1994 में अपनी स्थापना के समय से ही द काउंसिल आन अमेरिकन इस्लामिक रिलेशंस ने उत्तरी अमेरिका के सबसे चर्चित, युद्धात्मक, हेराफेरी वाली आक्रामक एजेंसी के रूप में कार्य किया है। वाशिंगटन डी सी स्थित अपने मुख्यालय से सीएआईआर ने समस्त वहाबी लाबी के लिये तेवर और एजेंडा तय करने का भी कार्य किया है।
सीएआईआर की आलोचना करने वालों का भी बडी मात्रा में अस्तित्व है जिसमें कुछ मेरे द्वारा की गयी है लेकिन अभी तक इस गुट के प्रवक्ता और कट्टरपंथी इसके आँकडों के सम्बन्ध में किसी भी खुलासे को बचाने में सफल रहे थे। लेकिन आज Muslim Mafia: Inside the secret underworld That's conspiring to Islamize America नामक प्रकाशन ने समीकरण को परिवर्तित कर दिया है।
पी डेविड गौबाज और पाल स्पेरी द्वारा लिखित यह पुस्तक गौबाज के पुत्र क्रिस के अंवेषण पर आधारित है जिसने सीएआईआर के मुख्यालय पर 2008 में छह माह तक प्रशिक्षु के रूप में कार्य किया। इस क्षमता के अंतर्गत उसने 1200 पृष्ठ वृत्त और 300 घंटों का वीडियो प्राप्त किया।
क्रिस गौबाज की सूचना से उन अनेक तथ्यों का खुलासा होता है जिसे गोपनीय सीएआईआर छुपाना चाहती है जिसमें इसकी रणनीति, अर्थतंत्र, सदस्यता और आंतरिक विवाद शामिल हैं जिससे इसके छद्म और अवैध तरीकों का पता चलता है। इस पुस्तक में अनेक नयी सूचनायें सम्मिलित हैं जिन्हें छोटे से स्थान में संक्षेपित करना सम्भव न होगा इसलिये मैं यहाँ संगठन के आंतरिक कार्य के आयाम पर ध्यान दूँगा जहाँ आँकडे यह प्रदर्शित करते हैं कि सीएआईआर के अनेक दावे निष्ठुर धोखा हैं।
प्रथम दावा - संगठन के सम्प्रेषण निदेशक इब्राहिम हूपर के अनुसार सीएआईआर के कुल 50,000 सदस्य हैं जबकि वास्तविकता है कि जून 2007 को संगठन के सद्स्यों के लिये निर्मित ज्ञापन में यह संख्या 5,133 बतायी गयी है जो कि हूपर की अतिशयोक्ति पूर्ण संख्या का 1\10 ही है।
द्वितीय दावा- सीएआईआर एक जमीनी संगठन है जो कि आर्थिक दृष्टि से अपने सदस्यों पर निर्भर है। जबकि वास्तविकता तो यह है कि वर्ष 2002 की बोर्ड बैठक के अनुसार संगठन ने 33,000 डालर ऋण के रूप में प्राप्त किये जबकि 1,071,000 डालर दान के रूप में प्राप्त किये। दूसरे शब्दों में इसकी आय का तीन प्रतिशत से भी कम सदस्यों के ऋण से प्राप्त होता है।
तीसरा दावा- सीएआईआर का दावा है कि उसे किसी विदेशी गुट या सरकार से कोई सहायता प्राप्त नहीं होती है। जबकि वास्तविकता यह है कि गौबाज और स्पेरी के अनुसार सीएआईआर की आय का 60 प्रतिशत दो दर्जन दानदाताओं से आता है जिनमें से अधिकाँश संयुक्त राज्य अमेरिका से बाहर रहते हैं। विशेष रूप से 2002 में न्यूजर्सी में दुबई के शासकों की सम्पत्ति के हितों की रक्षा के बदले 978,000 डालर प्राप्त किये, सउदी राजकुमार अल वालीद बिन तलाल से 500,000 डालर भेंट के रूप में प्राप्त हुए और 2007 में सऊदी राजकुमार अब्दुल्ला बिन मोसाद से 112,000 डालर मिले तथा कम से कम 300,000 डालर सउदी स्थित संगठन इस्लामिक कांफ्रेन्स से प्राप्त हुए जबकि 250,000 डालर इस्लामिक विकास बैंक से मिले और 17,000 डालर अमेरिका स्थित सउदी आधारित अंतरराष्ट्रीय इस्लामिक सहायता संगठनों से प्राप्त हुए।
चौथा दावा- सीएआईआर एक स्वतंत्र घरेलू मानवाधिकार गुट है जो कि मुस्लिम एनएएसीपी के समान है। जबकि वास्तविकता तो यह है कि आर्थिक सहायता के लिये व्यग्र सीएआईआर ने विदेशी फर्मों के व्यावसायिक हितों के लिये अपनी सेवायें दी हैं। यह बात उस समय प्रकाश में आयी जब 2006 में सुरक्षा भय से दुबई बन्दरगाह संगठन ने अमेरिका के छह बन्दरगाह खरीदने का प्रयास किया। इसकी प्रतिक्रिया में सीएआईआर के अध्यक्ष ने दुबई की यात्रा की और वहाँ के उद्योगपतियों को सुझाव दिया, " अपने अंशदान को सीएआईआर को दान के रूप में मत देखिये. इसे ब्याज के रूप में देखिये। आपका 50 मिलियन डालर का निवेश अगले 50 वर्षों में आपको अरबों डालर वापस करेगा"।
इन चार तथ्यों को एकसाथ देखने से सीएआईआर का वह पक्ष उभरता है जो सामान्य सार्वजनिक छवि से पूरी तरह भिन्न है। अपने सदस्यों और ऋण से पूरी तरह वंचित यह संगठन सउदी और अरब अमीरात की सरकार को उनकी विचारधारागत और आर्थिक बोली में उनकी सहायता कर स्वयं को चला रहा है।
इससे एक स्वाभाविक प्रश्न उठता है कि क्या सीएआईआर को एक विदेशी एजेंट के रूप में पंजीकृत कर लिया जाये जिसपर वही नियम, जाँच और कर से छूट के नियम प्रभावी न हों जैसा कि ऐसे संगठ्नों पर होने चाहिये। मुस्लिम माफिया के आँकडे तो यही सुझाव देते हैं।
इससे भी आगे जब मैं देखता हूँ तो मैं अपेक्षा करता हूँ कि सीएआईआर के दिन अब गिने चुने हैं। यह एक गन्दा संस्थान है जो कि इस्लामी आतंकवादियों द्वारा स्थापित हुआ है और उसके बाद इसके अनेक आतंकवादियों से सम्पर्क रहे हैं। वर्षों तक इसने अविश्वसनीयता का कीर्तिमान स्थापित किया है जिसमें चित्रों के साथ छेड्छाड , मुस्लिम विरोधी घृणा अपराध को तोडमरोड कर प्रस्तुत करना और सन्दिग्ध मतदान को प्रेरित करना। इसने अपने आलोचकों को कानूनी प्रक्रिया द्वारा धमकाने का प्रयास किया, नव नाजियों के साथ अपने सम्बन्धों का दावा किया और चुप कराने के लिये घूस दिया। अब तो इस संगठन पर पैनी नजर रखने से इसके बन्द होने के असार दिखते हैं।
यह एक खुशखबरी है। लेकिन मेरी अपेक्षा अधिक सुखद नहीं है कि सीएआईआर के उत्तराधिकारी अधिक चतुर, ईमानदार और सम्मानित संस्थान होंगे जो कि संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में इस्लामिक विधि को लाने का प्रयास करते हुए वह गलतियाँ नहीं दुहरायेंगे जो सीएआईआर से हो सकती है। इस प्रकार देखें तो संविधान की रक्षा का संघर्ष तो अभी आरम्भ हुआ है।