रिचर्ड नीक्सन की एक प्रसिद्ध उक्ति है कि जैसे मास्कनाइड केनीस के आर्थिक सिद्धान्त के कारण उनकी प्रतिष्ठा में ह्रास हुआ है उस आधार पर “अब हम सभी केनीस के अनुगामी हैं ’’। इसी तरह किसी ने इसी विश्वास के साथ सन् 1989 के सम्मेलन में कहा है इजराइल का अस्तित्व अब सर्वविदित है “अब हम सभी इजरायलवादी है ’’।
इजराइल कई तरह के खतरों से घिरा है जैसे ईरान के नाभिकीय बम बनाने से, सीरिया के रासायनिक हथियारों के संग्रह से और सउदी अरब के पारंपरिक सेना के बढ़ने से, लेबनान से हिज्जबुला के आक्रमण से , पश्चिमी तट के फतह, गाजा से हमास और इजराइल की मुस्लिम जनता जो राजनीतिक रूप से सुस्त और जादा उत्तेजक है।
दुनिया के हर तरफ , तथा हर क्षेत्र के लोगों, प्रोफेसरो द्वारा, संपादकों द्वारा तथा विदेश मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा लगातार यहूदी राज्य के अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह लगाया जा रहा है। यहाँ तक कि मित्र राष्ट्र भी मुख्यत: बुश प्रशासन ने एक राजनैतिक शुरूआत की है जिसके अंतर्गत यह जानते हुए कि अगर इजरायल को हथियारों की आपूर्ति न मिली तो उसके राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा उत्पन्न हो सकता है फिर भी उन्होंने हथियारों की आपूर्ति को रोक दिया है।
यद्यपि अगर मान लिया जाये कि देश इस तरह की ढेर सारी समस्याओं से घिरा है एक महत्वपूर्ण समस्या - हालांकि इसे राष्ट्रीय आंदोलन द्वारा देश के बुनियादी सिद्धान्त में भी अपनाया गया था फिर भी यहूदी जनसंख्या इससे छूटती जा रही है .
थीयोडोर हर्ज (1860 – 1904 ) तथा अन्य सिद्धान्तवादियों द्वारा विकसित किया गया संम्प्रभुता सम्पन्न यहूदी राष्ट्र आज अब समय की माँग है और राजनैतिक रूप से उचित भी । अगर चीनी, अरब , आस्ट्रेलिया अपना राज्य भी बना तो यहूदी क्यों नहीं ।
यद्यपि मुख्यत: यहूदी तकरीबन दो सदी तक अपने राजनैतिक कमजोरी के कारण निर्वासित , शोषण तथा जन हत्या के शिकार भी हुये हैं जैसा अन्य कोई नहीं । यहूदी लोगों ने हथियार लेकर तथा एकजुट होकर इस कठिन दौर से निकलने की कोशिश की है ।
अपने अस्तित्व में आते ही इजरायलवाद को यहूदी विरोध का साथ मिला है जिसका क्षेत्र हरीदिम से इराकियों की यादों में रब्वियों में परिवर्तन भी है । लेकिन वर्तमान परिस्थियों में यह कम महत्व के विषय हैं। अपनी जनसंख्या वृद्धि दर के कारण हरेदी जो कि कभी सबसे छोटा समूह हुआ करता था आज देश में उनकी संख्या 22 प्रतिशत तक पहुंच गई है। अगर अरब आबादी को शामिल कर जाये तो 2025 तक ये दोनों इजराइयल के राजनीति में बड़ा परिवर्तन लाने की क्षमता रखता है।
इजराइल के लिए यह एक बिडम्बना ही है कि एक समय यह यहूदी राष्ट्र जो धर्मनिरपेक्षता का समर्थक माना जाता है, आज अपना स्थित्व खो रहा है। उन्नीसवीं सदी में यह विचार तर्क संगत नहीं लगता है। कुछ लोगों का विचार है कि लोगों का मत है कि यहूदी राष्ट्र जाति तथा वर्णवाद की विशिष्टता को व्यक्त करता है तथा कुछ का विश्वास है यह बड़ा पारंपरिक तथा विश्व सभ्यता को प्रस्तुत करता है ।
कुछ महत्वपूर्ण बदलाव जो कि दिख रहा है –
1. बड़ी संख्या में नौजवान युवक युवती सेना में प्रशिक्षण लेने से करता रहे हैं । 26 प्रतिशत यहूदी युवक और 43 प्रतिशत युवतियाँ 2006 में शामिल नहीं हुईं। खतरे को भाँपते हुए इजराइल की सेना ने सरकार के पास यह प्रस्ताव रखा कि नौजवान जो सेना में नहीं आये उनका सरकारी भत्ता रोक दिया जाये।
2. इजराइल के महाधिवक्ता मेनाचंम मानुज ने यहूदी राष्ट्रीय कोष जो कि एक महत्वपूर्ण इजरायलवादी संस्थान है के काम को बंद करने का आदेश दिया है जिसका काम राष्ट्रीय सहायता से यहूदियों के लिए भूमि अधिग्रहण करना है।
3. विशिष्ट इजरायली इतिहासकार यह सिद्ध करने में लगे है कि कैसे इजराइयल गलत कारणों से बना और उसे गलत करने को प्रेरित किया गया।
4 .इजरायल के शिक्षा मंत्रालय ने तीसरी कक्षा के किताब में यह लिखने का आदेश दे दिया है कि कैसे 1948 में इजराइल का बनना एक बड़ी तथा आकस्मिक समस्या थी।
5. अबराहम वर्ग जो कि इजरायलवाद घराने से सम्बन्ध रखते हैं तथा लेबर पार्टी के नेता भी अपनी किताब में इजराइयल की तुलना 1930 के जर्मनी से किया गया है।
6. सन् 2004 में एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि अमेरिका में रहने वाले यहूदी में केवल 17प्रतिशत अपने को इजरायलवादी कहते है।बड़े फलक पर देखा जाये तो इजरायलवाद पंरपरा में परिवर्तन अन्य पश्चिमी देशों में भी महसूस किया जा रहा है , वहाँ भी अपने पौराणिक देश भक्ति , राष्ट्रीय गौरव जैसी परम्पराओं में ह्रास आया है। पश्चिमी देशों में लोग अपने इतिहास , तथा परंपरा को कम महत्व देते हैं।
पिछले महीने के बात को है कि हालैण्ड की राजकुमारी मैक्सीमा जो कि उत्तराधिकारी राजकुमार की पत्नी हैं ने भी कहा है कि “ डच लोगो का पहचान नहीं है। राष्ट्र भक्ति जैसे विचारों में पश्चिमी लोगों का विश्वास कम हो रहा है और अगर इजराइयल को उसके अनुसार नहीं ढ़ाला तो यह एक बड़ी समस्या के रूप में इजराइयल के सामने खड़ा होगा तथा इन परिस्थितयों में उन्हें अपने को रोक पाना तथा बनाये रखना मुस्किल होगा ।
इन सबसे महत्वपूर्ण यह कि अरब आज धर्म युद्ध तथा जातिवाद जैसे बीमारू विपरीत व्यवस्था कि ओर जा रहा है।
एक इजरायलवादी होने नाते ये घटनाये मुझे इजराइयल के भविष्य के लिए खतरनाक लग रही हैं।
मैं अपने को सान्त्वना यह सोच कर देता हूँ कि ऐसे ही परिस्थिति 1989 मे भी थी इसलिए अब 2025 में इजरायलवाद की परिस्थति पुन: अच्छी हो सकती है क्योंकि परिस्थियो की तरह इजराइयल भी अंतत: फिलीस्तीन जेहादियों तथा अन्य उपद्रवियों को पहचान चुका है।