वियना डील पर हस्ताक्षर हो चुके हैं और सम्भव है कि शीघ्र ही इसे क़ानून का दर्जा भी मिल जाए : क्या यह सम्भव है कि कोई सरकार सैन्य हस्तक्षेप कर ईरान की परमाणु क्षमता से संपन्न होने की अवशयम्भाविता को रोक सके?
निश्चित रूप से ऐसा अमेरिकी सरकार , रूसी सरकार या डील पर हस्ताक्षर करने वाले अन्य चार देश तो करेंगे नहीं । व्यावहारिक रूप से देखा जाए तो यह सवाल इजरायल के पास ही आता है, जहां पर आम असहमति बन रही है कि वियना डील ने इजरायल के हमले की संभावना को अधिक बढ़ा दिया है। परन्तु इजरायल के सुरक्षा समूह से बाहर का कोई भी व्यक्ति यहां तक कि मैं भी इनके मनोभाव को नहीं जानता । इस अज्ञानता के चलते मैं निम्नलिखित अटकलें लगाने को स्वतंत्र हूँ ।
हमले की की तीन संभावित स्थितियाँ बनती हैं :
विमान , १९८१ में इजरायल के विमानों ने अंतर्राष्ट्रीय सीमा को पार किया और इराक के परमाणु ठिकानों पर बम गिराये और २००७ में ऐसा ही सीरिया के साथ भी किया , इस आधार पर ईरान भी अपने लिए ऐसी संभावना के बारे में सोचता हैं । अध्ययन के मुताबिक़ ऐसा कठिन तो है पर लक्ष्य संभव है ।
विशेष आपरेशन , इनमें से अनेक पर पहले से ही कार्य चल रहा है: इंटरनेट से जुड़े ईरानी सिस्टम को जो स्वस्थ है उस पर वायरस का हमला , ईरान के शीर्ष परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या और परमाणु संस्थानों पर विस्फोट| इस बात का अनुमान लगाया जाता है कि ऐसे अनेक हमलों में इजरायल का हाथ है, और आगे भी अनुमान लगाया जा रहा है कि वे इनका आकार और व्याप बढ़ा सकते हैं और सम्भवतः पूरे परमाणु कार्यक्रम को अवरुद्ध कर सकते हैं । अनेक देशों तक विमान भेजने के बजाय विशेष आपरेशन में एक लाभ यह है कि इससे फोर्डो जैसे स्थानों तक पहुचा जा सकता है जो कि इजरायल से काफी दूर है और वह भी काफी कम या बिलकुल भी कोई निशाना छोड़े बिना ।
परमाणु हथियार, यह प्रलयंकारी हथियार जिसकी काफी कम चर्चा होती है संभवतः उसे सबमैरीन्स से छोड़ा जायेगा। इससे बहुत कुछ दांव पर लगता है और इसका प्रयोग उसी स्थिति में होगा यदि इजरायल के लोग अत्यंत बेचैन हो जाएंगे और हिटलर के समय हुए नरसंहार के बाद आगे उन्होंने अपनी जाति के साथ ऐसे किसी कृत्य को रोकने के लिए " फिर कभी नहीं " का सामूहिक संकल्प लिया था और स्वयं को ऐसी ही स्थित में पाएंगे ।
इन सभी विकल्पों में से मेरी भविष्यवाणी है कि नेतन्याहू सरकार दूसरे विकल्प की ओर जाएगी हालांकि इससे कदम पीछे खींचना भी काफी कठिन है । यदि इसमें सफलता नहीं मिली तो वे विमान के रास्ते पर जायंगे और परमाणु अस्त्र को अंतिम विकल्प के रूप में रखा जायेगा ।