अपने तीस और पचीस वर्षों के इतिहास में हिजबुल्लाह और हमास शक्तिशाली से शक्तिशाली होते गये और एक सामान्य आतंकवादी संगठन से क्रमशः लेबनान और फिलीस्तीन राज्य क्षेत्र में एक बडी राजनीतिक शक्ति के रूप में बदल गये। परंतु अब जबकि ईरान और सीरिया की सरकारों को आर्थिक प्रतिबंध ने परेशान करना आरम्भ कर दिया है तो दोनों को कठिन समय का सामना करना पड रहा है जो कि इनके पतन की विभाजन की पूर्व झलक हो सकती है। विवरण देखें:
हिजबुल्लाह : ली फिगारो में जार्जेस मालब्रुनोट ने संगठन की समस्याओं को अभिलेखित किया है "Le Hezbollah affaibli par la révolte syrienne ( यहाँ उपलब्ध है here) । उन्होंने इन समस्याओं की ओर ध्यान दिलाया है:
- ईरान के शासन ने हिजबुल्लाह को अपनी वार्षिक सहायता 25 प्रतिशत कम कर दी है जो कि 350 मिलियन अमेरिकी डालर है।
- यदि असद शासन का पतन हो जाता है तो हिजबुल्लाह अपना मुख्य संरक्षक खो देगा।
- संगठन को बशर अल असद का समर्थन अवश्य करना चाहिये परंतु जैसा कि संयुक्त राष्ट्र संघ के पर्यवेक्षक ने संकेत किया है कि इसके पास इस बात का कोई उत्तर नहीं है कि वह ऐसा क्यों करे प्रतिरोध के नाम पर यह बहरीन के शिया लोगों का समर्थन कर रहा है परंतु सीरिया के लोगों का नहीं।
- वर्ष 2006 में इजरायल के साथ युद्ध के पश्चात यहाँ जो पुनर्निर्माण हुआ उससे संगठन में भ्रष्टाचार आया जिसका प्रतीक इसके धनपशु पोंजी द्वारा चलायी गयी 1.6 बिलियन अमेरिकी डालर की योजना थी।
- हिजबुल्लाह पर अमेरिकी प्रतिबंध के पश्चात विदेशों में रह रहे शिया परिवारों ने अपना समर्थन कम कर दिया है।
- नकदी की समस्या के चलते हिजबुल्लाह ने बेका के शिया परिवारों द्वारा अवैध मादक दवाओं की ओर से अपनी आँखें मूँद ली हैं क्योंकि इसके बदले वे हिज्बुल्लाह को गुप्तचरी और अपनी आय का कुछ अंश प्रदान करते हैं।
- इसके नेता हसन नसरुल्लाह ने हिजबुल्लाह के एक गुट की पत्नियों को निर्देश दिया है कि वे पार्टी के धन से वैभवशाली जीवन का प्रदर्शन न करें।
- नसरुल्लाह ने अपने सहयोगी इमाद मौगनेह की हत्या के बाद जाना कि वास्तव में मौगनेह ने हिजबुल्लाह के भीतर ही अपना ढाँचा खडा कर उन्हें धोखा दिया था।
- सी आई ए हिजबुल्लाह में प्रवेश कर गया है।
हमास:हमास गम्भीर संकट में है Hamas in deep trouble यह शीर्षक मान सकते हैं। यह भी अच्छा है क्योंकि हम चाहते हैं कि हिजबुल्लाह स्वयं को अकेला न माने। एदियोत अहरोनोत में गई बेचोर ने लिखा है, "दिखावटी नारों के पीछे हमास की कारुणिक वास्तविकता छुपी है जिसे अधिक छुपाया नहीं जा सकता" । एक बार फिर एक एक कर इसे देखें:
- " हमास का ईरान के साथ गठबंधन समाप्त हो चुका है जब हमास ने मृतप्राय बशर असद का समर्थन करने से इंकार कर दिया तो ईरान ने इस संगठन के लिये अपने द्वार बंद कर लिये। इससे भी बुरा यह कि हमास द्वारा गाजा की सेना और करीब 50,000 कर्मचारियों को जो वेतन दिया जाता था उस धन का प्रवाह समाप्त हो गया है" ।
- " दमिश्क में इसके बाह्य नेतृत्व की राजधानी को छोडने के लिये इसे विवश होना पडा अभी अमान अलग नहीं हुआ है।
- मिस्र का मुस्लिम ब्रदरहुड अभी अपनी विजय के उपरांत सम्मान चाहता है और इस कारण हमास से दूरी बना रहा है"।
- ऐसे समय जबकि अरब देश गम्भीर घरेलू समस्याओं से जूझ रहे हैं तो हमास की समस्यायें उनके लिये विलासिता हैं जिसे वे सहन नहीं कर सकते।
- गाजा में घरेलू मोर्चे पर ( इस्माइल हानियेह के नेतृत्व में) इसने अपनी सत्ता बाहरी संस्करण ( खालेद मशाल के नेतृत्व में) की कीमत पर बना रखी है और एक विभाजन अवश्यंभावी है। सम्भवतः मशाल हमास छोडकर एक नया प्रतिस्पर्धी गुट खडा करें।
- फतह के साथ मित्रता का कोई परिणाम नहीं हुआ , " चुनाव होने की सम्भावना नहीं है और दोनों के साथ आने की सम्भावना भी नहीं हैं"