कैम्पस वाच ने उत्तरी अमेरिका में मध्य पूर्व के अध्ययन की समालोचना के लिये मिडिल ईस्ट फोरम के प्रकल्प के रूप में अपना आरम्भ 18 सितम्बर , 2002 को किया था। उस समय अकादमिक स्तर पर काफी विरोध हुआ था और इसी कारण यह कहीं अधिक प्रमुख और प्रभावी स्वरूप ग्रहण कर सका।
इस प्रकल्प की पाँचवी वर्षगाँठ पर इसकी कुछ उपलब्धियों के साथ साथ इस क्षेत्र की कुछ मूलभूत चुनौतियों के आधार पर एक विचार प्रस्तुत किया था, आज दसवीं वर्षगाँठ पर भी वही विचार प्रासंगिक है। रिकार्ड के लिये कुछ वर्तमान रुझान प्रस्तुत हैं।
- मध्य पूर्व अध्ययन अब उतना महत्वपूर्ण नहीं रह गया है जितना कि पहले हुआ करता था। वैसे तो मध्य पूर्व भले ही पहले से अधिक समाचार में रहता हो और मध्य पूर्व अध्ययन भी पूर्व से कहीं अधिक प्रभावी हो परंतु इस विषय की समाचारगत विशेषता समाप्त हो चुकी है और कुछ दैनिक स्तर पर स्थापित होकर रह गया है।
- जैसा कि मार्टिन क्रैमर ने मुझे संकेत किया कि इसका एक कारण यह है कि उच्च शिक्षा अधिनियम के शीर्षक 6 के अंतर्गत विश्वविद्यालयों के प्रशासन और सामान्य जनता के लिये मध्य पूर्व के अध्ययन के लिये दी जाने वाली संघीय वित्तीय सहायता में 40 प्रतिशत की कमी कर दी गयी है। इस कमी का कारण वैसे तो समस्त घाटे को कम करने के प्रयास का परिणाम है परंतु इससे यह भी पता चलता है कि मध्य पूर्व अध्ययन के दयनीय कार्य के चलते राजनीतिक स्तर पर असंतोष है।
- स्टेनली कर्ज , मार्टिन क्रैमर और सराह स्टर्न ने आगे होकर एक अधिनियम पारित कराया जिससे कि पहली बार संघीय वित्तीय सहायता प्राप्त मध्य पूर्व केंद्र विचारों की भिन्नता को अपनी पहुँच की गतिविधियों के शामिल कर सकते हैं। इससे कैम्पस वाच को वह साधन मिल जाता है कि वह उन केंद्रों को अपनी गिनती में शामिल कर उनका भरपूर उपयोग कर सकता है।
- 11 सितम्बर 2001 , अफगानिस्तान और इराक को अभी इतिहास और राजनीति के क्षेत्र में अपनी सकारात्मक उपस्थिति दर्ज करानी शेष है। वे अभी काफी युवा हैं। जैसा कि मैंने इससे पूर्व भी कहा है कि उनकी उपस्थिति का प्रभाव 2015 से अनुभव होगा।
- इस्लाम धर्म का अध्ययन अब अधिक दक्षिण की ओर जा रहा है जबकि इस्लामवादी और उनके सहयोगी इस क्षेत्र पर अपना प्रभाव स्थापित करते जा रहे हैं।
तो कुल मिलाकर यह जटिल स्थिति है और अधिक कार्य करने की आवश्यकता है।