तो क्या ईसाइयों, यहूदियों, हिन्दुओं, बौद्धों तथा अन्य को काफी प्रचार के बीच अपनी धार्मिक सामग्री को खुले रूप में प्रदर्शित करते हुये सउदिया के विमान में जाना चाहिये और एयरलाइन्स को इन सामग्रियों को जब्त करने का साहस देखना चाहिये ? या फिर उन 11 देशों में कौन सी जनहित सेवा कानूनी फर्म सउदी सरकार के एक अंग के रूप में सउदिया के विरूद्ध मानवाधिकार वाद लायेगी?
यह मुद्दा क्रान्तिकारी इस्लाम के विरूद्ध एकजुट होने का अवसर वामपंथी और दक्षिणपंथी दोनों को प्रदान करता है। कौन सउदी भेदभाव, अहंकार और दमन का मुकाबला करने के लिये आगे आयेगा?