राजनेता के रूप में नियमितता और पहले से दिख जाना यह जार्ज बुश की सबसे बड़ी ताकत है। घरेलू मुद्दा ( टैक्स शिक्षा ) या विदेशी ( आतंकवाद, इराक ) मुद्दा हो एक बार नीतियों को निर्धारित करने के उपरान्त वह उस पर टिके रहते हैं । कोई अनिश्चितता या उनकी वास्तविक स्थिति के सम्बन्ध में अनुमान लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ती और न ही विरोधाभासों को ब्याख्यायित करने की आवश्यकता होती है। यहाँ तक की उनके विरोधी भी इस बात के लिए उनकी प्रशंसा करते हैं ।
परन्तु इस परिपाटी में अपवाद है। और सम्बन्ध में पहले से भविष्यवाणी नहीं की जा सकती और वह विषय है अरब – इजरायल संघर्ष का। यहाँ न केवल बुश अपना मस्तिष्क बनाने में असफल रहे हैं वरन् विरोधाभासी दृष्टिकोणों के मध्य झूल रहे हैं।
उदाहरण के लिए पिछले अप्रैल में इजरायल के विरूद्ध फिलीस्तीनी के आक्रमण की ऊँचाई में राष्ट्रपति ने एक प्रमुख सम्बोधन दिया जिसमें विरोधाभास था।
उन्होंने आरम्भ में यासर अराफात के फिलीस्तीनी अथारिटी को इजरायल के विरूद्ध आतंकवाद के लिए लताड़ा और उसमें एक गुट अल अक्सा व्रिग्रेड जो कि अराफात के नियन्त्रण में हैं उस पर अंगुली उठाई कि वह इजरायल को नष्ट करना चाहता है। और कोई आश्चर्य नहीं कि इस भावना में बुश ने इजरायल के आत्मरक्षा के अधिकार की संस्तुति की और कहा कि “अमेरिका आतंकवाद से अपनी रक्षा के इजरायल के अधिकार को मान्यता देता है ’’
उसके उपरान्त अपने भाषण को समाप्त करते हुए उन्होंने इससे जो नीतिगत निष्कर्ष निकाले वे उनकी ब्याख्या के विपरीति थे। राष्ट्रपति ने फिलीस्तीनी नेताओं से कहा कि वे नाम मात्र का ऐसा भाव प्रदर्शित करें जिससे सिद्ध हो कि वे वास्तव में शान्ति के पक्ष में हैं। उसके बाद उन्होंने इजरायल की सरकार को प्रत्युत्तर में चार काल्पनिक कदम उठाने कहा ( सैन्य प्रयास रोक दे, पहले से कब्जा किये गये क्षेत्र से वापस हो जाये , कब्जा वाले क्षेत्र में रिहायशी निर्माण से परहेज करें और एक सुविधाजनक फिलीस्तीनी राज्य के निर्माण में सहयोग करें )
संक्षेप में , सैद्धान्तिक रूप से बुश ने इजरायल का समर्थन किया और अराफात की निन्दा की जबकि व्यावहारिक रूप से उन्होंने अराफात का समर्थन किया और इजरायल को दण्ड दिया। इससे बहुत से पर्यवेक्षक भौचक्के रह गये।
इसके बाद यह उलझन एक फिलीस्तीनी राज्य की आवश्यकताओं के लिए और बढ़ी । जून 2002 को काफी तड़क – भड़क के बीच फिलीस्तीनी व्यवहार के सम्बन्ध में उन्होंने एक व्यापक परिवर्तन की पहल की थी “उन्होंने कहा कि , जब फिलीस्तीनी लोगों के पास नये नेता हैं , नयी संस्थाये हैं और अपने पड़ोसियों के लिए नये सुरक्षा इन्तजाम हैं तो अमेरिका फिलीस्तीनी राज्य के निर्माण का समर्थन करेगा ”।
तीन महीने के उपरान्त राज्य विभाग ने एक विरोधाभासी पहल की और उसे तीन चरणों में लागू होने वाला रोडमैप बताया ”। इस रोडमैप के द्वारा 2005 तक फिलीस्तीनी राज्य की योजना है और बुश की योजना के अनुसार फिलीस्तीनी अथारिटी से नाम मात्र का आश्वासन लिया जायेगा ।
इस दोहरेपन से अरब – इजरायल संघर्ष के सभी पक्षों को हार्दिक पीड़ा हुई क्योंकि कोई भी अन्दाज नहीं लगा सकता कि अमेरिका की नीति क्या है। एक दृष्टिकोण है कि व्हाइट हाउस और राज्य विभाग की अलग – अलग योजना है।
इससे यही लगता है जो कि प्रधानमन्त्री एरियल शेरोन सोचते हैं और व्याख्या करते हैं कि उन्होंने क्यों रोडमैप की अवहेलना की और राष्ट्रपति के जून के भाषण पर ध्यान केन्द्रित किया।
वैसे इसके जबाब में अमेरिकन इन्टरप्राइज इन्स्टीट्यूट में पिछले सप्ताह एक सम्बोधन में बुश ने रोडमैप को अपनी स्वीकृति की ओर संकेत किया , यह हमारी सरकार की प्रतिबद्धता है और मेरी व्यक्तिगत भी ’’।
इसके बाद भी संशय उठते हैं –
जब एक राजनेता अनियमित आधार पर कार्य रकता है तो सामान्यत: इस बात का संकेत होता है कि वह विरोधी पक्ष को संतुष्ट करने का प्रयास कर रहा है। इस मामले में बुश रिपब्लिकन मतदाताओं का दबाव अनुभव कर रहे हैं जिन्होंने इजरायल की रक्षा में उसे सहयोग देने के लिए उन्हें पद पर बैठाया है। पिछले महींने एक गैलप जनमत सर्वेक्षण में दिखा कि 80 प्रतिशत रिपब्लिकन – इजरायल के प्रति सकारात्मक भाव रखते हैं और कोई भी राजनेता इतनी बड़ी संख्या की अवहेलना नहीं कर सकता ।
परन्तु फिलीस्तीनी राज्य के लिए दबाव कम नहीं है जो व्यापक प्रभावी शक्तियों से आ रहा है राज्य सचिव कोलिन पावेल से लेकर कांग्रेस में डेमोक्रेट और उनसे परे व्रिटेन के प्रधानमन्त्री टोनी ब्लेयर और अरब नेता ।
बुश प्रशासन में दो वर्षों से इस विरोधाभास को देखते हुए मैं एक निष्कर्ष पर पहुँचा हुँ – इजरायल की पीड़ा से सहानुभूति , कूटनीतिक समर्थन , और शस्त्र उपलब्ध कराकर बुश अपनी ही फिलीस्तीनी राज्य की लफ्फाजी की अवहेलना कर रहे हैं और ठीक ढंग से इजरायल के साथ हैं। इजरायल से माँग करते हुए उनका बयान और फिलीस्तीनियों को वचन देना दबाव हटाना है और उनकी क्रियात्मक नीति का अंग नहीं है ।
संक्षेप में देखिए कि राष्ट्रपति बुश करते क्या हैं न कि वह क्या बोलते हैं और उससे आपको उनकी सामान्यतौर पर नियमितता समझ में आयेगी अनिर्णय की दिखती स्थिति में यह छुपा है।
यदि यह ठीक है तो रोडमैप केवल दिखावा है न कि वास्तविक नीति और फिलीस्तीनी राज्य का अमेरिकी समर्थन भी अभी दूर की बात है।