हाल के दो घटनाक्रम –व्लादिमिर पुतिन की हाल की मध्य पूर्व की यात्रा और चीन की सरकार द्वारा इजरायल के कार्गो रेलवे प्रकल्प को आर्थिक सहायता दिया जाना इस क्षेत्र में गठबन्धनों के नये समीकरणों की ओर संकेत देते हैं।
मध्य पूर्व का प्रमुख शास्वत विभाजन अब अरब इजरायल पर आधारित होने के स्थान पर इस्लामवाद और गैर इस्लामवाद पर आधारित हो गया है जिसमें कि ईरान एक कोने पर है तथा इजरायल दूसरे कोने पर है शेष अन्य राज्य इनके मध्य कहीं हैं। यह बहुआयामी गठबंधन है जिसमें कि उदाहरण के लिये तेहरान में इस्लामवादी और अंकारा में क्रांतिकारी एक दूसरे के विरुद्ध हैं जबकि तेहरान और दमिश्क का ध्रुव जिस मात्रा में फल फूल रहा है वैसा पहले कभी नहीं था।
रूस और चीन की कार्रवाई इस बात की ओर संकेत करती है कि इन गठबंधनों ने बाहरी शक्तियों की विदेश नीति को भी आकार देना आरम्भ कर दिया है। जहँ एक ओर यूरोपियन संघ और अमेरिकी सरकार धीरे धीरे इस्लामवाद के प्रति सहानुभूति बढाते चले जा रहे हैं और इसे अपनी ही मुस्लिम जनसंख्या को नियन्त्रित रखने का मार्ग मानकर चल रहे हैं तो मास्को और बीजिंग का अपनी मुस्लिम जनसंख्या के साथ संघर्ष का पुराना इतिहास रहा है और इसी कारण वे मध्य पूर्व में इस्लामवाद के विरुद्ध नीति अपना रहे हैं।
इसी कारण रूस महासंघ के राष्ट्रपति की यात्रा के बाद पिन्हास इन्बारी ने लिखा कि क्या इजरायल और रूस निकट आ रहे हैं? " अपनी यात्रा का आरम्भ इजरायल से करने का निर्णय और वह भी लम्बे चौडे प्रतिनिधिमंडल के साथ इस बात का संकेत करता है कि उनकी यात्रा का ध्यान इजरायल पर था जबकि फिलीस्तीन अथारिटी और जार्डन का द्वितीयक मह्त्व था" । ऐसा इसलिये है कि सीरिया और ईरान के मामले में दोनों देशों के मध्य भारी मतभेद होते हुए भी दोनों देश दूसरे मसलों पर एकमत हैं जो कि कम मह्त्व के नहीं हैं और मध्य पूर्व में राजनीतिक वातावरण को प्रभावित कर रहे हैं जिसमें कि सबसे बडी चिंता मुस्लिम ब्रदरहुड का सत्ता में आना है"
इन्बारी का कहना है कि पुतिन की यात्रा ओबामा की अनेक यात्राओं की प्रतिकृति थी कि पवित्र स्थल की यात्रा और उसके बाद नेतन्याहू की फिलीस्तीनी कूटनीति का समर्थन।
वे समापन करते हुए कहते हैं:
किसी को इस भ्रम में नहीं आना चाहिये कि इजरायल और रूस अत्यन्त घनिष्ठ मित्र बन गये हैं और रणनीतिक घटक बन गये हैं । दुख की बात है कि इस क्षेत्र में रूस के सबसे अच्छे मित्र दुष्ट राज्य ईरान और सीरिया हैं। फिर भी मुस्लिम ब्रदरहुड के अग्रसर होने और इसका अमेरिका द्वारा स्वागत किये जाने के बाद इजरायल और रूस परस्पर निकट आये हैं।
इसी प्रकार आज का चीन का समझौता भी इसी श्रेणी में आता है। इजरायल और चीन ने आज एक ऐतिहासिक सहयोग समझौते पर ह्स्ताक्षर किये जिसके अंतर्गत ईलाट रेलवे और भविष्य के कुछ अन्य प्रकल्प पर सहमति बनी जिसमें ईलाट के उत्तर में इनलैण्ड नहर बन्दरगाह है……… इस प्रकल्प का प्रमुख बिंदु एक कार्गो रेल लाइन का निर्माण है जो कि इजरायल के भूमध्यसागर के अशदोद और हायफा बंदरगाह को ईलाट बंदरगाह से जोडेगा। इसके अतिरिक्त इस बात की योजना भी है कि जार्डन के अकाबा बंदरगाह तक इसे बढाया जाये। ( इजरायल के सूत्र बताते हैं कि चीन इस प्रकल्प को अत्यंत महत्व का मानता है क्योंकि यह चीन की वैश्विक रणनीति के अंतर्गत आता है जिससे कि मह्त्वपूर्ण व्यापार मार्ग पर पकड रहे । आज चीन सरकार द्वारा रात्रिभोज में इजरायल का प्रनिधिमंडल विशेष अतिथि होंगे। भोजन भी कोशेर ही होगा।