वैसे तो ब्रिटेन का प्रतिदिन का जीवन किसी को सामान्य सा दिख सकता है परन्तु यह एक भ्रम है और ब्रिटिश जनता का इस्लाम के साथ भारी तौर पर सामना हो रहा है। पिछले सप्ताह की तीन घटनायें जो वर्षों पुराने रूझान को अभिव्यक्ति करती हैं न कि कोई संयोग उन परिवर्तनों का उदाहरण प्रस्तुत करती है जो अन्दर ही अन्दर चल रहे हैं।
पहला, संयुक्त राज्य ब्रिटेन ने निश्चय किया है कि इस्लाम के नाम पर मुसलमानों के आतंकवाद का वास्तव में इस्लाम से कोई सम्बन्ध नहीं है या फिर यहाँ तक कि यह इस्लाम विरोधी है। इस धारणा ने 2006 में जड़ें जमाई थी जब विदेश विभाग को भय हुआ कि आतंकवाद के विरूद्ध युद्ध शब्दावली से ब्रिटिश मुसलमान भड़क जायेंगे और ऐसी भाषा की खोज की जाने लगी जो मिले जुले मूल्यों को आतंकवादियों का मुकाबला करने के लिए स्थापित करें। 2007 के आरम्भ में यूरोपीय संघ ने एक वर्गीकृत हस्त पुस्तिका जारी की जिसमें आतंकवाद के सन्दर्भ में जिहाद, इस्लामी और कट्टरपंथी जैसे शब्दों से परहेज करते हुए अनाक्रामक मुहावरों को प्रयोग करने का सुझाव दिया गया। पिछली गर्मी में प्रधानमंत्री गार्डन ब्राउन ने आतंकवाद के सम्बन्ध में मुस्लिम शब्द का प्रयोग अपने मन्त्रियों के लिए निषेध कर दिया। जनवरी में गृह सचिव जैक्वी स्मिथ ने और आगे बढ़ते हुए वास्तव में आतंकवाद को इस्लाम विरोधी करार दिया। पिछले सप्ताह गृह विभाग ने इस भ्रम को पूरा करते हुए आतंकवाद प्रतिरोध के लिए मुहावरों की एक पुस्तक जारी की और नौकरशाहों को निर्देश दिया कि वे इस सन्दर्भ में हिंसक अतिवाद और आपराधिक हत्यारे शब्दों का प्रयोग करें न कि इस्लामवादी अतिवादी और जिहादी कट्टरपंथी
दूसरा अनेक वर्षों के विकास के परिणाम स्वरूप व्रिटिश सरकार ने बहु विवाह को मान्यता प्रदान कर दी है। इसने टैक्स क्रेडिट ( बहु विवाह ) विनियमन 2003 के नियमों में परिवर्तन किया है इससे पूर्व केवल एक पत्नी अपने मृत पति के उत्तराधिकार के रूप में टैक्स मुक्त सम्पत्ति धारण कर सकती थी। अब इस विधेयक के बाद यदि विवाह नाइजीरिया , पाकिस्तान और भारत में हुआ है ( जहाँ बहु विवाह कानूनी रूप से मान्य है) तो अनेक पत्नियों को टैक्स फ्री सम्पात्ति का उतराधिकार प्राप्त होगा । इसी से जुड़े एक मामले में कार्य और पेन्शन विभाग ने हरम को अनेक लाभ के लिए अतिरिक्त भुगतान दिया । पिछले सप्ताह यह समाचार आया कि एक वर्ष के पर्यवेक्षण के उपरान्त सरकार के चार विभागों ( कार्य और पेन्शन , कोषागार , राजस्व और सीमा , गृह विभाग ) ने निष्कर्ष निकाला कि बहु विवाह को औपचारिक रूप से स्वीकार कर लेना ही सरकार के लिए सबसे अच्छा विकल्प है।
तीसरा कैन्टरबरी के आर्कविशप ने इस्लामी कानून शरियत के कुछ भागों को ग्रेट ब्रिटेन में लागू करने की सहमति दी । उन्होंने इसकी व्याख्या करते हुए कहा कि इसके सभ्य तत्वों को शामिल करने की उपेक्षा नहीं की जा सकती क्योंकि सभी ब्रिटिश मुसलमान स्थापित कानूनी व्यवस्था के साथ सांमजस्य स्थापित नहीं कर पाते और शरियत को लागू करने से उनका सामाजिक संश्लेषण हो सकेगा। जब मुसलमान इस्लामी सिविल अदालत में जायेगा तो उसे सांस्कृतिक स्वामिभक्ति और राज्य स्वामिभक्ति के मध्य भयानक विकल्पों का सामना नहीं करना होगा । विलियम्स ने चेतावनी दी है कि ब्रिटिश सामान्य कानून के एकाधिकार पर जोर देते रहने और शरियत की अनुमति न देने से देश के सक्षम एक खतरा उत्पन्न हो जायेगा।
प्रधानमंत्री ब्राउन ने विलियम्स के सुझावों को तत्काल खारिज किया और उनके कार्यालय ने घोषणा की “ अंग्रेजी कानून का अतिक्रमण करने के लिए शरियत कानून को न्याय संगत नहीं ठहराया जा सकता और न ही नागरिक न्यायालय में शरियत कानून के सिद्धान्तों को लागू किया जा सकता है --- प्रधानमंत्री का विश्वास है कि ब्रिटिश मूल्यों पर आधारित ब्रिटिश कानून ही इस देश में लागू होगा। विलियम्स की आलोचना चतुर्दिक हुई और इसमें टोरी मुस्लिम सईदा वारसी जो कि समुदाय संश्लेषण और सामजिक कारवाई के प्रच्छन्न मंत्री हैं, लिबरल डेमोक्रेट निक क्लेग , संयुक्त राज्य ब्रिटेन इन्डेपेन्डेन्स पार्टी के गेराल्ड बैटेन शामिल हैं। सेकुलर ईसाई गुटों ने विलियम्स का विरोध किया । समानता आयोग के प्रमुख ट्रेवर फिलिप्स ने भी यही किया ।
आस्ट्रेलिया ऐग्लिकन चर्च ने अपने चर्च के अग्रणी सदस्यों और अपने पूर्ववर्ती लार्ड फेरी सहित इसका विरोध किया। मेलानी फिलिप्स ने इस तर्क को असाधारण,बेतुका और गलत कहा । सन समाचार पत्र ने अपने सम्पादकीय में लिखा कैन्टरवरी के आर्कविशप रोवन विलियम्स को एक मूर्ख बूढ़ी बकरी कहकर तिरस्कृत करना आसान है। वास्तव में वह हमारे देश के लिए खतरा है। उन्होंने तीखा निष्कर्ष निकालते हुए कहा , कैन्टरबरी का आर्कविशप एक गलत चर्च में है।
यद्यापि विलियम्स की व्यापक तौर पर निन्दा हुई (उनकी नौकरी छूटने का भय है) परन्तु शरियत की उपेक्षा न हो पाने सम्बन्धी विलियम्स की बात सही है क्योंकि यह पश्चिम में पहले ही प्रवेश कर चुका है. एक डच न्याय मंत्री ने घोषणा की , यदि दो तिहाई डच जनसंख्या कल ही शरियत को लागू करना चाहती है तो इस सम्भावना का अस्तित्व है। जर्मन के एक जज ने रोजमर्रा के एक तलाक मामले में कुरान को उद्धत किया ब्रिटेन में समानान्तर सोमाली गार अदालत व्यवस्था मौजूद है इससे ज्ञात होता है कि आतंकवाद के विरूद्ध युद्ध में ब्रिटिश तुष्टीकरण , परिवार का स्वरूप और विधि का शासन एक व्यापक परिपाटी के अंग हैं।
इस्मावादी हिंसा द्वारा उपस्थित सुरक्षा के खतरे से अधिक ये रूझान अत्यन्त चुनौती पूर्ण हैं और पशचिम के जीवन के स्वरूप को सम्भवत:परिवर्तित कर देंगे ।