बीसवीं शताब्दी का अनुशासन अत्यंत शक्तिशाली सरकारें थीं तो इस शताब्दी की बढती समस्या अत्यंत कमजोर सरकारें होने जा रही हैं?
राजनीति विज्ञानी आर, जे रुमेल ने अपने विशद अध्ययन Death by Government (New Brunswick, N.J.: Transaction, 1994) with revised numbers in 2005, में अनुमान लगाया है कि 1900 से 1987 के कालखण्ड में अपनी ही सरकारों के हाथों 212 मिलियन लोगों की मौत हुई, जबकि युद्ध में मरने वालों की संख्या 34 मिलियन की रही । दूसरे शब्दों में अपनी ही सरकार के हाथों ( जिन्हें कि उन्होंने democide कहा है ) मरने वालों की संख्या देश के साथ युद्ध में मारे गये लोगों से छह गुना अधिक थी।
सबसे अधिक मौत चीन के कम्युनिष्ट शासन में हुई जो कि 78 मिलियन है , इसके बाद सोवियत कम्युनिष्ट शासन में 62 मिलियन , नाजी शासन में 21 मिलियन , चीन के राष्ट्रवादियों और जापान के सैन्यवादियों के हाथों 6 मिलियन की मौत हुई। यहाँ तक कि यह सूची अधूरी है जैसा कि रुमेल कहते हैं, " 1987के बाद इराक, ईरान, बुरुंडी, सर्बिया और बोस्निया के सर्ब, बोस्निया , क्रोयेशिया , सूडान , सोमालिया तथा खमेर रूज के गुरिल्ला ,अर्मीनिया तथा अन्य देशों के मामले इसमें शामिल नहीं हैं"
अभी भी हत्यारे शासन राज कर रहे हैं और जनसंहार कर रहे हैं और इन सबके मध्य एक नया खतरा अराजकता का बढ रहा है। मध्य पूर्व के अनेक मामलों को देखें:
- अफगानिस्तान: 1973 में जब राजा को अपदस्थ कर तख्तापलट किया गया तब से अफगानिस्तान में कोई केंद्रीय सरकार नहीं है जो कि प्रभावी रूप से देश पर शासन कर सके।
- लेबनान: किसी समय मध्य पूर्व का स्विटजरलैंड कहा जाने वाला लेबनान 1975 में गृह युद्ध के आरम्भ होने के बाद सीरिया के अधिनायकवादी और अराजकता शासन का शिकार रहा है।
- सोमालिया: 1991 में सियाद बारे के शासन का पतन हुआ और उसके बाद से दूर दूर तक किसी केंद्रीय सत्ता का पता नहीं मिलता। देश की अराजकता के चलते हिंद महासागर में समुद्री डाकुओं की भयंकर समस्या उत्पन्न हो गयी है जिसे कि वर्ष2007 में " भयावह और अस्वीकार्य" कहा जा चुका है और उसके बाद से यह बढी ही है।
- फिलीस्तीनी अथारिटी: 1994 में सत्ता में आने के बाद से अपने कुप्रबन्धन और आक्रामकता के चलते फिलीस्तीनी अथारिटी ने अपनी सर्वाधिक सत्ता गँवा दी है। आधे से अधिक इसका राज्य क्षेत्र शत्रु संगठन हमास के पास है।
- इराक: अमेरिका ने वर्ष 2003 में सद्दाम हुसैन की पराजय के उपरांत इराक की सेना को समाप्त करने की भूल की और देश इस अव्यवस्था से अब भी नहीं निकल सका है।
- यमन: इसकी सही तिथि बता पाना कि यह देश कब पूरी तरह अराजकता की स्थिति को प्राप्त करेगा कठिन है, परंतु वर्ष 2009 का हौथी युद्ध इसका आरम्भ अवश्य है।
- लीबिया: वर्ष 2011 के आरम्भ में मुअम्मर अल कद्दाफी के विरुद्ध आरम्भ हुए विद्रोह के बाद से देश में कोई केंद्रीय शासन नहीं है।
सीरिया अभी अराजकता की स्थिति में नहीं है परंतु शासन का नियंत्रण अनेक शहरों से समाप्त हो गया है ( जबादानी, सकदा) और कुछ अन्य शहरों से नियंत्रण समाप्त होने वाला है।
यही हाल अफ्रीका के अनेक देशों का है जिसमें कि गिउनिया बीसाउ, लाइबेरिया और सियरा लिओन शामिल हैं। रूस के कुछ क्षेत्र और मैक्सिको भी अराजकता की स्थिति में है। समुद्री डाके ने तो विश्व के अनेक भागों को अपनी गिरफ्त में ले लिया है।
यह समस्या पुरानी पद्धति की केंद्रीय सरकार के घोर नियंत्रण से पूरी तरह विपरीत है इस कारण इस पर ध्यान नहीं जा रहा है। परंतु यह वास्तविक है और इसे पहचाना जाना चाहिये।