यासिर अराफात के नेतृत्व में फिलीस्तीन मुक्ति संगठन इस बात के लिये कुख्यात था कि वह अरब मुस्लिम जनता के लिये कुछ दूसरा कहता था और इजरायली व पश्चिम जगत के लिये ठीक विपरीत बात कहता था एक ओर जहाँ प्रथम पक्ष के समक्ष विषाक्त शब्दों में बात करता था वहीं दूसरे पक्ष के समक्ष बडी मीठी बातें करता था। अब अराफात के शिष्टाचारी उत्तराधिकारी के सम्बन्ध में क्या माना जाये? क्या वह इस दोहरे चरित्र के आचरण को जारी रखेंगे या फिर इससे मुक्त होंगे?
यह प्रश्न उन रिपोर्टों के मध्य प्रासंगिक हो जाता है कि अब्बास इजरायल को अनेक राज्यक्षेत्रों को देने के सम्बन्ध में समझौते को तैयार हो गये हैं इसके अतिरिक्त उन्होंने अभूतपूर्व कदम उठाते हुए एक इजरायली पत्रकार को साक्षात्कार दिया और एस डैनियल अब्राहम सेंटर फार मिडिल ईस्ट पीस पर अमेरिकी यहूदी नेताओं के साथ भेंट की। एक अभूतपूर्व घटनाक्रम में अरब दैनिक अल हयात ने संकेत दिया है अब्बास ने ओबामा प्रशासन को सूचित किया है वह पश्चिमी तट और यहाँ तक कि जेरूसलम को लेकर भी कोई आदान प्रदान करने के इच्छुक हैं ( हालाँकि फिलीस्तीन अथारिटी ने तत्काल ऐसी किसी सम्भावना से इंकार कर इस समाचार का खण्डन किया है)
साक्षात्कार में अब्बास ने स्वयं को इस रूप में प्रस्तुत किया कि वह शांति समझौते को लेकर अत्यंत उत्सुक हैं और अंतर्राष्ट्रीय सेना के विचार को भी स्वीकार करने को तैयार हैं। इन प्रयासों के सम्बन्ध में अब्बास के एक सहयोगी ने कहा कि, " वह इजरायल की जनता तक अपना सन्देश देना चाहते हैं . .... हम इस खेल की समाप्ति के लिये एक इजरायली मित्र चाहते हैं जो कि शांति को चुने न कि बस्ती को जो कि शांति को चुने न कि कब्जे को"। अब्बासे ने स्वयं इजरायल के लोगों को चेतावनी दी, " मुझे शांति की आशासे निराश न होने दीजिये"
अंततोगत्वा, अब्राहम सेंटर की बैठक की पांडुलिपि से पता चलता है कि अब्बास ने संक्षेप में अपने श्रोताओं के समक्ष वही कहा जो वह सुनना चाहते थे कि वह हिंसा की निन्दा करते हैं , इजरायल का जिस भूमि पर नियंत्रण है उस भूमि के साथ ऐतिहासिक यहूदी सम्बन्धों को वे स्वीकार करते हैं , इजरायल की सुरक्षा चिंता को स्वीकार करते हैं और इस बात का आश्वासन देते हैं कि फिलीस्तीनी अथारिटी मीडिया और विद्यालय की सामग्री से भडकाऊ चीज़ें हटा देंगे। यहूदी नरसंहार के नाजुक विषय पर जिस विषय पर अब्बास ने स्वयं पी-एच.डी की है और सोवियत संघ में शोध प्रबन्ध में उन्होंने इजरायलवादियों पर इस बात का आरोप लगाया है कि उन्होंने राजनीतिक कारणों से मारे गये यहूदियों की संख्या को बढा चढा कर प्रस्तुत किया। अब्बास ने इस बैठक में स्वीकार किया कि यहूदियों ने कष्ट झेला है और उन्होंने नरसंहार को अस्वीकार करने को अस्वीकार किया।
इन सबसे क्या निष्कर्ष निकाला जाये? अब्बास ने दावा किया कि उन्होंने अमेरिकी यहूदी नेताओं से बात की है और वह भी उसी भाषा में जिसमें वे फिलीस्तीन की सडकों पर बात करते हैं। कठिन है।
वास्तव में फिलीस्तीन अथारिटी मीडिया ने उन बयानों को अधिक मह्त्व दिया जो कि सरल शब्दों में कहें तो इजरायल और अमेरिका के लोगों को संकेतित मीठे शब्दों के एकदम विपरीत हैं और उनका खण्डन करते हैं। जैसे ही अब्बास के दूसरे पक्ष की ओर जाने का समाचार सामने आया उसी अनुपात में फिलीस्तीन मीडिया वाच की ओर से सूचना आयी कि फिलीस्तीनियों को ठीक इसके विपरीत सन्देश दिया गया।
उदाहरण के लिये फिलीस्तीन अथारिटी टीवी जो कि सीधे महमूद अब्बास के कार्यालय से नियंत्रित होता है वहाँ एक साप्ताहिक खेल शो द स्टार्स होता है जिसमें फिलीस्तीनी विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधि प्रश्नों का उत्तर देने के लिये प्रतिस्पर्धा करते हैं। अभी हाल के एक शो में भूगोल के दो प्रश्नों ने अप्रत्यक्ष रूप से इजरायल राज्य के अस्तित्व को नकार दिया।
- " फिलीस्तीन" की समुद्री रेखा कितनी लम्बी है? उत्तर , 235 किलोमीटर जिसमें गाजा की सामुद्रिक रेखा ( 45 किलोमीटर) और इजरायल की भूमध्यसागरीय समुद्र तट ( लगभग 190 कि.मी)
- फिलीस्तीन की लम्बाई कितनी है? उत्तर 27,000 वर्ग किलोमीटर जिसमें पश्चिमी तट और गाजा पट्टी ( 6,000 वर्ग कि.मी) और साथ ही इजरायल ( 21,000 वर्ग कि.मी)
इसी प्रकार के एक अन्य दोहरेपन के उदाहरण में स्वयं को फिलीस्तीन अथारिटी के प्रधानमंत्री कहने वाले सलाम फय्याद ने आस्पेन कोलोराडो में अंग्रेजी में एक वर्ष पूर्व कहा था कि भविष्य़ के फिलीस्तीनी राज्य में यहूदियों का स्वागत है जहाँ उन्हें " वे सारे अधिकार होंगे और निश्चय ही उससे कम कोई भी अधिकार नहीं होगा जैसा अधिकार इजरायल राज्य में इजरायली अरब को है"।
निश्चय ही अत्यन्त सुन्दर शब्द हैं। यद्यपि कुछ ही दिनों पूर्व फिलीस्तीन अथारिटी के समझौता विभाग के प्रमुख सायेब एरेकाट ने अरबी भाषा में ठीक इसके विपरीत कहा था। ( मेमरी द्वारा उपलब्ध ) " कोई भी इस बात पर राजी नहीं होगा कि इजरायली लोग फिलीस्तीनी राज्य में बसें.... कुछ लोगों का कहना है कि हम इन बासिन्दों को नागरिकता देंगे। हम ऐसे किसी भी विचार को सिरे से अस्वीकार करते हैं"।
अब्बास और फय्याद अमेरिकी औए इजरायली लोगों के लिये अंग्रेजी में बोलते हैं, एरेकाट अरबी में फिलीस्तीनियों के लिये बोलते हैं। दोनों ही बयान तो सच नहीं हो सकते , इनमें से एक तो अवश्य असत्य होगा। वह कौन सा है, मैं सोचता हूँ?
फिलीस्तीनी ऐसा पारदर्शी और सामान्य मस्तिष्क का दोहरा खेल खेलते हैं क्योंकि यह सफल है। इजरायल और अमेरिका के लोग उन मीठे शब्दों को स्वीकार कर लेते हैं जिसे वे प्रायः प्रत्यक्ष रूप से सुनते हैं और उन कठोर शब्दों को अस्वीकार कर देते हैं जिनके बारे में केवल सुनते हैं। फिलीस्तीन अथारिटी इसी प्रकार अपना असत्य प्रचार करती रहेगी जब तक विश्व उसे सुनकर उसे अस्वीकार नहीं कर देगा। बार बार गलत व्यवहार को पुरस्कृत करते रहने से और भी गलत व्यवहार होता है।
आखिर कब हम स्वयं को धोखा देना बन्द करेंगे और स्वीकर करेंगे कि अब्बास और फिलीस्तीनी अथारिटी सम्पूर्ण रूप से यहूदी राज्य को नष्ट करना
चाहते हैं ? अखिर किस विनाश की प्रतीक्षा है कि जब हम वास्तविकता की ओर अपनी आंखें खोलें?