नेशनल रिव्यू आनलाइन ने प्रश्न किया, " क्या कद्दाफी ने विजय का संकल्प लिया है या फिर बलिदान होने का और असद को पश्चिम ने आग्रह किया है कि वे सत्ता छोड दें , अरब बसंत का क्या हुआ? क्या यह विकास और लोकतंत्र का ग्र्रीष्मकाल रहा , पश्चिमी मीडिया का भ्रम रहा? जबकि हम 11 सितम्बर के आक्रमण की एक और वर्षगाँठ के लिये तैयार हो रहे हैं तो अरब बसंत की क्या स्थितिहै? हमने मध्य पूर्व के विशेषज्ञों से ये प्रश्न किये अन्य बारह लोगों के उत्तर के लिये यहाँ देखें "Long, Hot Arab Summer: The Arab Spring, circa the end of August इन सभी प्रश्नों पर मेरे उत्तर निम्नलिखित हैं।
मध्य पूर्व के असाधारण उथल पुथल के प्रथम चरण में ट्यूनीशिया और मिस्र में एक प्रकार से तख्ता पलट हुआ । दोनों ही देशों में सड्कों पर हुए विरोध प्रदर्शन से प्रेरित होकर सुरक्षा और सैन्य स्थापना ने लोभी और अलोकप्रिय राष्ट्रपति से मुक्ति प्राप्त कर ली। घटनाक्रम इतनी तेजी से बढा क्योंकि राष्ट्रपति बेन अली और मुबारक अपने ही सत्ता संस्थान से अस्वीकार्य हो गये थे और उनके पास त्यागपत्र के अतिरिक्त अन्य कोई मार्ग नहीं बचा था। उन्हें पद से हटाकर तत्काल दूसरे सुरक्षा और सैन्य नेताओं को स्थापित कर दिया गया जिन्होंने अधिकाँश प्रशासकीय संस्थान, चलन और नीतियों को अपने अनुकूल कर लिया। आधे वर्ष में न तो उदारवादी और न ही इस्लामवादी तत्काल अधिक कुछ कर सके।
द्वितीय चरण में लीबिया में कद्दाफी का शासन समाप्त होना तय है और सीरिया में असद राजवंश भी समाप्त हो सकता है साथ ही यमन में सालेह का शासन भी। इन तीनों मामलों में क्रांति की प्रक्रिया चल रही है। यदि इनका पतन होता है तो उनके शासन की संस्थायें भी समाप्त होंगी और इसके चलते अराजकता उत्पन्न होगी और पूरी तरह नई सरकार की स्थापना होगी। सीरिया और यमन के मामले में तो कोई प्रभावी केंद्रीय सरकार नहीं होगी वरन शक्ति का विकेंद्रीकरण विभिन्न क्षेत्रों, नस्लों, विचारधारागत वर्ग और कबीलों को होगा।
दूसरे शब्दों में, दूसरा चरण पहले चरण की अपेक्षा अधिक परिणामकारक होगा। उपर्युक्त पाँच राज्य ही केवल खेल में शामिल नहीं हैं। अल्जीरिया और जार्डन भी इसी प्रकार के उथल पुथल और क्रांति के दौर से गुजर सकते हैं। वर्ष 2009 में दबाये गये दंगों के बाद छोटी सी चिंगारी भी ईरान में तूफान ला सकती है जो कि मध्य पूर्व का सबसे रुकावट भरा देश है। इसके साथ ही तीसरा चरण भी आयेगा जबकि क्षेत्रीय बिखराव होगा जिसके प्रमुख राज्य सउदी अरब, इराक और तुर्की हैं। संक्षेप में विश्व के सर्वाधिक अस्थिर क्षेत्र में हमें सबसे बडे उथल पुथल के लिये तैयार रहना चाहिये ।