अक्टूबर का आश्चर्यजनक षडयन्त्र का सिद्धान्त यह है कि 1980 में रोनाल्ड रीगन ने ईरान से एक गुप्त समझौता किया जिससे जिमी कार्टर को 4 नवम्बर वाले राष्ट्रपतीय चुनाव में हराया जा सके। ईरान की खोमैनी सरकार तब तक अमेरिकी बंधकों को अपने दूतावास में तब तक बंधक बना कर रखेगी जब तक कार्टर की चुनाव में जीतने की संभावना धूमिल न हो जाये। उसके बदले रीगन उसे हथियार मुहैया करायेगें। यह सर्व सिद्धान्त एक दशक पूर्व 1980 – 93 में प्रकट हुआ परन्तु उसके बाद विलुप्त हो गया।
इस सोच के जनक लियानडे लारूईस अमेरिका के सबसे बड़े षड़यन्त्र सिद्धान्तवादी हैं, जिनका सिद्धान्त चुनाव के तुरन्त बाद 2 सितम्बर 1980 फिर उसके तीन साल बाद ( New Solidarity ) 2 सितम्बर 1983 में प्रकाशित हुआ। इस पर लोगों का ध्यान न के बराबर गया।
ईरान के भूतपूर्व राष्ट्रपति अबोल हसन बानो सदर ने अपने आलेख में जो उन्होंने मियामी हेराल्ड में लिखा इस षड़यन्त्र का उल्लेख किया उसी बात को अमेरिका के तत्कालीन लेखक क्रिस्टोफर हिचेनसन ने अपने आलेख में जो उनहोंने द नेशन में लिखा। जे बानी सदर की लिखी गई बातों का समर्थन कर इस षड़यन्त्र की पुष्टि का प्रयास किया गया ।
अमेरिका के कुछ चुनिंदा षड़यन्त्र सिद्धान्तवादी – (रबट हुनेगर , मार्टिन कोलर , डेविड मार्क्स, राबर्ट पैरी जरगन राथ और ग्रेग उन्गर) ने बनी सदर के आरोपों की जाँच करते हुए उन्हें अपने को प्रायोजित करने वाला और उनमें दूसरे देशों में कई हत्या और कई गैर कानूनी कार्य करने के आरोप को पाया है। इसके प्रमुख पात्र में शामिल है ( अरीबेन – शेन्हसे , अहरन मोशेल और विल नार्थप ) फ्रांसीसी ( राबर्ट वैंस और निकोलस इगनैनीयू
ईरानी (यनर जमशीद हाशमी , अहमद हेदिराई , हाउसंग लैवी, हामिद नकाशान,) अमेरिकी (रिचर्ड बाबेयान,रिचर्ड बेरेंके, विलियम हरमैन, ओसवाल ली विंटर हेनिरिक रप और गुंथर रूसबाचेर ) और तो और दक्षिणी अफ्रीकी ( डिर्क सोटेफेबरग ) के इन लोगों ने न सिर्फ कहानी की पुष्टि की बल्कि इसके समर्थन में उन्होंने कुछ बुश को प्रस्तुत किया जिसके बदौलत यह साबित किया जा सकता है कि ऐसा हुआ होगा ।
एक साल बाद बनी सदर इस मुद्दे पर पुन: वापस आये नई जानकारियों के साथ जो यह साबित करता है कि ऐसा हुआ होगा खासतौर पर 1988 में डेनवर में बेरनी का परीक्षण जो उनकी दृष्टि में षड़यन्त्र का आधिकारिक दस्तावेज है। इन नवीन साक्ष्यों के आधार पर पूर्व ईरानी राष्ट्रपति का यह प्रयास रीगन और खुमैनी के बीच षडयन्त्र समझौता कुछ ज्यादा ही लम्बा और हकीकतमय दिखने लगा ( डेन्यु और सदर 46,57)
आश्चर्यजनक अक्टूबर का सिद्धान्त पुन: अवतरित होने पर सम्भवत: षड़यन्त्रकारी, सिद्धान्तवादी अपने अपराबोध से ग्रसित हो गये और भी जब New York Times 15 अप्रेल 1991 में इसके बारे में अपने सम्पादकीय पृष्ठ पर छापा तब जाकर लोगों ने इसे मुद्दा माना। यह आरोप जो लोग इस समझौते के साथ जुड़े हुए थे उन्होंने ईरान के पदाधिकारियों के साथ गुप्त बैठक की और अमेरिकियों को छोड़ने में देरी करने को कहा कि जब तक चुनाव न हो जाये। इसके लिए ईरान को इजरायल से हथियार मुहैया कराया गया और सम्भवत: जार्ज बुश उनमें एक अमेरिकन हो सकते हैं जिन्होंने इसे कानूनी जामा पहनाया और बाद में राष्ट्रपति बने।
जिमी कार्टर ने इस आश्चर्यजनक अक्टूबर सिद्धान्त पर जाँच करने की गुजारिश की। एक मतदान के अनुसार 1992में 55 प्रतिशत अमेरिकी लोगों का मानना था कि यह आरोप सही है जबकि 34 प्रतिशत इसे झूठ और मनगढंत बता रहे थे।
राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी रास पेरोट ने गुन्तर रूसबसर से मिसौरी जेल में बातचीत के लिये अपना प्रतिनिधि भेजा और हाउस ऑफ रिप्रजेन्टेटिव ने फरवरी 1992 वोट द्वारा यह फैसला किया कि आरोप की सच्चाई जानने के लिए जाँच होनी चाहिये।
सिक ने खुद अपनी किताब आश्चर्यजनक अक्टूबर – अमेरिका बंधक ईरान में और रोनाल्ड रीगन का चुनाव ) 1980 राष्ट्रपति के चुनाव को राजनीतिक विद्रोह की संज्ञा दी अपनी कहानी के समर्थन में जो उन्होंने वे तथ्य जुटाये जो घटनायें कभी हुई नहीं। । उदाहरणस्वरूप 27 जुलाई 1980 के मेड्रिड के होटल में बातचीत का ब्यौरा जो दो बार वेटर आने कारण अवरूद्ध हो गया पूरा नहीं हो पाया।
कांग्रेस के द्वारा की गई दो बार जाँच के दौरान इसकी पुष्टि हुई। सीनेट ने कहा कि किसी भी तौर पर यह बात की पुष्टि के लिए साक्ष्य नहीं हैं कि रीगन ने ईरान में बंदी अमेरिकी बंधकों को छुड़वाने के लिए देरी का समझौता किया यह बिल्कुल निराधार और बेबुनियाद है ( विदेश मामलों की समिति , 1992, 115)। सीनेट का यह तो कहना है कि आश्चर्यजनक अक्टूबर सिद्घान्त नाम का समझौता कभी हुआ ही नहीं था यह सारी बातें तथ्य से परे हैं कि रीगन के प्रचार के दौरान ईरान की सरकार के साथ अमेरिकी बंधकों को देर से छुड़वाने का कोई प्रयास किया गया हो ।कुछ लोग इसे गलत परिपेक्ष्य में गलत ढंग से प्रस्तुत कर रहे हैं।
लेकिन इसके बावजूद सिक अपनी बात पर कायम रहे और कहा कि अक्टूबर ( न्यूयार्क टाइम्स 24 जनवरी 1993 ) षड़यन्त्र की रिपोर्ट को अन्तिम नहीं कहा जा सकता है। इसमें कार्टर की विदेश नीति की सौदेबाजी में रिपब्लिकन हस्तक्षेप हुआ है।
अक्टूबर आश्चर्यजनक प्रकरण अपने आप में षडयन्त्रकारी कहानी की तरह लगता है। इसके समर्थन में दो आलेख का जिक्र करना जरूरी है गैरी सिक ने अकेले ही इसे कहानी से बनाया जिसे अलग-थलग पड़े वामपंथियों मुख्यधारा में स्थान दिलाया। षड़यन्त्रकारी सिद्धान्तवादी उसके लिये दूसरों को दोषी ठहराते हैं जो वह स्वयं करते हैं। बार-बार यह बात सिद्ध हुई है कि वे स्वयं गलत कार्यों में संलग्न रहे हैं।
उनका दावा है कि केसी और बुश का मिलन अमेरिका में हुआ जबकि वे पेरिस और मेड्रिड में थे। रिचर्ड ब्रेनके जो अक्टूबर आश्चर्यजनक अक्टूबर सिद्धान्त के जानकार हैं उनके बारे में दावा है कि वे पेरिस और मेड्रिड में थे लेकिन क्रेडिट कार्ड प्राप्ति रसीद से साबित होता है कि वे पोरलैंड और ओरेगन मे थे।
जो रीगन के जुड़े लोगों पर आरोप लगा रहे हैं उनमें से ज्यादा षडयन्त्रकारी सिद्धान्तवादी खुद ही 1986 के स्टिग आपरेशन से आश्चर्यजनक अक्टूबर के बारे में लिखे विचारों की पुष्टि पर प्रश्न चिन्ह लग जाता है।
सिक जो कि कार्टर के प्रशासनिक सहयोगी हैं जो रीगन की अलोचना कर उसे ईरान के साथ हथियार के समझौते के लिए दोषी बता रहे हैं लेकिन सच्चाई यह है कि सिक ने खुद ही इस बात का खुलासा किया है 1985 में जिमी कार्टर ने खुद ही ऐसा समझौता करने का प्रयास किया था।
सिक जो आरोप लगा रहे हैं कि जो सूचना रूकी पर यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि वे खुद ही चुप हैं कि उन्होंने लाखों डालर अलिवर स्टोन से अक्टूबर षड़यन्त्र के फिल्म के अधिकार के तौर पर लिये थे।
सिक ने अक्टूबर आश्चर्यजनक के लिए अमेरिकी प्रशासन की आलोचना की है परन्तु वे अपने प्रति कम ही ईमानदार हैं। उन्होंने न्यूयार्क टाइम्स में लिखा है कि उन्होंने रीगन और खोमैनी के बीच ऐसे समझौते के बारे में 1988 में चुनाव अभियान के दौरान सुना परन्तु विश्वास करने से मना कर दिया। 1988 में शीर्ष प्रचार के दौरान राको माऊँटेन न्यूज को बताया कि पहली बार मैंने इसे खारिज कर दिया था लेकिन अब नहीं पेरिस में कुछ बैठकों की बात सुनने के आधार पर मैं पूर्णत: आश्वस्त हूँ।