न्यूयार्क शहर के अरबी भाषा पब्लिक स्कूल खलील जिब्रान इण्टरनेशनल अकादमी ने विशेष सुरक्षा के बीच 12 वर्ष के करीब 50 बच्चों के लिये इस सप्ताह अपने द्वार खोल दिये। सभी को आशा है कि विद्यालय के इस्लामवादी झुकाव को लेकर लोगों में हुई बहस के कारण विद्यालय किसी राजनीतिक या धार्मिक एजेण्डे को आगे नहीं करेगा।
मुझे इस सम्बन्ध में फिर भी दो प्रमुख कारणों से आशंका है- पहला विद्यालय के उत्स और इसके लोगों को लेकर जिसके सम्बन्ध में मैंने तथा अन्य लोगों ने वृहद् रूप से लिखा है। दूसरा जो कि मेरा विषय है कि करदाताओं के धन से चलने वाले कालेज पूर्व अरबी भाषा के कार्यक्रमों का पिछला रिकार्ड। रूझान एकदम स्पष्ट है । अरबी भाषा के कालेज पूर्व का शिक्षण चाहे वह करदाताओं के धन से ही हो अरब राष्ट्रवाद, कट्टरपंथी इस्लाम या दोनों में प्रशिक्षित करता है।
कुछ उदाहरण ध्यान देने योग्य हैं-
अटलांटा के निकट जार्जिया अल्फारेटा में अमाना अकादमी- अरबी भाषा सिखाने का यह विद्यालय अरबी भाषा इन्स्टीट्यूट फाउण्डेशन से भागीदारी का दावा करता है। परन्तु अरबी भाषा इन्स्टीट्यूट फाउण्डेशन अरबी को उत्तरी अमेरिका और यूरोप में कुरान का सन्देश प्रसारित करते हुये पश्चिम के देशों को वर्तमान नैतिक पतन से उबारने के लिये सिखाने की बात करता है।
कैलीफोर्निया में सैन डियागो में कार्वर एलीमेन्ट्री स्कूल- एक अध्यापक मैरी फ्रांसिस स्टीफेन्स ने स्कूल बोर्ड को बताया कि वह मुस्लिम छात्राओं की अलग कक्षा पढ़ाती है और उसे प्रतिदिन एक घण्टे के लिये उन्हें प्रार्थना के लिये कक्षा से छोड़ना पड़ता है। स्टीफेन्स ने इस व्यवस्था को पूरी तरह से प्रशासनिक, वैधानिक और न्यायिक नियमों का उल्लंघन बताया। स्कूल के प्रधानाचार्य किम्बरल किड ने उत्तर दिया कि अध्यापक छात्रों के साथ ही प्रार्थना करते हैं और यह सत्र केवल 15 मिनट तक चलता है। सैन डियागो यूनीफाइड स्कूल डिस्ट्रिक्ट ने स्टीफेन्स के आरोपों की खोज की और उन्हें अस्वीकार कर दिया। परन्तु साथ ही कार्वर में चलन बन्द कर दिया जिससे आलोचकों की बात सत्य सिद्ध हुई। निरीक्षक कार्ल कोन ने एक लिंगी कक्षाओं को समाप्त कर दिया और इस प्रकार व्यवस्था की कि छात्र भोजनावकाश में प्रार्थना कर सकें।
मैसचुएट्स का चार्ल्सटाउन हाई स्कूल- विद्यालय के ग्रीष्मकालीन अरबी भाषा कार्यक्रम के अन्तर्गत विद्यार्थियों को कुख्यात इस्लामिक सोसायटी आफ बोस्टन की यात्रा पर ले जाया गया जहाँ बोस्टन ग्लोब की रिपोर्ट के अनुसार “ छात्र एक वृत्त में बैठे और मस्जिद के दो सदस्यों से इस्लाम के बारे में जाना”। 16 वर्षीय छात्र पेवरलिन मोरेटा ने इस भय से कि उसके गले का क्रास मेजबानों के लिये ठीक नहीं होगा उसे अपनी टी-शर्ट के अन्दर डाल लिया। यहूदी विरोध भी वहाँ प्रकट हुआ जब 2002 की फिल्म Divine Intervention दिखाई गई जिसे जार्डन के समालोचक हिलर ने गैर जिम्मेदार फिल्म, खतरनाक और इजरायल के प्रति घृणा वाली फिल्म बताया है ।
मीनेसोटा के इनवर ग्रोव हाइट्स की तारिक इब्न जियाद अकादमी- अरबी को द्वितीय भाषा के रूप में मान्य इस विद्यालय को इस्लामिक रिलीफ वर्ल्डवाइड ने प्रायोजित कर रखा है जिस संगठन के सम्बन्ध जिहादवाद और आतंकवाद से हैं। इस अकादमी का नाम खुले रूप में इस्लामी साम्राज्यवाद का उल्लास मनाता है क्योंकि तारिक इब्न जियाद ने 711 ई. में स्पेन में विजय के लिये मुस्लिम सेना का नेतृत्व किया था। स्थानीय पत्रकार की रिपोर्ट के अनुसार “ मुसलमानों के हिजाब धारण करने के कारण, प्रार्थना स्थल की कालीन, इस्लामी अवकाशों पर विद्यालय की बन्दी, सभी द्वारा रमजान का व्रत, हलाल भोजन , कक्षाओं के बीच में प्रार्थना, लगभग सभी विद्यार्थियों द्वारा प्रार्थना और वयस्कों द्वारा एक दूसरे को सम्बोधित करने पर भाई और बहन शब्द का प्रयोग” ।
केवल मीकिंयाग में डियरबार्न का आयरिश बेकर एलीमेन्ट्री स्कूल ही ऐसा अरबी भाषा का विद्यालय है जो राजनीतिक और धार्मिक एजेण्डे को आगे नहीं बढ़ा रहा है। इसका कार्यक्रम हो सकता है स्वच्छ हो या सम्भवत: इसके सम्बन्ध में थोड़ी सूचना इसकी समस्याओं की व्याख्या कर सके।
उपर्युक्त सभी उदाहरण अमेरिका के हैं (कृपया मेरा वेबलाग Other Taxpayer-Funded American Madrassas ) परन्तु इसी प्रकार की समस्या अन्य पश्चिमी देशों में भी अस्तित्व में है।
समस्या की यह परिपाटी सार्वजनिक आर्थिक सहायता प्राप्त अरबी भाषा के प्रति विशेष परीक्षण की अपेक्षा रखती है। इस परीक्षण के अन्तर्गत एक ऐसा सुपरवाइजरी बोर्ड हो जिसे कट्टरपंथी इस्लाम के खतरे की समझ हो और कुछ भी आपत्तिजनक पाने पर उसे बन्द करने का अधिकार हो।
पूर्व कालेज स्तर पर अरबी भाषा का शिक्षण आवश्यक है और अमेरिकी सरकार सही ही इसे आगे बढ़ा रही है। जब यह ऐसा करता है तो सही शिक्षण प्राप्त करना कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। नागरिक, अभिभावक और करदाताओं को आश्वस्त होने का अधिकार है कि करदाताओं से आर्थिक सहायता प्राप्त जिस संस्थान में उनके बच्चे जाते हैं वहाँ भाषा पढ़ाई जाती है न कि इस्लामवाद या यहूदी विरोध की भर्ती की जाती है।