इजरायल के पडोसियों में लेबनान सदैव इसकी कमजोर केंद्रीय सरकार की विशेषता के साथ खडा रहा परंतु पहले 20 वर्षों में 1948 से 68 तक इसके कारण इजरायल को किसी प्रकार का खतरा उत्पन्न नहीं हुआ: केवल जब फिलीस्तीनियों ने राज्य के अंदर राज्य की स्थापना कर ली तो इसकी अराजकता यहूदी राज्य के लिये एक मुख्य चुनौती बन गयी जिसका प्रतीक दिसम्बर 1968 के बेरूत विमानपत्तन पर छापा था। इसके बाद अनेक छोटे संघर्ष हुए ( 1982 तथा 2006 का युद्ध) । लेबनान अभी भी अराजक स्थिति में है और हिजबुल्लाह का मुख्य केंद्र है यह भविष्य में अरब इजरायल के लिये युद्धभूमि बन सकता है।
शक्तिशाली मिस्र राज्य ने मुबारक के राज्य के अंतिम दिनों तक सिनाय पर बडी कठोरता से शासन किया जैसे जैसे बेदोइन इस्लामवादी होते गये उनका शासन इन पर नियंत्रण स्थापित नहीं रख सका। मिस्र के पर्यटकों के विरुद्ध आतंकवाद चलता रहा ( 2005 में शर्म अल शेख में आक्रमण) तथा इजरायल के राज्य क्षेत्र पर आक्रमण। मुबारक के त्यागपत्र के पश्चात ये आक्रमण बढे और यह क्षेत्र पूरी तरह से खाली जैसा हो गया और भविष्य में ये आक्रमण जारी रहेंगे।
2005 में गाजा से इजरायल की एकतरफा वापसी के पश्चात हमास का यहाँ नियंत्रण हो गया, और इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिये कि इसने इजरायल पर राकेट दागने आरम्भ कर दिये विशेष रूप से सद्रात शहर पर जिससे कि 2008 -09 में इजरायल को इस क्षेत्र पर विजय प्राप्त करनी पडी। इससे कुछ हद तक हिंसा रुकी पर राकेट दागना जारी रहा।
अब इजरायल की सेना गुप्तचर की ओर से सुना गया है कि वे मानते हैं कि गोलन पहाडियाँ अराजक होंगीं क्योंकि जैसे जैसे असद सरकार अपनी सेना को कुछ अन्य आवश्यक कार्य के लिये हटायेगी तो अनेक आतंकवादी समूह इस ओर आयेंगे।
यदि ऐसा होता है तो केवल दो सीमायें कुछ सुरक्षा के साथ रह जायेंगी एक ओर जार्डन ( जहाँ कि राजपरिवार की अपनी समस्यायें हैं ) तथा पश्चिमी तट( जहाँ कि आई डी एफ पेट्रोलिंग करता है)
टिप्पणियाँ (1) जैसा कि मैंने आधा वर्ष पूर्व Anarchy, the New Threat में कहा था कि पूरी तरह शासन से परे और अराजकता का यह वातावरण विश्व भर में है विशेष रूप से वृहत्तर मध्य पूर्व में जिसमें कि लीबिया, सोमालिया , यमन , इराक और अफगानिस्तान भी आता है। (2) ईरान के परमाणु हथियारों के प्रति इजरायल का पूरी तरह ध्यान जाने के बाद भी इस परिचित परंतु महत्वपूर्ण खतरे से ध्यान नहीं हटाना चाहिये।