फिलीस्तीन में हिंसा का तांडव जारी रखते हुए तेल अवीब में 22 लोगों की हत्या अपने आप में हिंसा का न रूकना है। इसलिए छोटी-मोटी घटनाओं का संज्ञान न लेने पर भी फिलीस्तीन और इजरायल के आक्रमण के दौरान प्रतिदिन दस लोग मृत्यु को प्राप्त करते हैं।
यह क्षण मुझे मजबूर कर रहा है कि मैने कहा था कि प्रधानमंत्री एरियल शेरोन का समझौता फिलीस्तीन को हिंसा को त्याग करने को मजबूर कर देगें। शुरूआत में यह बताना जरूरी है कि पिछले वर्षों की तुलना में हिंसा में कमी आई है उदाहरण स्वरूप साल के पहले तिमाही में (1,855 से 1,246 ) और मौतों में आधा से ज्यादा, (157 से 70) की गिरावट आई है । फिलीस्तीनी नेताओं और विचारकों के बीच यह विचार आ रहा है कि .राष्ट्रपति मोहम्मद अब्बास का इजरायल के प्रति हथियार का इस्तेमाल एक भूल थी और इजरायल में हर तरह की हिंसा का अंत होना चाहिए। जैसा कि एसोसियेटेड प्रेस ने माना कि फिलीस्तीनी विचारक और नेताओं का गरीबी, अराजकता, बन्दी, घायल और मौतों से मोहभंग हो चुका है। वेथलहम मेयर हन्मा नसीर का यह मानना है कि फिलीस्तीन के संघर्ष में हथियार को कोई जगह नहीं है सब समस्याओं का समाधान शांतिपूर्वक होना चाहिए।
खोने का भाव – रामाल्लाह के एक निवासी के अनुसार सब कुछ खत्म हो गया है। हम लोग हिंसा से कुछ नहीं प्राप्त कर सकते हैं। ईमानदारी से स्वीकारते गाजा के एक निवासी के अनुसार यह कुछ उचित होगा कि इजरायल के कब्जे के समय हालात बेहतर थे।
कूटनीति – नबिल अमेर जो कि यासर अराफात के प्रमुख सहयोगी हुआ करते थे पूछते हैं कि “क्या कैंप डेविड की असफलता पर हमने खुशियाँ नहीं मनाई थी”? दो वर्ष के खून खराबे के बाद हम उसी की माँग कर रहे हैं जिसे हमने निरस्त किया था।
आतंकवाद के प्रति समर्थन कम – फिलीस्तीन में कराये गये एक चुनाव सर्वेक्षण में दिसम्बर 2001 में 86 प्रतिशत लोगों का मानना था कि इजरायल के साथ फिलीस्तीनी अथारिटी के समझौता होने पर हिंसा में कमी नहीं होगी । मई 2002 में घटकर 76 प्रतिशत हो गई नवम्बर 2002 में 40 प्रतिशत। यह प्रतिशत बहुत ज्यादा है लेकिन इंगित करते हैं कि वे शांति चाहते हैं समझौता के साथ।
सम्भावित आत्मघाती हमलावर बदल गये हैं या उनके अभिभावकों द्वारा बदल दिये गये हैं कि कहीं बदले की कार्रवाई में उनके घर नष्ट न हो जायें
अराफात पर आरोप – जब हिंसा की शुरूआत हुई फिलीस्तीनियों ने इजरायल को जिम्मेवार ठहराया। चुनावकर्ता खलील शिकाकी के अनुसार समय के अनुसार वे लोग बदल गये और अराफात को इसके लिये दोषी ठहराया। उनका मानना था कि अराफात ने हिंसा का आरम्भ इजरायल को हराने के लिये कम फिलीस्तीनी अथारिटी के असन्तोष से लोगों का ध्यान हटाने के लिये अधिक किया है।
पलायन – इन सब करणों से 2002 में एक महीने में दस हजार फिलीस्तीनियों ने पश्चिमी किनारे और गाजा को छोड़कर जार्डन की ओर पलायन किया है। एक समय तो 40 हजार फिलीस्तीनी जेरिको से जार्डन में घुसने का इंतजार कर रहे थे।
सम्भवत: सर्वाधिक प्रभावित करने वाला परिवर्तन पिछले महीने सामने आया जब जब अहमद सबाग नामक तथाकथित टूटे ह्रदय वाले फिलीस्तीनी पिता ने एक अग्रणी आतंकवादी अला नामक अपने पुत्र की मृत्यु पर एक अभूतपूर्व अपील जारी करते हुये इजरायल से कहा कि वह फिलीस्तीनी लोगों के साथ परस्पर विश्वास और न्याय के आधार पर नये अध्याय की शुरूआत करे।
इजरायल के लोग फिलीस्तीनी ओर से हो रहे परिवर्तन पर नजर रखे हैं। मोसाद के पूर्व प्रमुख एफ्रेम हेल्वी ने टिप्पणी की है कि फिलीस्तीनी हिंसा की ओर प्रवृत्त होने की भूल को स्वीकार कर रहे हैं। इजरायल की सेना के प्रमुख यिफ्ताह रोन ताल ने इससे आगे बढ़ते हुये कहा नवम्बर में भविष्यवाणी की कि कुछ ही महीनों में इजरायल को निर्णायक विजय प्राप्त हो जायेगी।
बुश प्रशासन को इस प्रक्रिया को गति प्रदान करने के लिये दो कदम उठाने चाहिये- इजरायल फिलीस्तीनियों को अनपेक्षित पुरस्कार प्रदान करने से परहेज करते हुये अपनी पूरी शक्ति से उत्तर दे। ( अपेक्षित पुरस्कार में नवीनतम 2003 में राज्य निर्माण का आश्वासन)
जितनी जल्दी फिलीस्तीनियों को लगेगा कि उनकी हिंसा किस प्रकार उल्टी पड़ रही है उतनी जल्दी वे इसे समाप्त कर देंगे।