सेक्युलर, आधुनिक और उदारवादी प्रदर्शनकारियों ने जबसे तहरीर चौराहे पर अपनी उपस्थिति दर्ज करायी है और साथ ही फुटबाल मैच की हुल्लडबाजी के बाद मोहम्म्मद तंतावी और मिस्र की सुप्रीम काउंसिल आफ द आर्म्ड फोर्सेस ने देश की इस्लामवादी शक्तियों के साथ पारस्परिक लाभदायक सम्बंध स्थापित कर लिया है और इस प्रकार सत्ता के निकट किसी के संयुक्त विरोध को रोकने का प्रयास किया है। यह अत्यंत चतुराईपूर्ण है परंतु मेरी दृष्टि में यह आधा चतुर है। इसके निम्नलिखित कारण हैं:
मिस्र में आधे से अधिक कैलोरी तो निर्यात की जाती है और इस कारण यहाँ वेतनमान खाद्य सामग्री के साथ मेल खाता हुआ होना चाहिये नहीं तो लोग भूखों मरने लगेंगे। वैसे भी देश वर्ष 2012 में भयानक आर्थिक संकट की ओर बढ रहा है और यह समय शायद ग्रीष्मकाल तक आयेगा। यदि इस्लमवादी इस बात पर सीना चौडा करते हैं कि वे मिस्र पर शासन कर रहे हैं तो जनता अपनी भूख के लिये उन्हें दोष देगी और साथ ही सुप्रीम काउंसिल आफ द आर्म्ड फोर्सेस के उनके सहयोगियों को न कि तहरीर चौक के लोगों को। यह आक्रोश शीघ्र ही अनियंत्रित हो सकता है। सत्ता और वैधानिकता के लिये पूरे 84 वर्षों तक प्रतीक्षा करने के उपरांत मुस्लिम ब्रदरहुड को ऐसा प्रतीत हो सकता है कि वे जहाज की कमान तब सँभाल रहे हैं जब यह बर्फ के सागर में प्रवेश कर रहा है।
टिप्पणियाँ (1) हुस्नी मुबारक के शासन के दौरान एक मजाक चलता था ( " मुबारक ने उपराष्ट्रपति की नियुक्ति क्यों नहीं की" ? " क्योंकि उन्हें अपने से बडा मूर्ख कोई मिला ही नहीं" ) अब यह असत्य सिद्ध हो रहा है। तंतावी तो मुबारक से भी अधिक अक्षम हैं।
(2) 1952 से लेकर अभी तक मिस्र पर सैन्य अधिनायकवाद का शासन रहा है और उन्होंने देश का शासन धरातल पर इतने बुरे ढंग से चलाया है कि इसका शासन अब संकट में है।
6 नवम्बर,2012 अपडेट : मिस्र के उपभोक्ता मंत्री ने आज ही घोषणा की है कि वे जल का मूल्य उपभोक्ताओं के लिये अगले पाँच वर्षों में चार गुना अधिक बढा देंगे और इस पर लम्बे समय से चली आ रही सब्सिडी को समाप्त कर दिया जायेगा।