संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के प्रस्ताव २२४९ के अनुसार २० नवम्बर को एक स्वर से इस बात पर सहमति जताई कि इस्लामिक स्टेट ( उपाख्य आई आई एस आई एस , आई एस आई एल, डेश) सभ्यता के लिए एक भौतिक ख़तरा उत्पन्न कर रहा है और इसे " अंतर्राष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा के लिए अभूतपूर्व ख़तरा बताया" | व्यापक रूप से ऐसा भाव है कि आई एस आई एस हमारे आस पास लम्बे समय तक रहने वाला है| उदाहरण के लिए, बराक ओबामा ने भविष्यवाणी की है कि इसके विरुद्ध संघर्ष " लम्बे समय तक चलने वाला अभियान होगा" | पर मुझे इस बात की अनुमति दें कि मैं इन दोनों ही आकलन से असहमति व्यक्त कर सकूं |
पहला कारण : आई एस आई एस किसी भी प्रकार नाजी जर्मनी के समकक्ष नहीं है | यह एक अत्यंत छोड़ा कीड़ा है जिसे शक्तियां अपनी इच्छा से कभी भी कुचल सकती हैं केवल इस ओर अपना मन लगाने की आवश्यकता है| यह अभी तक केवल बचा है क्योंकि कोई भी इसे इस गंभीरता से नहीं ले रहा है कि जमीनी सेना से इससे लड़ाई करे और इसके लिए सही सन्दर्भ का आशय जोर मारना चाहिए|
दूसरा कारण: एक ओर अपनी जनता से अलग थलग होने और दूसरी ओर मुफ्त की और विदेशी देशों के विरुद्ध अनियंत्रित हिंसा के द्वारा आई एस आई एस ने लगभग सभी को अपना शत्रु बना लिया है| हाल के दिनों में ही तीन ताकतवर देशों पर हमले देखे गए हैं : तुर्की ( अंकारा में बम विस्फोट) , रूस ( सिनाई के ऊपर हवाई जहाज को उड़ाना ) और फ्रांस ( पेरिस में हमला) | यह अस्तित्वमान रहने का रास्ता तो नहीं दिखता| मित्रों से विहीन होना और अवमानना करते जाना इसकी सभी सफलताओं के साथ ही इसके जीवन को कम करता जा रहा है|
अन्य विशेलषकों से इतर , मुझे दिख रहा है कि आई एस आई एस बिना किसी चेतावनी के उसी प्रकार लुप्त हो जाएगा जैसा कि इसका उभार हुआ था | इसके साथ ही इसे आतंरिक विद्रोह, आपसी मार काट . आर्थिक पतन और बाहरी हमलों का भी सामना करना पडेगा|
और जब वह सुखद दिन आयेगा तो उसके बाद हम एक बार फिर " अंतर्राष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा के अभूतपूर्व खतरे " के वास्तविक स्वरुप की ओर ध्यान दे पायेंगे जो कि क़यामत के निकट आ रहे सिद्धांत में यकीन करने वाले ईरानी नेताओं के हाथ में परमाणु हथियार है|