क्या पश्चिम के देशों में आतंकवादियों द्वारा की जा रही क्रूरता जैसे 11 सितंबर का हमला या फिर बाली , मैड्रीड , बेसलान और लंदन के हमलों से कट्टरपंथी इस्लाम सत्ता प्राप्ति के अपने लक्ष्य में सफल हो रहा है .
नहीं ऐसा नहीं है ..उल्टे ये हमले नुकसान पहुँचा रहे हैं ऐसा इसलिए है क्योंकि कट्टरपंथी इस्लाम के दो अलग- अलग स्वरुप हैं – एक तो हिंसक और गैर कानूनी है तथा दूसरा कानून सम्मत और राजनीतिक है ..दोनों स्वरुपों का एक दूसरे से तनावपूर्ण संबंध है . कानून सम्मत राजनीतिक स्वरुप प्रभावी सिद्ध हुआ है किन्तु हिंसक तरीके ने अपना रास्ता पकड़ रखा है .
इस हिंसक तरीके का प्रतिनिधित्व दुनिया का नंबर एक भगोड़ा ओसामा बिन लादेन कर रहा है . कानून सम्मत तरीके का प्रतिनिधित्व तुर्की के लोकप्रिय और शक्तिशाली प्रधानमंत्री रिशेव तईप एरडोगन करते हैं.
डैनियल सी ट्वीनिंग की दृष्टि में युसुफ अल करदावी जैसे राजनीतिक इमाम अल – जजीरा टेलीविजन पर दर्शकों को संबोधित करते हैं, लंदन के मेयर केन लिविंगस्टोन के साथ यात्रा करते हैं तो इराक के शिया धर्मगुरु मुक्तादा अल सदर अपनी भूमिका तलाश रहे हैं तथा अयातोला सिस्तानी देश के राजनीतिक जीवन पर हावी हैं तो वहीं दूसरी ओर अल – कायदा ने इतने दुश्मन पैदा कर लिए हैं जितना इससे पहले शायद ही कभी इतिहास में किसी के दुश्मन रहे होंगे .
यह सच है कि आतंकवाद शत्रुओं को मारता है, उनमें भय का संचार करता है और अर्थव्यवस्था को ठप्प कर देता है . इतना जरुर है कि इससे मुसलमानों का मनोबल बढ़ता है जिससे गैर – मुसलमान इस्लाम में आता है और मुसलमान इस्लामवादी बन जाता है इससे इस्लामवादियों के पास एक अवसर आता है कि वे अपने पसंदीदा लक्ष्यों जैसे इजरायल की समाप्ति और इराक से संयुक्त सेनाओं की वापसी के लिए काम कर सकें. मार्क स्टेइन के अनुसार इससे शत्रु के संबंध में खुफिया सूचनायें प्राप्त होती हैं और राजनीतिक दृष्टि से उपयुक्त संवाद कि इस्लाम शांति का धर्म है चल पड़ता है और इसके लिए मुसलमानों को प्रताड़ित पक्ष के रुप में चित्रित किया जाता है .
लेकिन दो कारण ऐसे भी हैं जब आतंकवाद कट्टरपंथी इस्लाम को फायदा पहुँचाने के बजाए नुकसान अधिक पहुँचाता है .पहला यह -पश्चिमी लोगों को सतर्क कर देता है और सुरक्षा के लिए एकत्र कर देता है . उदाहरण के लिए जब 7 जुलाई को लंदन में बम विस्फोट की घटना हुई तो स्कॉटलैंड में ग्रुप आठ की बैठक चल रही थी जिसमें विश्व के नेता वैश्विक उष्णता , अफ्रीका को सहायता और बड़े पैमाने पर आर्थिक विषयों पर चर्चा करने वाले थे . लंदन की बैठक कार्यवाही रिपोर्ट के अनुसार उसके बाद राजनेताओं ने अपना ध्यान पूरी तरह से आतंकवाद के विरुद्ध लड़ने पर केन्द्रित कर दिया. मोरा चौरेन इस बात की ओर ध्यान दिलाते हैं कि आतंकवाद के बाद पश्चिमी सभ्यता को अपने अनुसार मोड़ने की जो थोड़ी संभावना इनके पास रहती है वह भी आतंकवादी असंभव बना देते हैं. और विस्तृत रुप में इसे रेखांकित करते हुए श्री ट्विनिंग कहते हैं कि अल – कायदा के अभ्युदय ने 1815 में युरोप के अस्तित्व में आने के समय जिस प्रकार राज्यों को निकट ला दिया था उसी प्रकार फिर परस्पर निकट ला दिया है.यहां तक कि मैड्रीड के विस्फोटों के बाद स्पेन ने भी अन्य यूरोपियन देशों के साथ आतंकवाद विरोधी कारवाई में एक जुट हुए थे .
दूसरा आतंकवाद से राजनीतिक इस्लामवाद के शांत तरीके से चलने वाले कार्य भी प्रभावित होते हैं . शांति काल में मुस्लिम काउंसिल औफ ब्रिटेन और काउंसिल औन अमेरिकन इस्लामिक रेलेशन्स जैसे संगठन बड़े प्रभावी तरीके से अपने कार्य करते हैं और इस्लाम को आगे बढ़ाते हुए उसे मुख्य दर्जा दिलाने में और गैर मुसलमानों को इस्लामिक सर्वोच्चता स्वीकार कराने में तथा मुसलमानों के लिए विशेषाधिकार लेने में सफल रहते हैं. इन घटनाओं पर पश्चिम के लोगों की प्रतिक्रिया बड़ी धीमी होती है और वे इसपर अधिक ध्यान नहीं देते .
इसी प्रकार मुस्लिम काउंसिल औफ ब्रिटेन ब्रिटेन की रानी से नाईटहुड की उपाधि प्राप्त करता है, प्रधानमंत्री ब्लेयर से उत्साहजनक समर्थन प्राप्त करता है , विदेश और राष्ट्रमंडल विभाग में अच्छा खासा प्रभाव रख पाता है और व्यापार और उद्योग विभाग से जनता के कर का 250 हजार पाउंड सहायता के रुप में प्राप्त करता है .
अटलांटिक के उस पार सी ए आई आर काउंसिल ऑन अमेरिकन इस्लामिक रिलेशन्स महत्वपूर्ण उत्तरी अमेरिकी संस्थाओं में प्रभावी भूमिका रख पाता है . जैसे एफ बी आई , नासा और कनाडा का ग्लोब एंड मेल समाचार पत्र .इसने उच्च स्तरीय राजनेताओं से भी समर्थन प्राप्त किया है चाहे वे रिपब्लीकन पार्टी के फ्लोरिडा के गवर्नर जेब बुश हों या डेमोक्रेट पार्टी में संसद में पार्टी के अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी हों . यह संगठन कनाडा के प्रधानमंत्री पौल मार्टीन के साथ मुसलमानों की बैठक कराने में भी सफल रहा . इसे हौलीवुड के स्टूडियो में जा कर फिल्म के एक दृश्य को हटवाने की सुविधा मिली और टेलीविजन नेटवर्क के द्वारा जनता के लिए घोषणायें करने का अवसर भी मिला . इसने एक रेडियोस्टेशन पर दबाव डालकर टॉक शो के प्रस्तुतकर्ता को हटवाया.
आतंकवाद से इस विकास में बाधा आती है और वातावरण मुसलमान और इस्लाम के विरुद्ध बनता है . इससे मुस्लिम संगठन मीडिया, सरकार और कानूनी संस्थाओं के शक के दायरे में आ जाते हैं इसके बाद सी ए आई आर और एम सी बी को अपने अस्तित्व की रक्षा की लड़ाई लड़नी पड़ती है.
7 जुलाई की बम विस्फोट की घटना ने कुछ समय के लिए ही सही लंदनिस्तान के विकास को रोक दिया है और ब्रिटेन के बहुलतावादी समाज को आतंकवाद विरोधी कार्यवाही वाले समाज में बदल दिया है .
कुछ इस्लामवादी इस समस्या को मान्यता देते हैं .एक वेबसाईट पर मुसलमानों ने कहा “तुम्हे पता नहीं कि यूरोप में इस्लाम बढ़ रहा है .इतनी चीजों को आपस में मिला कर क्यों नाराज़गी मोल ले रहे हो .”
इसी प्रकार लंदन के एक मुसलमान घड़ीसाज ने माना कि यूरोप जब मुसलमानों के हाथ में आ रहा है तो लड़ने की क्या जरुरत .लंदन विश्वविद्यालय के Soumayya Ghannoushi कटुता भरे स्वर में इशारा करता है कि अल- कायदा की सबसे बड़ी उपलब्धि बेगुनाहों के खून बहाना और इस्लाम तथा मुसलमानों के विरुद्ध नफरत की भावना को हवा देना रही है .
वास्तव में चीजें जैसी हैं वैसी दिखती नहीं हैं. आतंकवाद से कट्टरवादी इस्लाम को नुकसान पहुँचता है और विरोधियों को फायदा . हिंसा और पीड़ितों के दर्द में यह देख पाना भले ही संभव न हो लेकिन बिना शिक्षा और हत्या के कानून सम्मत इस्लामवादी आंदोलन कहीं अधिक लाभदायक होगा .