अंकारा द्वारा अभी हाल में गाजा को इजरायल की खुली जेल कहे जाने की पृष्ठभूमि में आज की तिथि जो कि साइप्रस पर तुर्की के आक्रमण की वर्षगाँठ है विशेष रूप से प्रासंगिक है।
इजरायल की ओर तुर्की की नीति ऐतिहासिक रूप से गर्मजोशी की रही है और अभी एक दशक पहले ही सम्पूर्ण गठबन्धन की ओर प्रयासरत थी 2002 में अंकारा में इस्लामवादियों की सत्ता के बाद से यह नीति ठण्डी हो चुकी है। जनवरी 2009 में इजरायल – हमास के युद्ध के समय यह विद्वेष पूरी तरह स्पष्ट हो गया। प्रधानमंत्री रिसेप तईप एरडोगन ने इजरायल की नीतियों की व्यापक रूप से निन्दा करते हुए कहा, " अमानवीय कार्रवाई हो रही है जो स्वयं इसके विनाश का कारण बनेगा" और यहाँ तक कि ईश्वर को भी याद किया ( अल्लाह उन लोगों को दण्डित करेगा जो कि निर्दोष लोगों के अधिकारों का हनन कर रहा है)। प्रधानमंत्री की पत्नी एमीन एरडोगन ने अत्यंत अतिशयोक्तिपूर्ण शब्दों में इजरायली कार्रवाई की निन्दा करते हुए कहा कि " इन्हें शब्दों में व्यक्त करना सम्भव नहीं है"
बयानों के द्वारा इन आक्रमणों ने आगे चलकर और अधिक विद्वेष का स्वरूप ग्रहण कर लिया जिसमें इजरायल के राष्ट्रपति का अपमान, नौपरिवहन को प्रायोजित करना और तुर्की के राजदूत को वापस बुलाना।
तुर्की के इस आक्रोश से एक प्रश्न उठता है कि क्या गाजा में इजरायल की स्थिति साइप्रस में तुर्की की स्थिति से भी बुरी है।
- ज़ुलाई –अगस्त 1974 में जब तुर्की ने आक्रमण किया तो उसने साइप्रस के ग्र्रीक ग्रामवासियों को आतंकित करने के लिये रासायनिक हथियारों का प्रयोग भी किया इस बात का उल्लेख अल्पसंख्यक अधिकार मामलों की समिति ने किया है। इसके विपरीत जब इजरायल ने गाजा को पाने के लिये भयानक संघर्ष किया तो उसमें परम्परागत हथियारों का ही प्रयोग किया गया और लगभग कोई भी नागरिक मौत नहीं हुई।
- इसके तत्काल बाद जब प्रायद्वीप के 37 प्रतिशत क्षेत्र पर अधिकार किया तो पूरे क्षेत्र में नस्ली सफाई का कार्य किया गया जैसा कि अभी हाल में मिनेसोटा विश्वविद्यालय के विलियम मैलिंसोन ने अपने प्रकाशन में दिखाया है। इसके विपरीत यदि कोई इजरायल के अधिकारियों पर नस्ली सफाई का आरोप लगाना चाहता है तो ऐसा उसके अपने लोगों की नस्ली सफाई का आरोप होगा कि 2005 में यहूदियों के विरुद्ध इजरायल ने ऐसा किया।
- मैलिंसन का कहना है कि तुर्की सरकार ने " उपनिवेशवाद की व्यवस्थित योजना" को प्रायोजित किया जो कि उत्तरी साइप्रस का पूर्ववर्ती ग्रीक क्षेत्र था। 1973 में तुर्की साइप्रसी 120,000 की संख्या में थे पर्ंतु तब से अब तक इस क्षेत्र में तुर्की गणराज्य के 160,000 लोग इस क्षेत्र में बस चुके हैं। गाजा में एक भी इजरायली समुदाय का व्यक्ति नहीं बचा है।
- अंकारा ने इस क्षेत्र पर इतना नियंत्रण स्थापित कर रखा है कि एक वरिष्ठ तुर्की राजनेता बुलेंट अकारकाली के अनुसार , " उत्तरी साइप्रस का शासन तुर्की के एक राज्य की भाँति चलाया जा रहा है" जबकि गाजा में इजरायल के शत्रु हमास का राज्य है।
- तुर्क ने " उत्तरी साइप्रस का तुर्की गणराज्य" नामक एक कृत्रिम स्वायत्त ढाँचा खडा कर रखा है जबकि गाजावासी वास्तव में स्वायत्तता का उपभोग कर रहे हैं।
- इस प्रायद्वीप से होकर एक दीवार जाती है जो कि शांतिप्रिय ग्रीक लोगों को उत्तरी साइप्रस से दूर रखती है जबकि इजरायल की दीवार फिलीस्तीनी आतंकवादियों को परे रखती है।
इसके साथ ही भूतिया फमागुस्ता शहर है जहाँ तुर्की कार्रवाई असद के नियंत्रण वाले सीरिया की याद दिलाती है। जब तुर्की वायुसेना ने साइप्रस के बन्दरगाह शहर पर बम गिराये तो तुर्की की सेना इसे घेरने के लिये आगे बढी जिससे कि सम्पूर्ण ग्रीक जनसंख्या भागने के लिये विवश हुई ( उन्हें भय था कि उनका सामूहिक नरसंहार होगा)। तुर्की की सेना ने तत्काल शहर वारोशा के मुख्य भाग को बाड से घेर दिया और किसी को भी वहाँ रहने से रोक दिया।
प्रकृति ने जब एक बार फिर एक शहर को अपने नियंत्रण में ले लिया तो 1974 से लेकर अब तक यह संकट में ही है। हैफा विश्वविद्यालय के स्टीवेन प्लाट ने इस क्षेत्र का दौरा किया और बताया, " कुछ भी नहीं बदला है---- कहा जाता है कि इस भूतिया शहर में अब भी 1974 के कार के माडल ही कार वितरक प्रयोग करते हैं। फामगुस्ता शहर के बलात्कार के बाद अनेक वर्षों के बाद भी लोग बन्द हुए भवनों में अब तक जलते हुए बल्ब देखते हैं"। जिज्ञासा की बात है कि 1974 की गर्मियों के बाद से एक और लालटेनी भूतिया शहर है। तुर्की द्वारा साइप्रस पर आक्रमण करने के ठीक 24 दिन पूर्व इजरायल की सेना ने क्वीनेट्रा के सीमावर्ती क्षेत्र को खाली कराया था और इसे सीरिया के अधिकारियों को सौंप दिया था। राजनीतिक कारणों से हाफिज अल असद ने इस क्षेत्र में किसी को भी जीवित नहीं रहने दिया। दशकों के बाद भी यह पूरी तरह खाली है और शत्रुता के हाथों बन्धक है।
एरडोगन का दावा है कि उत्तरी साइप्रस में तुर्की की सेना का नियंत्रण नहीं है वरन तुर्की की ओर से सत्ता की गारण्टी है जो भी इसका अर्थ हो। वैसे बाहरी विश्व मूर्ख नहीं है। यदि एल्विस कोस्टेलो ने अभी हाल में फिलीस्तीन के लोगों के कष्ट के विरोध में तेल अवीव में कार्यक्रम से अपना नाम वापस ले लिया तो जेनिफर लोपेज ने अपना कार्यक्रम उत्तरी साइप्रस में मानवाधिकार उल्लंघन के विरोध में नहीं किया।
संक्षेप में उत्तरी साइप्रस की स्थिति सीरिया जैसी है और वह गाजा से कहीं अधिक खुली जेल की स्थिति में है। किस आधार पर अंकारा गाजा के मामले में नैतिकता के आधार पर कोई बात करता है यह आडम्बर है जबकि वह स्वयं एक क्षेत्र पर आक्रामक रूप से अधिकार जमाये हुए है। तुर्की नेतृत्व को चाहिये कि वह गाजा के मामले में टाँग अडाने के बजाय साइप्रस पर अपना दशकों का अविधिक और अवरोधात्मक कब्जा समाप्त करे जिसने दुखद रूप से साइप्रस को विभाजित कर रखा है।