जून में हमास द्वारा गाजा की घेरा बन्दी के बाद शान्ति प्राप्त करने के लिए महमूद अब्बास और फिलीस्तीन अथारिटी को काफी मात्रा में आर्थिक सहायता प्रदान करना इजरायल सहित पश्चिम की प्रमुख नीति रही है। परन्तु इस प्रकार खुला प्रवाह उल्टे परिमाणो वाला है और इसे तत्काल प्रभाव से रोके जाने की आवश्यकता है।
कुछ पृष्ठभूमि – कांग्रेस की शोध सेवा रिपोर्ट के पाल मोरो के अनुसार 2006 में यूरोपीय संघ और इसके सदस्य देशों ने फिलीस्तीन अथारिटी को 815 मिलियन यू.एस डालर दिये जबकि संयुक्त राष्ट्र संघ ने 460 मिलियन डालर भेजे। यदि अन्य दानदाताओं को शामिल कर लें तो समस्त प्रप्ति 1.5 बिलियन डालर होती है।
यह विरासत चली आ रही है। राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश ने अक्टूबर में 410 मिलियन डालर के अनुपूरक दान का आग्रह किया जो कि इस वर्ष के आरम्भ में 77 मिलियन डालर के अतिरिक्त था। राज्य विभाग ने इस विशाल राशि का समर्थन इस आधार पर किया कि “यह एक ऐसी फिलीस्तीनी अथारिटी सरकार को सहायता के लिए तत्काल आवश्यक है जिसे अमेरिका और इजरायल दोनों शान्ति का वास्तविक सहयोगी मानते हैं ”। अभी हाल की सुनवाई में मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया की सदन की उपसमिति के सभापति गैरी एकरमैन ने इस अनुपूरक दान की संस्तुति कर दी।
करदाताओं के धन खर्च करने से बेपरवाह राज्य सचिव कोन्डोलेन्ज राइस ने 3 दिसम्बर को वित्तीय भारी भरकम लोगो सैण्डी विल और लेस्टर क्राउन को शामिल करते हुए अमेरिका फिलीस्तीनी सार्वजनिक व्यक्तिगत भागीदारी आरम्भ की और इसे इस रूप में रखा कि “ यह ऐसा प्रकल्प है जो प्रत्यक्ष रूप से युवा फिलीस्तीनियों तक पहुँचता है जो उन्हें नागरिकता और नेतृत्व की जिम्मेदारियों के लिए तैयार करता है जिसका भव्य और सकारात्मक प्रभाव हो सकता है ”।
एक रिपोर्ट के अनुसार यूरोपीय संघ ने फिलीस्तीनियों को इस वर्ष 2.5 विलियन डालर की आर्थिक सहायता दी है।
यदि आगे देखे तो सोमवार को पेरिस में 90 राज्यों की उपस्थिति में फिलीस्तीनी अथारिटी के लिए दानदाता सम्मेलन में अब्बास ने 2008 – 10 के मध्य तीन वर्षों में 5.8 बिलियन डालर सहायता एकत्र करने का लक्ष्य निर्धारित किया। ( पश्चिम तट के 1.35 मिलियन फिलीस्तीनियों की जनसंख्या के आधार पर अनुमान लगायें तो यह विशाल धनराशि है जो कि प्रति वर्ष प्रतिव्यक्ति 1,400 डालर की आय है। जो कि मिस्र के एक व्यक्ति की वार्षिक आय है ) इजरायल की सरकार द्वारा मान्य होकर अब्बास को दानदाता सम्मेलन में 7.4 बिलियन डालर की राशि का आश्वासन मिला ( जो कि प्रति वर्ष प्रतिव्यक्ति 1,800 डालर है)
यह एक सौदेबाजी है यदि यह काम करे तो ? शताब्दियों पुराने एक संघर्ष तो समाप्त करने के लिए कुछ अरब खर्चने होंगे ।.
परन्तु कमेटी फार अकूरेसी इन मिडिल ईस्ट रिपोर्टिंग इन अमेरिका के शोध विश्लेषक स्टीवन स्टोटस्की के मौलिक शोध के अनुसार फिलीस्तीनियों को धन का प्रवाह ऐतिहासिक रूप से विपरीत प्रभाव वाला रहा है।
विश्व बैंक अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और तथा अन्य आधिकारिक आँकड़ों पर निर्भर रहते हुए स्टोटस्की ने 1999 से दो आँकड़ों की तुलना की है। फिलीस्तीनी अथारिटी को प्रतिवर्ष उपलब्ध कराई गयी आर्थिक सहायता और फिलीस्तीनियों द्वारा प्रतिवर्ष किया गया नरसंहार ( इसमें से आपराधिक और आतंकी घटनाएँ तथा इजरायली और फिलीस्तीनी दोनों पीड़ित शामिल हैं )
संक्षेप में प्रत्येक 1 :25 मिलियन डालर या उससे अधिक की बजटीय आर्थिक सहायता पर एक वर्ष में एक मृत्यु होती है। जैसाकि स्टोटस्की लिखते हैं , “ इन आँकड़ो का अभिप्राय यह नहीं है कि विदेशी सहायता से हिंसा होती है परन्तु इससे प्रश्न अवश्य उठता है कि विदेशी दान का उपयोग आधुनिकता के विकास और आतंकवाद के विरूद्ध लड़ाई में सार्थकता से होता है या नहीं ”।
फिलीस्तीनी आंकड़े एक विस्तृत परिपाटी के अनुकूल भी बैठते हैं जैसा कि 2005 के एक लेख में जीन पाल आजम और अलेक्जेण्डा डिलेक्रोइस्क ने लिखा था .” किसी भी देश द्वारा आतंकी गतिविधि की आपूर्ति सकारात्मक रूप से उस देश द्वारा प्राप्त विदेशी सहायता से जुड़ी है ’’जितनी अधिक विदेशी सहायता उतना अधिक आतंकवाद।
यदि यह अध्ययन परम्परागत विचार कि गरीबी बेरोजगारी, उत्पीड़न, कब्जा और निरूत्साह के कारण फिलीस्तीनी हिंसा ओर प्रवृत्त हुए के ठीक विपरीत है तो यह मेरे उस तर्क को पुष्ट करता है कि फिलीस्तीनी उत्साह प्रमुख समस्या है। फिलीस्तीनियों को बेहतर आर्थिक सहायता से वे और सशक्त होते हैं तथा हथियार उठाने को और प्रोत्साहित होते हैं।
1993 में ओस्लो समझौते के आरम्भ से इजरायल की युद्ध अर्थव्यस्था की समझ में संशय उत्पन्न हुआ है। अपने शत्रुओं को संसाधनों से विहीन करने के स्थान पर इजरायल के लोग शिमोन पेरेज के रहस्यमयी विचार को अपना रहे हैं कि नये मध्य पूर्व की रचना हो और वे सशक्त बनाये जायें। जैसा कि मैने 2001 में लिखा था कि एक ओर शत्रु से लड़ा जाये और उसी के साथ उसे संसाधन उपलब्ध कराये जाएं यह अच्छा विचार नहीं है। सभी पश्चिमी देशों को इजरायल से आरम्भ कर फिलीस्तीनी युद्ध को आर्थिक सहायता देने के स्थान पर इसे बन्द कर दिया जाये।