येदिओथ अहरोनोथ में शिमोन शिफर ने रिपोर्ट प्रकाशित की है कि वर्ष 2010 में अमेरिकी सरकार के मध्यस्थ फ्रेडरिक सी होफ के माध्यम से इजरायल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने गुप्त वार्ता में इस बात पर सिद्धांत रूप में सहमति जताई कि वे 4 जून 1967 को आधार बनाकर गोलन पहाडियों से पूरी तरह वापसी कर लेंगे जिसके बदले में बसर अल असद ईरान के साथ अपने सम्पर्क पूरी तरह समाप्त कर लेंगे और यह सम्भवतः पूरी हो चुकी वार्ता उस समय समाप्त हो गयी जब जनवरी 2011 में असद विरोधी विद्रोह आरम्भ हो गया ।
इस दावे में कितनी विश्वसनीयता है?
येदियोथ अहरोनोथ में प्रकाशित रिपोर्ट का संक्षेप निम्नलिखित है:
अमेरिकी सूत्रों के अनुसार नेतन्याहू और बराक 1967 के आधार पर वापसी के लिये सहमत हो गये थे जिसके बदले में व्यापक शांति समझौता होता जिसमें कि इजरायल की यह अपेक्षा भी शामिल थी कि ईरान और सीरिया के मध्य सम्बन्ध समाप्त हो जायें। हालाँकि सूत्रों का कहना है कि इस पनप रहे समझौते में असद से प्रत्यक्ष रूप से इस्लामी गणतंत्र से सम्बंध तोडने का वचन लेने को शामिल नहीं किया गया।
रिपोर्ट के अनुसार दोनों इस बात पर राजी नहीं हुए कि इजरायल की वापसी को लेकर कोई समय सीमा निर्धारित की जाये: सीरिया की इच्छा थी कि समझौते को डेढ या दो वर्षों के भीतर लागू किया जाये जबकि इजरायल ने क्षेत्र से वापसी के लिये अधिक समय की माँग की।
येदियोथ ने एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी को उद्धृत किया कि उनके अनुसार समझौता गम्भीर था और दूरगामी परिणाम वाला था और उस पर सहमति बन गयी होती यदि इसमें असद के विरुद्ध हुए विद्रोह से बाधा न आ जाती। अधिकारी का अनुमान था कि नेतन्याहू ने असद के साथ वार्ता फिलीस्तीनियों के साथ बातचीत में आये गतिरोध को न्यायसंगत ठहराने के लिये आरम्भ की थी और उन्हें लगता था कि तथाकथित " बुराई की धुरी" में सीरिया एक कमजोर कडी है जिसमें कि ईरान , लेबनान और हिजबुल्लाह भी शामिल हैं।
होफ द्वारा लिखे गये अभिलेख के अनुसार वार्ता प्रधानमंत्री के आधिकारिक निवास जेरूसलम में हुई। नेतन्याहू और बराक ने इस वार्ता को गुप्त रखा परन्तु 2011 के आरम्भ में कुवैत के एक समाचार पत्र ने रिपोर्ट प्रकाशित की कि अमेरिका के विशेष दूत डेनिस रोस ने सीरिया के विदेश मंत्री वालिद मोआलेम से भेंट की है कहा कि दमिश्क इजरायल के साथ वार्ता पुनः आरम्भ करना चाहता है और यह भी कहा कि यहूदी राज्य गोलन पहाडियाँ वापस करने का इच्छुक है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस रिपोर्ट का खंडन किया।
येदियोथ ने कहा कि राष्ट्रपति बराक ओबामा और उप राष्ट्रपति जोये बिडेन इस बातचीत से अवगत थे और विदेश मन्त्री हिलेरी क्लिंटन , राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार टोम डोनिलोन, इजरायल के राजदूत डान शापिरो व डेनिस रोस को भी इसकी जानकारी थी। सीरिया की ओर से वार्ता में प्रतिनिधि विदेश मंत्री मोआलेम थे परंतु होफ ने भी असद से मुलाकत की ऐसा रिपोर्ट में कहा गया है।
नेतन्याहू के कार्यालय ने येदियोथ अहरोनोथ पर आधिकारिक प्रतिक्रिया दी , " यह पिछले अनेक वर्षों से इजरायल को प्रस्तावित सुझावों में से एक है। इजरायल ने इस प्रस्ताव को कभी स्वीकार नहीं किया । यह एक पुराना और अप्रासंगिक प्रस्ताव है" । इसके विपरीत अमेरिका के विदेश विभाग ने आंशिक रूप से प्रस्ताव को सहमति दी, " सीरिया में हिंसा का दौर आरम्भ होने से पूर्व इजरायल और सीरिया के अधिकारियों के मध्य सम्पर्क स्थापित करने के प्रयास हो रहे थे। यह जार्ज मिचेल के प्रयासों का परिणाम था" ।
टिप्पणियाँ
(1) 1998 में नेतन्याहू द्वारा गोलन पहाडियों को देने के समझौते को सामने लाने वाले लेखक The Road to Damascus: What Netanyahu Almost Gave Away के रूप में मुझे इस रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर पूरा विश्वास है । यदि पहली बार प्रधानमन्त्री इस सौदे के लिये तैयार थे दो दूसरी बार प्रधानमन्त्री जी ऐसा हो सकता है? यदि प्रधानमन्त्री ने गलत ढंग से पहले चरण को नकार दिया तो दूसरे को क्यों नहीं?
(2) एरियल शेरोन ने इस भूल और नीति को पहली बार रोका था और दूसरी बार इसे सीरिया की जनता ने रोका।
(3) हमें आशा करनी चाहिये कि पिछ्ले दो वर्ष की उथल पुथल के चलते इस प्रकार की अरब इजरायल की संधियों के दिशाहीन विचार को रोक लगेगी जब तक कि अरब भाषी देशों में वास्तविक सुधार नहीं आता ।