पोलियो रोग अपने उल्मूलन के करीब था जब वर्ष 2003 में इसी समय के आस पास नाइजीरिया में शरिया की सर्वोच्च परिषद के अध्यक्ष इब्राहिम दत्ती अहमद Ibrahim Datti Ahmed जो कि पेशे से डाक्टर भी हैं उन्होंने अपने देश में पोलियो वैक्सीन के कार्यक्रम को मुस्लिम बच्चों को नपुंसक बनाने का एक पश्चिमी षडयंत्र बताया। पोलियो रोग के लिये वैक्सीन देने के इस विरोध से लोग अत्यंत प्रभावित हुए और इस अभियान का नाइजीरिया के अन्य मुस्लिम धर्मावलम्बी नेताओं ने भी समर्थन किया जिसके चलते वैक्सीन देने का यह कार्यक्रम धीमा हो गया और पोलियो रोग की घटनायें सामने आने लगीं।
षडयंत्रकारी सिद्धान्त और रोग के पुनः प्रकट होने का दोहरा रुझान नाइजीरिया से अन्य मुसलमानों तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैल गया। (पिछले दस वर्षों में इस विषय में हुई प्रगति के लिये मेरी weblog entry देखें।) पोलियो और इस्लाम आपस में इतने निकट से जुड गये कि केवल मुस्लिम तीर्थयात्री स्थल मक्का सुदूर इंडोनेशिया जैसे क्षेत्रों में भी इस रोग को फैलाने का कारण बन गया।
अहमद के इस पागलपन के चलते पोलियो के रोग का नया दौर नाइजीरिया से अब कम से कम 17 अफ्रीकी देशों और 6 एशियाई देशों में फैल चुका है।
अफ्रीका : अंगोला, बोत्स्वाना, बुरकीना फासो, कैमरून, चाड, मध्य अफ्रीका गणतंत्र, मिस्र, घाना, गुइनिया, आइवरी कास्ट , कीनिया, माली, नाइजर, सोमालिया, सूडान और टोगो।
एशिया: अफगानिस्तान, भारत, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, सउदी अरब और यमन ।
टिप्पणियाँ :
(1) एक षडयंत्रकारी सिद्धांत में जीने वाले अकेले इस्लामवादी ने संगठन और समर्थन के चलते पोलियो को समाप्त नहीं होने दिया और साथ ही उसे नया जीवन प्रदान कर दिया।
(2) तो क्या क्रांतिकारी इस्लाम ने मानवीय जीवन के एक और आयाम के लिये भी कष्ट की स्थिति उत्पन्न कर दी है और साथी मुसलमान ही इससे विशेष रूप से पीडित हो रहे हैं।