टाइम स्क्वयेर पर लगभग बम विस्फोट कर देने वाले फैसल शहजाद ने न्यायालय में अपनी गवाही के दौरान अकेले ही ओबामा प्रशासन के उन प्रयासों को धता बता दिया जिसके अनुसार इस्लामवाद और जिहाद के खतरों की अवहेलना करने के प्रयास किये जा रहे हैं।
शहजाद का सीधासादा उद्देश्य सम्बन्धी बयान महत्व का है क्योंकि जिहादी जब भी विधिक अभियोगों का सामना करते हैं तो स्वयं को निर्दोष बताते हैं या फिर अपील की सौदेबाजी करते हैं। कुछ उदाहरण प्रस्तुत हैं-
- नवीद हक- सियेटल में यहूदी महासंघ के भवन पर आक्रमण किया और उसे पागलपन के आधार पर दोषी सिद्ध नहीं किया गया।
- ली माल्वो- बेल्टवे में गोली चलाने वाले इस व्यक्ति ने अपने कृत्य की व्याख्या इस प्रकार की, " गोली चलाने का एक कारण यह था कि श्वेत व्यक्तियों ने लुइस फराखान को क्षति पहुँचाने का प्रयास किया था"। उसके सहयोगी जान एलेन मोहम्मद ने मृत्यु कक्ष में भी उसे निर्दोष सिद्ध करने का प्रयास किया।
- हसन अकबर- इसने अपने दो सहयोगी अमेरिकी सैनिकों को सोते समय सैन्य परिसर में मार डाला और फिर न्यायालय में कहा, "आक्रमण के लिये मैं क्षमा चाहता हूँ। मुझे ऐसा लगा कि मेरा जीवन खतरे में है और मेरे पास अन्य कोई विकल्प नहीं है। मैं आपसे क्षमा चाहता हूँ" ।
- मोहम्मद तहेरी अज़ार- इसने उत्तरी कैरोलिना के विश्वविद्यालय में चलती हुई कार विद्यार्थियों पर चला कर उन्हें मारने का प्रयास किया और इस दौरान अमेरिका के विरुद्ध अनेक जिहादी नारे भी लगाये परंतु उसके बाद तत्काल ह्रदयपरिवर्तन का अनुभव किया और घोषणा की कि वह अपने अपराध के लिये दुखी है और इस आधार पर स्वयं को मुक्त करने की माँग की कि अब वह एक अच्छे, देखभाल करने वाले और कैलिफोर्निया के समाज में एक उपयोगी सदस्य के रूप में स्वयं को पुनर्स्थापित कर सके।
ये प्रयास इस्लामवादियों के असत्य वाचन की व्यापक परिपाटी में सटीक बैठते हैं और बिरले ही जिहादी अपने सिद्धांतों पर टिके रहते हैं। 11 सितम्बर की घटना में 20वाँ सम्भावित अपहरणकर्ता जकारियास मुसौवी पहले तो अपने अपराधों से मुकर गया और अपील की लेकिन उसके बाद एक दिन उसके विरुद्ध सभी आरोप सिद्ध हो गये।
30 वर्षीय शहजाद जब 21 जून को न्यूयार्क शहर के संघीय न्यायालय में आया तो उसने अपवादात्मक ढंग से व्यवहार किया। उसने न्यायाधीश मिरियाम गोल्डमान सेडारबौम के अनेक प्रश्नों का बडे अनमने और अवमाननापरक ढंग से उत्तर दिया ( जैसे बम कहाँ था? आपने बन्दूक के साथ क्या किया?) एक ओर तो उसने विनम्रता से, शांत भाव से, धैर्य से और पूरी सूचना के साथ अपने कार्य के सम्बन्ध में जानकारी दी। दूसरी ओर उसने उसी आवाज में अपने इस सामूहिक नरसंहार को न्यायसंगत भी ठहराया।
न्यायाधीश ने शहजाद से प्रश्न किया और वह भी तब जब उसे सभी दस आरोपों के लिये दोषी मान लेने का आशय सुनिश्चित कर लिया, " आप आरोपों को स्वीकार क्यों कर रहे हैं"? यह एक सही प्रश्न था क्योंकि इससे यह सुनिश्चित हो रहा था कि एक बार आरोप सिद्ध होने के बाद उसे लम्बे समय तक कारावास में व्यतीत करने होंगे। इस पर शहजाद ने उत्तर दिया,
मैं अपराध स्वीकार करता हूँ और आगे भी मैं यह अपराध सौ बार स्वीकार करूँगा जब तक कि संयुक्त राज्य अमेरिका इराक और अफगानिस्तान से अपनी सेनायें वापस नहीं बुलाता , सोमालिया, यमन और पाकिस्तान में ड्रोन के आक्रमण बन्द नहीं हो जाते, मुस्लिम भूमि पर कब्जे की कार्रवाई बन्द नहीं कर देता और मुसलमानों की हत्या बन्द नहीं कर देता और मैं यह अपराध स्वीकार करता हूँ।
शहजाद ने इस बात पर जोर दिया कि वह स्वयं को इस रूप में चित्रित करे कि वह अमेरिकी कार्यों का उत्तर दे रहा है, " मैं मुस्लिम देशों के विरुद्ध अमेरिका के आतंक के उत्तर का भाग हूँ और उसी ओर से मैं आक्रमणों का प्रतिकार कर रहा हूँ" इसमें उसने जोडा, " हम मुसलमान एक समुदाय हैं"। मानों वह इतने से संतुष्ट नहीं था उसने सीधे सपाट शब्दों में कहा कि उसका उद्देश्य अधिक से अधिक भवनों को ध्वस्त करना और लोगों को घायल करना और उन्हें मारना है क्योंकि, " लोगों को समझ में आना चाहिये मैं कहाँ से आता हूँ, क्योंकि मैं स्वयं को मुजाहिद मानता हूँ एक मुस्लिम योद्धा"।
जब सेडारबौम ने इस ओर संकेत किया कि टाइम्स स्क्वयेर पर 1 मई को सायंकाल के समय पदयात्री तो मुसलमानों पर आक्रमण नहीं कर रहे थे तो शहजाद ने उत्तर दिया, " अमेरिकी लोग सरकार का चुनाव करते हैं और हम सभी को एक ही मानते हैं"। उसका बयान केवल इस बात को ध्वनित नहीं करता कि अमेरिकी नागरिक अपनी लोकतांत्रिक चुनी हुई सरकार के कार्यों के लिये उत्तरदायी हैं वरन इससे यह इस्लामवादी विचार भी प्रकट होता है कि परिभाषा के अनुसार काफिर निर्दोष नहीं हो सकता।
यद्यपि यह विरोध है फिर भी इसे बोलने वाले ने सत्य का सहारा तो लिया। शहजाद द्वारा अपने इस्लामी उद्देश्यों को स्पष्ट करने की इच्छा के साथ साथ लम्बा समय जेल में बिताने की तैयारी ओबामा प्रशासन के उन प्रयासों के मुँह पर करारा तमाचा है जिसके अनुसार इस्लामवाद को शत्रु के रूप में नामित करने के स्थान पर कुछ अपंग शब्दों जैसे, " बाहरी देशों से घातक कार्रवाई" और " मानव निर्मित आपदा" का प्रयोग किया जा रहा है।
अमेरिका और सामान्य रूप से सभी पश्चिमी लोगों , गैर मुसलमानों और इस्लामवाद विरोधी मुसलमानों को फैसल शहजाद की स्पष्ट पीडादायक उद्घोषणा सुन लेनी चाहिये कि उनके इस्लामवाद विरोधी आक्रोश और आकाँक्षाओं से उनके आतंकवादी शत्रुओं को प्रेरणा मिलती है। इस तथ्य की अवहेलना करने से यह विलुप्त नहीं हो जायेगा।