पिछ्ले नवम्बर में तेहरान की यात्रा के अवसर पर समाजवादी ह्यजो चावेज ने इस्लामवादी महमूद अहमदीनेजाद के साथ अपने गठबन्धन का जश्न मनाते हुए कहा, “ यहाँ दो बन्धु जैसे देश एक हाथ की भाँति एकजुट हो गये हैं”। पिछ्ले वर्ष तेहरान की यात्रा करने वाले सी गुवेरा के पुत्र कैमिलो ने भी घोषणा की कि, “ अमेरिका के विरुद्ध वर्तमान संघर्ष में उनके पिता को इस देश का समर्थन करना चाहिये”। इन लोगों ने फिदेल कास्त्रो के पदचिन्हों का अनुसरण किया जिन्होंने 2001 में अपने मेजबानों से कहा था, “ ईरान और क्यूबा एक दूसरे के सहयोग से अमेरिका को उसके घुटनों के बल ला सकते हैं”। इलिच रामारेज सांचेज ( कार्लोस द जैकाल) ने अपनी पुस्तक ( क्रांतिकारी इस्लाम) में लिखा है, “ केवल मार्क्सवादियों और इस्लामवादियों का गठबन्धन ही संयुक्त राज्य अमेरिका को नष्ट कर सकता है”
यह केवल लैटिन अमेरिकी वामपंथी नहीं हैं जो इस्लामवाद में सम्भावना देखते हैं। लन्दन के पूर्व महापौर और त्रास्त्कीवादी केन लिविंगटोन ने तो इस्लामवादी चिंतक युसुफ अल करदावी को प्रायः गले ही लगा लिया था। अमेरिका के पूर्व महान्यायवादी राम्से क्लार्क ने अयातोला खोमेनी की यात्रा की और अपने सहयोग की बात की। एम आई टी के प्रोफेसर नोम चोमस्की हिजबुल्लाह नेता हसन नसरुल्लाह के पास गये और हिजबुल्लाह के हथियार रखने की बात का समर्थन किया। हालैण्ड के आवास, पडोस और आत्मसातीकरण के मंत्री एला वोगेलार इस्लामवाद के प्रति इतनी सहानुभूति रखते थे कि ईरानी मूल के प्रोफेसर अफशीन एलियान ने तो उन्हें “ इस्लामीकरण का मंत्री” कह डाला।
डेनिस कुसीनिच ने 2004 में अपने पहले राष्ट्रपतीय प्रचार में कुरान को उद्धृत किया और एक मुस्लिम सभा को “ अल्लाहो अकबर” का नारा लगाने को प्रेरित किया और उन्होंने तो यहाँ तक घोषणा की , “ मैं अपने कार्यालय में कुरान की एक प्रति रखता हूँ”
ब्रिटेन की सोशलिस्ट लेबर पार्टी के युवा पत्र स्पार्क ने तेल अवीव के बार में आत्मघाती आक्रमण करने वाले ब्रिटेन के युवक आसिफ मोहम्मद हनीफ की प्रशंसा एक “ क्रांतिकारी युवक” के रूप में की जिसने अपना मिशन “ अंतरराष्ट्रीयवाद की भावना” के कारण अंजाम दिया। अमेरिका के कम्युनिस्ट समाचारपत्र वर्कर्स वर्ल्ड ने हिजबुल्लाह के मास्टर आतंकवादी इमाद मुघनियेह को श्रद्धाँजलि अर्पित की।
कुछ वामपंथी तो और आगे बढ गये और अनेक कार्लोस द जैकाल, रोजर गरावडी, जैक्स वर्गीस, योने रिड्ले और एच. रैप ब्राउन तो वास्तव में इस्लाम में धर्मांतरित हो गये। अन्य लोगों ने हिंसा और इस्लामवाद की क्रूरता के प्रति उल्लासपूर्ण प्रतिक्रिया दी। जर्मनी के गीतकार कार्लेंज स्टाकहावसन ने 11 सितम्बर की घटना को “ समस्त विश्व के लिये महानतम कार्य” की संज्ञा दी। जबकि अमेरिका की दिवंगत उपन्यासकार नार्मन मेलर ने यह घटना करने वालों को “ मेधावी” बताया।
इसमें कुछ भी नया नहीं है। शीतयुद्ध के दौरान इस्लामवादियों ने अमेरिका पर सोवियत संघ को स्थान दिया था। जैसा कि अयातोला खोमैनी ने 1964 में कहा था, “ अमेरिका ब्रिटेन से बुरा है, ब्रिटेन अमेरिका से बुरा है और सोवियत संघ दोनों से बुरा है। सभी एक दूसरे से बुरे हैं सभी एक दूसरे से अधिक अरुचिकर हैं। परंतु आज हम आज एक बुरी ईकाई से चिंतित हैं जिसका नाम अमेरिका है” । 1986 में मैने लिखा था, “ सोवियत संघ को प्राप्त हो रहा है पर छोटी मात्रा में घृणा और शत्रुता संयुक्त राज्य अमेरिका की ओर निर्देशित है”।
वामपंथियों ने इसका उत्तर भी दिया। 1978-79 में फ्रांसीसी दार्शनिक माइकल फोकाल्ट ने ईरानी क्रांति के प्रति अत्यंत उत्साह व्यक्त किया। जैनेट अफारे और केविन बी एंडरसन ने इसकी व्याख्या की-
“अपने समस्त जीवन में माइकल फोकाल्ट के लिये प्रामाणिकता की अवधारणा का अर्थ था ऐसी स्थिति जहाँ लोग खतरनाक ढंग से जी रहे हों और मौत से खेलते हों और ऐसा स्थान जहाँ रचनात्मकता निवास करती हो। फ्रेडरिक नीत्शे और जार्ज बटाले की परम्परा का पालन करते हुए फोकाल्ट ने उन कलाकारों को गले अपनाया जिन्होंने तर्कवाद की सीमाओं का अतिक्रमण किया और उन्होंने महान भाव के साथ अतार्किकता के पक्ष में लिखा और नयी सीमायें बनाईं। 1978 में फोल्काल्ट को अयातोला खोमैनी के क्रांतिकारी व्यक्तित्व में यही अतिक्रमणकारीवाद दिखा और उन लाखों लोगों में जिन्होंने क्रांति में उनका अनुसरण करते हुए अपने जीवन को खतरे में डाला। वह जानते थे कि ऐसे सीमित अनुभव नयी रचनात्मकता की ओर ले जायेंगे और इसी कारण उन्होंने इसे पूरा समर्थन दिया।“
एक और फ्रांसीसी दार्शनिक जीन बाड्रीलार्ड ने इस्लामवादियों को ऐसे पराधीनों के रूप में चित्रित किया जिन्होंने दमनकारी व्यवस्था के विरुद्ध विद्रोह किया है। 1978 में फोकाल्ट ने अयातोला खोमैनी को एक संत कहा और एक वर्ष उपरांत जिमी कार्टर के अमेरिका के राजदूत एण्ड्र्यू यंग ने उन्हें कुछ प्रकार का संत बताया।
यह अच्छाई कुछ मात्रा में आश्चर्यजनक लग सकती है विशेषकर दोनों आन्दोलनों की व्यापक भिन्नता देखते हुए। कम्युनिष्ट नास्तिक हैं और वामपंथी सेकुलर, जबकि इस्लामवादी नास्तिकों को मृत्युदण्ड देते हैं और धार्मिक कानून को लागू करते हैं। वामपंथी मजदूरों को सम्मान देते हैं जबकि इस्लामवाद मुसलमानों को विशेषाधिकार देता है। एक का स्वप्न मजदूरों का स्वर्ग है तो दूसरे का खिलाफत। समाजवादी समाजवाद चाहते हैं जबकि इस्लामवादी उन्मुक्त बाजार को स्वीकार करते हैं। मार्क्सवाद लैंगिक समानता को स्वीकार करता है जबकि इस्लामवाद महिलाओं का उत्पीडन करता है। वामपंथी गुलामी की निन्दा करते हैं जबकि कुछ इस्लामवादी इसका समर्थन करते हैं। जैसा कि ब्रेट स्टीफेंस ने लिखा है कि, “ वामपंथियों ने पिछले चार दशक उन स्वतंत्रताओं के लिये लगाये हैं जिनका अधिकतर इस्लाम विरोध करता है- सेक्स सम्बन्धी और जनन सम्बन्धी स्वतंत्रता, गे अधिकार, धर्म से स्वतंत्रता, पोर्नोग्राफी और अनेक प्रकार की कलात्मक अतिवादी स्वतंत्रता आदि”।
जर्मनी की सोशल डेमोक्रेट पार्टी के पूर्व अध्यक्ष आस्कर लैफोंटेन के अनुसार ये मतभेद कुछ छोटी समानताओं को भी जन्म देते हैं। “ इस्लाम समुदाय पर निर्भर है जो कि स्वयं को व्यक्तिवाद के घोर विरोध में रखता है जो कि पश्चिम में असफल होने की सम्भावना रखता है। इसके अतिरिक्त कट्टर मुसलमान के लिये आवश्यक है कि वह अपनी सम्पत्ति अन्य लोगों के साथ बाँटे। वामपंथी भी चाहते हैं कि कमजोर की सहायता की जाये”। इसी कारण डेविड होरोविज ने वामपंथी-इस्लामवादी अपवित्र गठबन्धन के चार प्रमुख कारण बताये हैं।
पहला, जैसा कि ब्रिटेन के राजनेता जार्ज गैलोवे ने व्याख्यायित किया है, “ समस्त विश्व के प्रगतिशाली आन्दोलन और मुसलमानों के समान शत्रु हैं” । जिनका नाम सामान्य रूप से पश्चिमी सभ्यता और संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और इजरायल विशेष रूप से और इसके अतिरिक्त यहूदी, आस्थावादी ईसाई और अंतरराष्ट्रीय पूँजीवादी। ईरान में राजनीतिक विश्लेषक सईद लेलाज के अनुसार, “ व्यावहारिक रूप से सरकार ने पाँच वर्षों से वामपंथियों को कार्य करने की अनुमति दे दी है ताकि वे धार्मिक उदारवादियों से संघर्ष कर सकें”।
उनके पारस्परिक संवाद के शब्दों को सुना जाये तो हैरोल्ड पिंटर अमेरिका को ऐसा देश बताते हैं जो आपराधिक गुंडों द्वारा संचालित है और ओसामा बिन लादेन देश को “ अन्यायी, आपराधिक और दमनकारी कहता है”। नोम चोमस्की के अनुसार अमेरिका एक अग्रणी आतंकवादी देश है और हाफिज हुसैन अहमद के अनुसार जो कि पाकिस्तानी राजनेता हैं, “ सबसे बडा आतंकवादी राज्य” । ये समानतायें इस बात के लिये पर्याप्त हैं कि वे सहयोग के लिये आपसी मतभेद को किनारे कर दें।
दूसरा, दोनों पक्ष एक ही राजनीतिक लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। 2003 में सद्दाम हुसैन के विरुद्ध युद्ध का विरोध करने के लिये लन्दन में हुआ विशाल प्रयास इस गठबन्धन का प्रतीक था। दोनों ही पक्ष चाहते हैं कि गठबन्धन सेना इराक में पराजित हो जाये, आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध बन्द हो जाये, अमेरिका विरोध बढे और इजरायल का विनाश हो। वे इस बात पर सहमत हैं कि पश्चिम में सामूहिक आप्रवास हो और बहुसंस्कृतिवाद बढे। वे इन लक्ष्यों को लेकर बैठकों में सहयोग करते हैं जैसे कैरो का युद्ध विरोधी सम्मेलन जिससे वामपंथी और इस्लामवादी साथ आते हैं और साम्राज्यवाद और इजरायलवाद के विरुद्ध एक गठबन्धन बनाते है”।
तीसरा, ऐतिहासिक रूप से इस्लामवाद का मार्क्सवाद और लेनिनवाद से ऐतिहासिक और दार्शनिक सम्बन्ध है। मिस्र के इस्लामवादी चिंतक सैयद कुत्ब ने इतिहास के मार्क्सवादी विकास के चरण की अवधारणा को स्वीकार किया था और इसे मात्र इस्लामी स्वरूप दिया और उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि पूँजीवाद और कम्युनिज्म के पतन के उपरांत शाश्वत इस्लामी युग आयेगा। 1978-79 की ईरानी क्रांति के पीछे प्रमुख बौद्धिक व्यक्ति अली शरियाती ने चे गुवेरा, फ्रांज फानोन और जीन पाल सार्टर का फारसी में अनुवाद किया था। इससे भी विस्तृत रूप में ईरानी विश्लेषक अजार नफीसी ने पाया कि इस्लामवाद, “ अपनी भाषा, उद्देश्य और प्रेरणा मार्क्सवाद के नाजुक स्वरूप से लेता है जितना कि यह धर्म से। इसके नेता लेनिन, सार्टेर , स्टालिन और फैनोन से भी प्रभावित हैं जैसे पैगम्बर से”।
सिद्धांत से वास्तविकता की ओर आयें तो मार्क्सवादियों की दृष्टि में उनका सिद्धांत इस्लामवादियों में पूर्ण होता दिखता है। मार्क्स ने भविष्यवाणी की थी कि व्यापारिक देशों में व्यावसायिक लाभ गिर जायेगा, जिससे उच्च अधिकारी विवश होकर कर्मचारियों को हटा देंगे, जिससे सर्वहारा वर्ग अधिक विपन्न होकर विद्रोह कर देगा और एक सामाजिक व्यवस्था का निर्माण करेगा।
पर इसके बजाय व्यावसायिक देशों का सर्वहारा अधिक सम्पन्न हो गया और इसकी क्रांतिकारी सम्भावना सूख गयी। लेखक ली हैरिस के अनुसार डेढ शताब्दी तक मार्क्सवादियों की पूंजीवाद में संकट की प्रतीक्षा बेकार गयी। उसके बाद इस्लामवादी आये जो ईरानी क्रांति से आरम्भ हुआ और 11 सितम्बर के आक्रमण सहित पश्चिम पर आक्रमण करता रहा। अंत में मार्क्सवादियों की भविष्य़वाणी सत्य हुई कि तीसरे विश्व ने पश्चिम के विरुद्ध विद्रोह आरम्भ कर दिया वैसे यह गलत झण्डे तले और गलत उद्देश्य से हुआ। एक फ्रांसीसी वामपंथी ओलिवियर बेसांसेनोट इस्लामवादियों को पूँजीवाद के नये गुलाम के रूप में देखते हैं और उनका आह्वान करते हैं यद्यपि यह स्वाभाविक नहीं है पर वे पूँजीवादी व्यवस्था को नष्ट करने के कर्मचारी वर्ग के साथ एकजुट हों। इटली के पत्रकार एंड्रिया मोरिगी और विश्लेषक लोरेंजो विडिनो के अनुसार इटली की न्यू रेड ब्रिगेड तो वास्तव में मौलवियों की क्रांतिकारी भूमिका का संज्ञान लेती है जबकि कम्युनिष्ट आन्दोलन पतन की ओर है”।
चौथा, शक्ति: इस्लामवादी और वामपंथी एक साथ मिलकर उससे अधिक प्राप्त कर सकते हैं जितना अलग- अलग। ब्रिटेन में उन्होंने एक साथ मिलकर स्टाप द वार कोएलिशन बनाया और उसकी संचालन समिति में कम्युनिष्ट पार्टी आफ ब्रिटेन और मुस्लिम एशोसिएशन आफ ब्रिटेन जैसे संगठनों का प्रतिनिधित्व रहा। ब्रिटेन की रेसपेक्ट पार्टी ने इस्लामवादी विचारधारा के साथ क्रांतिकारी अंतरराष्ट्रीय समाजवाद को आत्मसात किया। दोनों पक्षों ने एक साथ मिलकर मार्च 2008 में यूरोपीय संसदीय चुनाव में फ्रांस और ब्रिटेन के प्रत्याशियों की सूची तैयार की।
इस्लामवादियों को विशेषरूप से पहुँच, वैधानिकता, कुशलता और वामपंथियों द्वारा उपलब्ध शक्ति से लाभ होता है। ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर की पत्नी चेरी बूथ ने ब्रिटेन के एक विद्यालय में एक इस्लामी वस्त्र जिजाब पहनने के लिये अपील न्यायालय में शबीना बेगम की सहायता की। एक वामपंथी अधिवक्ता लीन स्टीवर्ट से अमेरिका का कानून तोड्कर मिस्र में क्रांति लाने वाले नेत्रहीन शेख उमर अब्दुल रहमान से भेंट की। पशु अधिकारों के लिये कार्य करने वाले कट्टरपंथी वोल्कर्ट वान डर ग्राफ ने मुसलमानों को बलि का बकरा बनाने से रोकने के लिये हालैण्ड के राजनेता पिम फार्च्युन की ह्त्या कर दी। वानेसा रेडग्रेव ने 50,00 पौण्ड की जमानत राशि का आधा जमा किया ताकि अफगानिस्तान और इंडोनेशिया में युद्ध करने वाले जिहादियों की भर्ती करने वाले जमाएल एल बना को ग्वांटेनामो बे जेल से छुडाया जा सके, रेड्ग्रेव ने अपनी एल बना की सहायता को अपने लिये काफी सम्मान का कारण बताया इसके बाद भी कि वह स्पेन में अल कायदा से सम्बन्धित आतंकी गतिविधियों के लिये वांछित था।
अधिक विस्तृत रूप में भारत की कम्युनिष्ट पार्टी ने तेहरान के लिये एक गन्दा कार्य किया और भारत आधारित एक इजरायली जासूसी सेटेलाइट टेक सार के परीक्षण को चार महीने टाल दिया। इसके साथ ही वामपंथियों ने हमास तथा अन्य फिलीस्तीनी आतंकवाद से इजरायल के सुरक्षा बलों को रोकने के लिये इन्टरनेशनल सालिडैरिटी मूवमेण्ट बना लिया।
लन्दन के स्पेक्टेटर में लिखते हुए डगलस डेविस ने इस गठबन्धन को दोनों पक्षों के लिये ईश्वर प्रदत्त बताया। वामपंथी जो कि कम्युनिष्टों, त्रास्ट्कीवादियों, माओवादियों और कास्त्रोवादियों का क्षीण होता समूह था वह अब एक समान उद्देश्य के लिये एकजुट हो रहा है कि इस्लामवादी संख्या और भावना के स्तर पर परिणाम दे सकते हैं परंतु उन्हें एक साधन चाहिये जो कि राजनीतिक स्तर पर उनका भाव बढाये। एक रणनीतिक गठबन्धन एक क्रियात्मक आवश्यकता बन गया है। सामान्य शब्दों में जैसा एक ब्रिटिश वामपंथी ने कहा है, “ एक साथ काम करने के व्यावहारिक लाभ इतने हैं कि वे मतभेदों की पूर्ति के लिये पर्याप्त है”।
पश्चिमी वामपंथियों और इस्लामवादियों के मध्य उभरता हुआ यह गठबन्धन आज का सबसे अव्यवस्थित करने वाला गठबन्धन है जो कि पश्चिम की रक्षा के उसके प्रयासों में अवरोध उत्पन्न करता है। 1939 में स्टालिन और हिटलर ने जब कुप्रसिद्ध लाल-भूरा गठबन्धन किया था तो उससे पश्चिम या सभ्यता के समक्ष एक भौतिक खतरा उत्पन्न हो गया था। हालाँकि आज यह कुछ कम नाटकीय है पर यह गठबन्धन उसी प्रकार का खतरा उत्पन्न करता है। जैसा कि सात दशक पूर्व हुआ था इसे सामने लाना, अस्वीकार करना, प्रतिरोध करना और पराजित करना आवश्यक है।