उनके सम्मानों की कमी नहीं है बर्कली कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में राजनीतिक विज्ञान के फोर्ड प्रोफेसर , कोलम्बिया विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के अतिरिक्त, अमेरिकन राजनीति विज्ञान संस्था के पूर्व अध्यक्ष और इसके अंतर्गत जेम्स मैडिसन पुरस्कार प्राप्त , अमेरिकन अकेडमी आफ आर्ट्सएंड साइंसेज के फेलो सहित उन्होंने अनेक अकादमिक पुस्तकें भी लिखी हैं।
परंतु वाल्ज ने ही जुलाई अगस्त के फारेन अफेयर्स के अंक में ईरान द्वारा परमाणु हथियार प्राप्त करने की जिज्ञासा को लेकर किसी गम्भीर रणनीतिकार की ओर से अब तक का एकमात्र मूर्खतापूर्ण विश्लेषण भी प्रकाशित किया। उनका शीर्षक और उपशीर्षक दोनों ही उनके तर्क को पुष्ट करते हैं "Why Iran Should Get the Bomb: Nuclear Balancing Would Mean Stability. उन्होंने वे तीन कारण गिनाये हैं जिसके चलते ईरान को परमाणु हथियार प्राप्त करना चाहिये।
इससे मध्य पूर्व में कहीं अधिक स्थिर सैन्य शक्ति का संतुलन स्थापित होगा। " इजरायल का क्षेत्रीय परमाणु एकाधिकार पिछले चार दशक में लगभग शास्वत हो गया है और इसने ही मध्य पूर्व में लम्बे समय से अस्थिरता को प्रेरित किया है…… हाल के संकट के लिये इजरायल के परमाणु हथियार न कि ईरान द्वारा इसे प्राप्त करने की अभिलाषा जिम्मेदार है ..... वास्तव में सैन्य शक्ति में असंतुलन को घटा कर नये परमाणु राज्य कहीं अधिक क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्थिरता स्थापित करते हैं न कि कम।
इससे ईरान और इजरायल के मध्य युद्ध का खतरा कम हो जायेगा: " यदि ईरान परमाणु सम्पन्न हो जायेगा तो ईरान और इजरायल एक दूसरे के प्रति शक्ति संतुलन का कार्य करेंगे क्योंकि दोनों के पास परमाणु हथियार होगा।दो परमाणु सम्पन्न राज्यों के मध्य कभी भी सम्पूर्ण युद्ध नहीं होगा। एक बार ईरान परमाणु सीमा पार गया तो शक्ति संतुलन का सिद्धांत लागू हो जायेगा फिर ईरान का हथियार अपेक्षाकृत छोटा ही क्यों न हो"
इससे एक सतर्क ईरान उत्पन्न होगा: "इतिहास दर्शाता है कि जब देश परमाणु बम प्राप्त कर लेते हैं तो वे अन्य के निशाने पर आ जाते है और उन्हें इस बात का पता रहता है कि परमाणु हथियार के चलते वे महाशक्तियों के निशाने पर हैं.... उदाहरण के लिये 1964 में परमाणु हथियार प्राप्त करने के बाद माओवादी चीन की शत्रुता कम हो गयी और भारत और पाकिस्तान भी परमाणु सम्पन्न होने के बाद से अधिक सतर्क हो चुके हैं"
टिप्पणियाँ
(1) इजरायल के परमाणु एकाधिकार ने मध्य पूर्व में अस्थिरता को प्रेरित किया है? मसीहाई मानसिकता के ईरानी नेता शक्ति संतुलन के सिद्धांत का पालन करेंगे और अधिक सतर्क हो जायेंगे? स्पष्ट है कि वाल्ज को अरब इजरायल संघर्ष के विषय में कुछ भी पता नहीं है और न ही इस्लामी गणतंत्र ईरान के बारे में। उन्हें चाहिये कि वे अपना मुँह बंद रखें।
(2) क्या कारण था कि फारेन अफेयर्स ने इस बेकार लेख को प्रकाशित किया । इससे भी बडी बात यह है कि किस मेधावी ने इसे शीर्षक बनाकर मुख पृष्ठ पर प्रकाशित किया।
(3) इस लेख से मुझे वे क्षण स्मरण होते हैं कि जब जान मीर्शीमर और स्टीफएन एम वाल्ट ने अमेरिकी विदेश नीति और इजरायल लाबी नामक लेख लिखा था और मैंने काउंसिल आन फारेन रिलेशंस की सदस्यता ने अपना नाम वापस ले लिया था।
(4) एक बार फिर इस अलग थलग विचार को लेकर सर पकड लेने का मन करता है।
16 सितम्बर , 2012 अपडेट: इजरायल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने मेरे जैसे शब्दों का ही प्रयोग किया व्यावहारिक रूप से वाल्ज के विचार का संदर्भ लिया: " कुछ लोगों ने कहा है कि परमाणु सम्पन्न ईरान से मध्य पूर्व स्थिर होगा । मेरे विचार में जिन्होंने यह कहा है उन्होंने मानवीय मूर्खता का नया पैमाना खडा किया है" ।