1798 में मिस्र की विजय के अवसर पर नेपोलियन के साथ वैज्ञानिकों द्वारा स्थापित और 20 खंडों के स्मारकीय Description de l'Égypte (1809-28 ) लेखक ल इन्स्टीट्यूट द इजिप्टे को राष्ट्रीय विधानसभा भवन के पास एकत्र भीड द्वारा तहस नहस कर जला दिया गया ।
किसी भी ज्ञानी संस्थान की भाँति इसके द्वार समान्य जन के लिये सर्वेक्षण और इससे कुछ प्राप्त करने के लिये सदैव खुले थे हालाँकि कुछ ही लोगों ने ऐसा किया। काइरो में 1970 में अपने तीन वर्ष के काल में जब शहर काफी कुछ मेरे साथ था तो इस स्थान ने मेरे लिये शरण देने का कार्य किया और मेरे विदेशी पर्यटकों के लिये यह एक नियमित स्थान था। मेरी दृष्टि में इस कम जानकारी में रहे रत्न की कीमत मिस्र पर केंद्रित इसका 200,000 संस्करणों का पुस्तकालय था, जो कि मिस्र के सम्बंध में प्राच्य ज्ञान का प्रतीक था जो कि इसके विशेष और बेहतर काल को दिखाता था और साथ ही ऐसे शहर में जहाँ कि ऐसी कम स्थितियाँ हों वहाँ प्राचीनता के दर्शन कराता था।
और अब बर्बर लोगों ने इसे ध्वस्त कर दिया। दीवारें अब भी खडी हैं परंतु भवन धराशायी हो चुका है और इसकी बहुमूल्य सामग्री जल चुकी है।
टिप्पणियाँ : (1) इस आक्रमण से इससे पूर्व भी मिस्र में ऐतिहासिक स्मारक नष्ट होने के कृत्य मस्तिष्क में नाच जाते हैं, जिसमें कि मध्यकाल में स्फिंक्स का चेहरा विद्रूप किया जाना और 1952 की काइरो की लूटपाट शामिल है। मिस्र से बाहर हुए आक्रमणों में भारत में मुसलमानों द्वारा मध्यकाल में ध्वस्त किये गये हिंदू मंदिर, उत्तरी साइप्रस में तुर्क द्वारा नष्ट किये गये चर्च, फिलीस्तीनियों द्वारा जोसेफ के गुम्बद को तहस नहस किया जाना, तालिबान द्वारा बामियान बुद्ध को तोडा जाना, इराकियों द्वारा संग्रहालय, पुस्तकालय तथा अभिलेखागार की लूट पाट करना, सउदी द्वारा मक्का की प्राचीन चीजों को नष्ट किया जाना तथा मलेशिया में एक ऐतिहासिक हिंदू मंदिर को नष्ट किया जाना ध्यान में आता है। दूसरे शब्दों में यह बर्बरता व्यापक परिपाटी में सटीक बैठती है। मुसलमानों और इतिहास के सम्बंध में क्या? जैसा कि इस सूची से पता चलता है उनमें से अधिकतर केवल गैर इस्लामी से घृणा के चलते नहीं करते वरन अपनी ही विरासत से भी घृणा करते हैं।
(2) प्राचीनता मामलों के पूर्व राज्य मंत्री जाही हवास ने देश की कीमती वस्तुओं की वापसी के लिये अभियान चलाया। मेरा मत इसके विरुद्ध है। मुझे लगता है कि वे अभी जहाँ हैं वहीं ठीक हैं विशेष रूप से आधुनिक मिस्र के लोगों के आक्रोश को देखते हुए और वह भी तब जबकि मिस्र के मुफ्ती ने मूर्तियों के व्यक्तिगत प्रदर्शन के विरुद्ध फतवा दिया है और इसे मिस्र की प्राचीन वस्ततुओं के राज्य प्रायोजित विनाश की दिशा में पहला सम्भावित कदम माना जाना चाहिये। इसके साथ ही पर्यवेक्षक सही ही इस बात से चिंतित हैं कि मिस्र का अद्भुत संग्रहालय अगला निशाना होगा।
(3) मिस्र में हुई अन्य हिंसक घटनाओं (जैसे कि इजरायल के दूतावास पर आक्रमण) को देखते हुए कोई भी अनुमान लगा सकता है कि अधिकारियों की भी इसमें भूमिका है। इस मामले में एक वीडियो में प्रदर्शनकारियों ने सैनिकों से आग बुझाने की माँग की और तथ्य यह भी है कि आग अंदर से लगी इससे तो इस संदेह को बल मिलता है कि राज्य गम्भीर रूप से इस आक्रमण में शामिल था।