अमेरिका के राष्ट्रपति और इजरायल के प्रधानमंत्री ने ईरान के परमाणु खतरे पर मुख्य व्याख्यान दिये और फिर कल वे दो घन्टे के लिये साथ बैठे और इसके उपरांत बयान भी जारी हुआ फिर भी आज मेरा स्तम्भ 1962 में आई एक पुस्तक पर है book that appeared in 1962 ।
सामान्य तौर पर मैं अपने स्तम्भ का उपयोग अवसर के विशेष समाचार के लिये करता हूँ पर निश्चित रूप से इस मामले में ऐसा नही है। इसका कारण निम्नलिखित है:
(1) मेरा अनुमान है कि सार्वजनिक रूप से राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने जो कहा है उसके श्रोता हम जनता न होकर ईरान का शासन है। (2) कोई भी नेता एक दूसरे से मुखर नहीं रहा है। इस कारण जो मैं सुन रहा हूँ उस पर विश्वास करने और उसके आधार पर निष्कर्ष निकालने को लेकर काफी सतर्क हूँ ।
जैसा कि वाशिंगटन पोस्ट ने शीर्षक दिया है कि यह अवधारणा हो सकती है, " ओबामा ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के प्रयास का आश्वासन नेतन्याहू को दिया" परंतु मैं आश्वस्त नहीं हूँ कि यही असली कहानी है। उदाहरण के लिये हो सकता है कि तथ्य यह हो कि सम्भव है कि इजरायल ईरान के अवसंरचना पर परमाणु हथियार का प्रयोग करे।
इस भाव से मैं टिप्पणी के बजाय देखना पसन्द करूँगा।