लुइस फराखान ने अभी हाल में सोलह यहूदी संगठनों को दो पुस्तकों सहित तीन पृष्ठ का एक पत्र भेजा है।
24 जून 2010 की तिथि के इस पत्र में चन्द्रमा और तारा पूरी तरह चमक रहा है और साथ ही फराखान का प्रभावी प्रतिध्वनित होता शीर्षक ( सम्माननीय एलिजाह मोहम्मद और नेशन आफ इस्लाम के राष्ट्रीय प्रतिनिधि)। इसमें उन्होंने घोषणा की है कि पुस्तकें ( The Secret Relationship Between Blacks and Jews के द्वितीय संस्करण और Jews Selling Blacks: Slave Trade by American Jews) -
स्पष्ट रूप से तथ्यों द्वारा यहूदियों के अश्वेत विरोधी व्यवहार को प्रमाणित करते हैं जिसका आरम्भ परा एटलांटिक दास व्यापार, बागान दास से हुआ , जिम क्रो, बटाई, उत्तर और दक्षिण का मजदूर आन्दोलन , मजदूर यूनियन और हमारे लोगों का दुरुपयोग जो कि अभी तक जारी है।
फराखान ने पत्र प्राप्त करने वाले लोगो को चुनौती दी है जिसमें जे स्ट्रीट के जेरेमी बेन अमी से लेकर अमेरिकन इजरायल पब्लिक अफेयर्स कमेटी के ली रोजेनबर्ग तक और जायोनिस्ट आर्गनाइजेशन आफ अमेरिका के मार्टन क्लेन तक शामिल हैं और उनसे कहा है कि -
कि वे उनके और उनके समर्थकों द्वारा किये गये किसी ऐसे कार्य का उल्लेख करें जिससे कि एक भी यहूदी व्यक्ति को क्षति पहुँची हो, यहूदियों को व्यवसाय करने से रोका गया हो, उनकी शिक्षा में बाधा डाली गयी हो, उनके परिवारों को क्षति पहुँचाई गयी हो या फिर उनके गिरिजाघर को ध्वस्त किया गया हो।
फराखान घोषणा करते हैं कि " आपको ऐसा एक भी उदाहरण नहीं मिलेगा" जो फिर प्रश्न करते हैं कि "किस आधार पर आप मेरे ऊपर सेमेटिक विरोध का आरोप लगाते हैं"? ठीक इसके विपरीत वे आरोप लगाते हैं कि "हम आप पर आरोप लगा सकते हैं अमेरिका के इतिहास में और विश्व के इतिहास में आप लोगों का व्यवहार पूरी तरह अश्वेत विरोधी और शत्रुता का रहा है। हम आप पर आरोप लगा सकते हैं कि आप लोग तथाकथित धोखेबाज मित्र हैं, जबकि हमारे साथ आपका इतिहास यही दर्शाता है कि आप हमारे सबसे बुरे शत्रु रहे हैं"। फराखान इस तथ्य का भी उल्लेख करते हैं कि यहूदी " विश्व में सत्ता के शीर्ष पर स्थित हैं अपनी सम्पन्नता और प्रभाव के साथ जबकि हमारे लोगों की आम जनता अमेरिका में, कैरेबियन क्षेत्र में, मध्य और दक्षिण अमेरिका में और विश्व के अन्य क्षेत्रों में मानव परिवार के किसी भी अन्य सदस्य से बदतर स्थिति में है"।
वह इन तथ्यों को रेखाँकित कर सकते थे परंतु उनका कहना है कि उन्होंने ऐसा नहीं किया, " मैं यह घृणा, मनमुटाव या बदले की भावना से नहीं लिख रहा हूँ"। इसके विपरीत उनको आशा है कि वे यहूदियों के साथ सम्पर्क बना सकेंगे- " मैंने वर्षों तक आपके साथ बुद्धिमत्तापूर्ण विचार विनिमय की बात की पर आपने मुझे अस्वीकार कर दिया"। पूर्ववर्ती असफलता के बाद फराखान को इन नयी पुस्तकों ने पुनः नये सिरे से प्रयास करने की प्रेरणा दी, " मैं आपसे पुनः विचार विनिमय के लिये कहता हूँ" ।
फराखान के लिये विचार विनिमय क्षतिपूर्ति के समतुल्य है। क्योंकि यहूदी इस स्थिति में हैं " वे अल्लाह द्वारा एलिजाह मोहम्मद को दिये गये कार्य में मेरी सहायता करें कि मैं सभ्यता के इस कार्य को आगे ले जा सकूँ"। अधिक स्पष्ट रूप से, " यह आपके समक्ष एक प्रस्ताव है कि मैं आपसे कहता हूँ और जिन पर आपका प्रभाव है कि आपके पूर्वजों द्वारा जो क्षति हमारे लोगों को पहुँचाई गयी है उसे ठीक करने में हमारी सहायता करें" । दूसरे शब्दों में अश्वेत लोगों के लिये क्षतिपूर्ति की माँग अमेरिकी सरकार से वर्षों तक करने के बाद वे यहूदियों की ओर देख रहे हैं कि वे अपनी पुरानी गलतियों का सुधार करें। फराखान इसे यहूदियों के लिये एक अवसर बता रहे हैं ( यह यहूदियों की वर्तमान पीढी के लिये अद्बुत अवसर है कि अल्लाह के न्याय से बच सकें) और फिर एक चेतावनी-
या तो आप मेरे और नेशन आफ इस्लाम के विरुद्ध एक निर्णायक संघर्ष के लिये अपनी सेनायें एकत्र करें उसके विरुद्ध जो कुछ मैं लिखता या बोलता हूँ या फिर एक सभ्य और बुद्धिमान लोगों की भाँति हम साथ मिल बैठकर एक कदम आगे बढायें ताकि अतीत के दाग को धोकर यहूदी और अश्वेत एक नये सम्मानित और पारस्परिक सम्मान के वातावरण में रहें।
यहूदियों को यह प्रस्ताव अस्वीकार कर देना चाहिये, इस पर फराखान की धमकी है " अपमान और विनाश"
यदि आप मेरे लोगों के लिये मेरे संघर्ष को अधिक कठिन बना देंगे तो मैं अत्यंत आदर पूर्वक आपको चेतावनी देता हूँ – जितना ही आप मेरे लोगों के स्तर को उठाने में मेरी सहायता नहीं करेंगे उतना ही अल्लाह और उसका मसीहा आपको अपमान और विनाश देगा और यहाँ तथा समस्त विश्व में आपकी सत्ता और प्रभाव को नष्ट कर देगा।
वे पत्र की समाप्ति " आदरणीय और भवदीय के साथ समाप्त करते हैं।
टिप्पणियाँ-
1 - 26 जून को फराखान ने अपने एक भाषण में घोषणा की थी कि उन्होंने अनेक यहूदी नेताओं को यह पुस्तक भेजी है-
हमने The Secret Relationship Between Blacks and Jewsके द्वितीय संस्करण को प्रकाशित कराया है – मैंने यह पुस्तक और इसके साथ एक और पुस्तक Jews Selling Blacks अब्राहम फाक्समैन सहित प्रमुख यहूदी संगठनों के नेताओं को भेजा है। मैंने इसे राष्ट्रपति ओबामा, राम इमैनुवल, डेविड एक्सेलोर्ड, टिमोथी गीथनर, लैरी समर्स और बेन बरनांके
2 - फराखान के प्रकाशन The Final Call के अनुसार किसी भी यहूदी नेता ने इस पत्र का उत्तर नहीं दिया और इसे अस्वीकार कर दिया।
3 - नेशन आफ इस्लाम की ऐतिहासिक शोध टीम ( व्यक्तियों का नाम नहीं है) ने The Secret Relationship Between Blacks and Jews का प्रथम संस्करण 1991 में प्रकाशित किया था। संक्षेप में प्रथम संस्करण कोई विद्वता पूर्ण कार्य न होकर The Protocols of the Learned Elders of Zion पर आधारित था जो कि षडयंत्रकारी सिद्धांत पर अधारित था ताकि यहूदियों के विरुद्ध घृणा फैलाई जा सके। हेराल्ड ब्रैकमैन ने Ministry of Lies: The Truth behind the Nation of Islam's "The Secret Relationship between Blacks and Jews" द्वारा इसके बौद्धिक पक्ष को चुनौती दी। (Four Walls Eight Windows, 1994) and Saul S. Friedman finished the job in Jews and the American Slave Trade (Transaction, 1998).
4 - यहूदियों को परा एटलांटिक दास व्यापार के लिये बदनाम करने के प्रयासों से 11 सितम्बर की घटना के लिये यहूदियों को दोषी बताये जाने का षडयंत्रकारी सिद्धांत का स्मरण हो आता है दोनों ही मामलों में मुसलमानों से जुडे विषय के लिये यहूदियों की कहानी बनाई गयी।
5 - फराखान अपने पत्र में स्पष्ट परंतु चतुर दोहरेपन का सहारा लेते हैं, " हम आप पर आरोप लगा सकते हैं" जिसमें आरोप लगाया भी गया है और नहीं भी। हम आपके सामने एक प्रस्ताव ला रहे हैं लेकिन यदि आपने इसे अस्वीकार कर दिया तो अपमान और विनाश की प्रतीक्षा करो। यह पत्र तो एक प्रकार से अपरोक्ष रूप से उगाही का प्रयास सा लगता है।
6 - यह सेमेटिक विरोध का भी उदाहरण है जहाँ एक व्यक्ति इस बात की आशा रखता है कि कि उसकी कल्पना में जो यहूदियों की सत्ता है उससे उनकी सहायता करे और जिन पर उनका प्रभाव है उन्हें भी सहायता के लिये कहें।
7 - सभी को सोचना चाहिये कि व्हाइट हाउस में बराक ओबामा की उपस्थिति और अफ्रीका के उच्च आर्थिक दर के बाद फराखान को अपने लोगों के स्तर के उत्थान के लिये यहूदियों पर निर्भर नहीं होना चाहिये।
8 - यह पत्र फराखान की सेमेटिक विरोध की प्रवृत्ति के अनुरूप ही है जब उन्होंने 1978 में नेशन आफ इस्लाम की पुनर्स्थापना की थी। एलिजाह मोहम्मद जिनकी मृत्यु 1975 में हुई तब तक फराखान और नेशन आफ इस्लाम ने यहूदियों में अत्यंत कम रुचि दिखाई थी।
9 - जायोनिस्ट आर्गनाइजेशन आफ अमेरिका के क्लेन ने इस पत्र को, " ढके रूप से यहूदियों के विरुद्ध हिंसा का आह्वान बताया है" । यह बात सत्य है क्योंकि फराखान को पूरी तरह पता है कि जो उत्तर वे माँग रहे हैं वह उन्हें नहीं मिलेगा।
10 - फराखान ने ओबामा की प्रशंसा करते हुए उन्हें, " समस्त विश्व के लिये आशा" बताया है "एक ऐसा व्यक्ति जो अमेरिका को नरक से बाहर ला सकता है" और जो कि " मसीहा" द्वारा भेजा गया है। ओबामा के राष्ट्रपतित्व काल ने उन्हें यहूदियों के विरुद्ध नये सिरे से आक्रमण के लिये प्रेरित किया है।
11 - आखिर काउंसिल आन अमेरिकन इस्लामिक रिलेशंस, द इस्लामिक सोसाइटी आफ नार्थ अमेरिका , द मुस्लिम अमेरिकन सोसाइटी और द मुस्लिम पब्लिक अफेयर्स काउंसिल कहाँ हैं? सभी को प्रतीक्षा है कि कब वे फराखान की निन्दा करते हैं?