हिन्दी अनुवा - अमिताभ त्रिपाठी
टैंक और लड़ाकू विमानों से लैस तुर्की की 100,000 सेना ईराक में आतंकवाद प्रतिरोध के लिये प्रवेश करने को तैयार है। अगर एक बार वह वहाँ चली गई तो फिर सदा के लिए मोसुल क्षेत्र पर कब्जा कर लेगी और उसके खरनाक क्षेत्रीय परिणाम होंगे।
इस खतरनाक स्थिति को समझने के लिए हमें 1920 से तुर्की द्वारा इस क्षेत्र को अपनी भूमि समझने की आकांक्षा की ओर दृष्टि डालनी होगी। ओटोमन साम्राज्य प्रथम विश्व युद्ध में पराजित पक्ष की ओर से उभरा जिसमें सेवरेज की सन्धि के द्वारा उस पर विजयी गठबन्धन की ओर से तमाम शर्तें लाद दी गईं। सन्धि के अनुसार ओटोमन साम्राज्य का कुछ राज्य क्षेत्र अन्तरराष्ट्रीय देखरेख में रहा शेष में बहत कुछ आरमीनिया, फ्रांस, ग्रीक, इटली और कुर्द के नियन्त्रण में चला गया तुर्की के अधीन पश्चिमोत्तर अनातोलिया का क्षेत्र ही रहा।
1919-22 में कमाल अतातुर्क की सैनिक सफलता और तुर्की द्वारा सत्ता प्राप्ति के कारण यद्यपि सेवरेज की सन्धि कभी लागू नहीं हो सकी। इसके बजाय लावजेन की सन्धि जिस पर 1923 मे हस्ताक्षर हुये उसने तुर्की की वर्तमान सभी सीमाओं को स्थापित किया परन्तु एक ब्रिटिश कब्जे वाले इराक को छोड़कर। इराक के लिये लावनेज ने एक अन्तरिम सीमा निर्धारित कर दी ( ब्रुसेल्स रेखा) जिसे नौ महीने के भीतर तुर्की और ग्रेट ब्रिटेन के मध्य मित्रवत व्यवस्था से स्थानान्तरित करना था। ऐसे किसी समझौते में असफल रहने पर सीमा के सम्बन्ध में लीग आफ नेशन्स निश्चित करता।
वास्तव में अंकारा और लन्दन के बीच कोई मित्रवत समझौता नहीं हो सका और अन्त में लीग ऑफ नेशन्स को मोसुल प्रांत 600,00 निवासियों के साथ इराक को देना पड़ा। अतातुर्क सरकार ने अविनयी भाव से 1926 में ब्रुसेल्स रेखा के आधार पर एक सन्धि पर हस्ताक्षर किये।
लगभग छह दशकों तक मोसुल की स्थिति हल हुई लगी । परन्तु 1980-88 में यह एक मुद्दे के रूप में फिर उभरा जब सद्दाम हुसैन ने उत्तरी इराक पर अपना नियन्त्रण पूरी तरह खो दिया।
1983 के बाद चार बार इराक ने तुर्की को इस बात का अवसर दिया कि वह मोसुल में आये और दोनों के साझा शत्रु कुर्दिश वर्कर पार्टी या पीकेके पर कड़ी कारवाई करे। इस दमन से तुर्की के कुछ तत्वों को अवसर मिला कि वे मोसुल पर अपने पुराने दावे पर फिर जोर दें।
1991 के कुवैत युद्ध के दौरान इराक का अधिपत्य उत्तरी इराक की ओर और कमजोर होता गया इससे तुर्की सेना को सैन्य कार्रवाई में तल्लीन होने का अवसर मिला और उन्होंने 29 बार ऐसा करके मोसुल को लेकर अंकारा की महत्वाकांक्षा को उद्दीप्त किया।
इन आकांक्षाओं की चरम परिणति 1995 में हुई जब लगभग 35,000 तुर्की सेना उत्तरी इराक में आपरेशन स्टील के दौरान प्रवेश कर गई और तुर्की के राष्ट्रपति सुलेमान डेमीरेल को प्रत्यक्ष तौर पर 1926 की फाइल पुन: खोलनी पड़ी। उन्होंने कहा कि सीमा गलत है। मोसुल प्रान्त ओटोमन साम्राज्य के राज्यक्षेत्र के अन्तर्गत है। यदि यह क्षेत्र तुर्की का एक भाग होता तो उन समस्याओं का सामना हमें नहीं करना पड़ता जिनका सामना हम आज कर रहे हैं। डेमीरल ने पश्चिम पर आरोप लगाया कि वे मृतप्राय सेवरेज सन्धि को जीवित कर रहे हैं।
डेमीरल के बयान पर तत्काल तीखी प्रतिक्रिया हुई और उन्होंने अपना बयान वापस लेते हुये स्पष्ट किया “ तुर्की समस्या का समाधान करने के लिये या राज्यक्षेत्र प्राप्त करने के लिये शक्ति का प्रयोग नहीं करना चाहता।”
लेकिन मैने उसी समय लिखा कि मोसुल की समस्या का समाधान नहीं हुआ है। जब भी इराक की सरकार कमजोर होगी तब मोसुल की समस्या अपना सर उठायेगी। यहीं से वर्तमान समस्या का आरम्भ होता है। 1995 से बहुत कुछ बदल गया है सद्दाम हुसैन के शासन की समाप्ति हो गई है, पीकेके के नेता तुर्की की जेलों में बन्द हैं, अंकारा में इस्लामवादी लोगों का शासन है और तुर्की की सेना द्वारा बार-बार इराक में प्रवेश करने से मोसुल का प्रश्न खड़ा रहता है।
मार्च 2003 में अंकारा की नई इस्लामवादी सरकार ने सद्दाम हुसैन को सत्ता से हटाने के लिये अमेरिका नीत युद्ध में सहायता देने से इन्कार कर दिया। इराक में अनेक तुर्की बटालियनों के अर्ध स्थाई स्थानक इराक में बनाये रहने के बाद भी पुनर्जीवित पीकेके ने 2004 में तुर्की में सीम पार हमले जारी रखे। जुलाई 2006 में तुर्की के प्रधानमन्त्री रिसेप तईप एरडोगन ने घोषणा की कि उनकी सरकार का धैर्य समाप्त हो रहा है और तुर्की सेनाओं ने बार-बार पीकेके पर आक्रमण किये।
अंकारा और बगदाद के मध्य हुये समझौते कि इराकी सेनायें पीकेके को निशाना बनायेंगी और अपुष्ट रिपोर्ट के अनुसार कि अमेरिका की विशेष सेना पीकेके के विरूद्ध खुला आपरेशन चलायेगी इसके बाद भी पिछले सप्ताहों में तनाव चरम सीमा पर पहुँच गया।
सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के सहयोग से एरडोगन ने अमेरिका की इस चिन्ता को हवा दी है कि तुर्की आक्रमण कर सकता है। उधर तुर्की की संसद ने भी 507-19 के मत से इराक पर वायु और भूमि आक्रमण की अनुमति दे दी है तथा चीफ आफ स्टाफ यासर बुयाकुनित ने धमकी भी दी है।
तुर्की को यह पूरा अधिकार है कि आतंकवाद प्रतिरोध के लिए ईराक में PKK पर हमला कर सकता है। लेकिन 1990 से अंकारा की प्रच्छन्न रूप से भूमि को अपना मानने की प्रवृत्ति से ऐसा लगता है कि यह ओटोमन साम्राज्य की अपनी खोई हुई भूमि को प्राप्त करने की आकांक्षा पाले हुये है। दूसरे शब्दों में मध्य पूर्व की एक और अनसुझी सीमा इस क्षेत्र की स्थिरता के लिये खतरा बनने जा रही है।