यहाँ तक कि टाइम पत्रिका ने भी स्वीकार किया है कि "The Military Shows Egypt Who's Boss" इसका अर्थ है कि आखिरकार घोषणापत्र का पता आलसी से आलसी लोगों को भी चल गया है। टाइम पत्रिका के लेख में टोनी कारोन और अबीगैल हास्लोहनर ने प्रमुख रूप से कहा है :
18 माह पूर्व जब सडक पर हुए भारी विरोध ने राष्ट्रपति होस्नी मुबारक को सत्ता से बाहर कर दिया तो मिस्र के लोगों ने बडे गर्व से इसे क्रांति की संज्ञा दी। लेकिन अब यह क्रांति अधिक से अधिक महल पर कब्जा ही दिख रही है क्योंकि मुबारक के सत्ता से बाहर जाने के बाद सेना ने पुरानी व्यवस्था को पूरी तरह ध्वस्त होने से रोकने के लिये कार्य करना आरम्भ कर दिया और अत्यंत चतुराई से लोकतंत्र के आवरण में ऐसा किया। अपना समय पूरा कर चुके एक नेता के विरुद्ध जनरल अचानक प्रदर्शनकारियों से प्रति सहानुभूतिपूर्ण हो गये तथा समय लेते हुए सत्ता पर अपनी पकड को फिर से स्थापित किया तथा अपने इस्लामवादी और सेक्युलर चुनौतीकर्ताओं को एक दूसरे के विरुद्ध लडाया।
हम में से कुछ लोग इस बात को लगभग डेढ वर्ष से कहते आ रहे थे यहाँ तक कि होस्नी मुबारक के त्यागपत्र से पूर्व से। मुबारक के विरासत की स्थापना के प्रयास ने जनरलों को असन्तुष्ट कर दिया था और उन्होंने तहरीर चौक के विरोध प्रदर्शन का लाभ उठाकर उन्हें फेंक दिया। इतना सामान्य निष्कर्ष तो नहीं?
टिप्पणियाँ : मध्य पूर्व के उथल पुथल मामले में जिस प्रकार की रिपोर्टिंग हो रही थी और विशेष रूप से जिस प्रकार " अरब बसंत" का नया नाम इसे दिया गया उससे यही स्पष्ट होता है कि इस क्षेत्र के घटनाक्रम को लेकर पश्चिम के लोग पूरी तरह अनभिज्ञ हैं।