ब्रिटेन के गृह-मंत्रालय और विदेश मंत्रालय ने संयुक्त रुप से मुस्लिम युवक और चरमपंथ नाम से एक गोपनीय रिपोर्ट तैयार कर 2004 के मध्य में प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर को सौंपी . इस रिपोर्ट के आधार पर हम ब्रिटिश सरकार के आंतरिक चिंतन के संबंध में कुछ निष्कर्ष निकाल सकते हैं. लंदन के संडे टाइम्स में यह रिपोर्ट लीक हुई और इसकी वेबसाईट पर चार खंडों में पीडीएफ स्वरुप में रखी गई . यह रिपोर्ट global security .org की वेबसाईट पर भी यह उपलब्ध है .
इस रिपोर्ट का लक्ष्य उदारवादी मुसलमानों को प्रोत्साहित कर कट्टरपंथ को हतोत्साहित करना है . इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए “operation contest ” नामक अभियान का प्रस्ताव भी है . इसके साथ ही इस रिपोर्ट में और भी रोचक पहलू हैं .
1. अनेक कट्टपंथी संगठन ब्रिटेन के युवा मुसलमानों को सक्रिय रुप से भर्ती कर रहे हैं . पी डी एफ 1 , पृ.10
2. इन कट्टरपंथियों की भर्ती विशेष रुप से विश्व विद्यालय आधारित धार्मिक और नस्लीय वर्गों में से हो रही है . पी डी एफ 1 , पृ.5, पी डी एफ 2 , पृ.-10
3. आम तौर पर कट्टरपंथी युवकों की दो श्रेणियां हैं. एक श्रेणी में पढ़े लिखे स्नातक स्तर से नीचे तथा इंजीनियरिंग और सूचना प्रौघोगिकी में डिग्री प्राप्त नवयुवक हैं तो दूसरी श्रेणी में ऐसे नवयुवक हैं जिनकी शैक्षिक योग्यता न के बराबर है साथ ही आपराधिक पृष्ठभूमि भी है . पी डी एफ – 2 पेज – 9
4. अपने समुदाय के साथ सामंजस्य बिठा पाने में असमर्थ व्यक्ति विश्वविद्यालयों में स्थित धार्मिक और नस्लीय संगठनों की ओर आकर्षित होंगे तथा विभिन्न मस्जिदों के प्रवचनों और जेल के अंदर के प्रवचनों से प्रभावित होंगे . पी डी एफ – 2 पेज – 12
5. इस्लामिक आतंकवादियों की बड़ी संख्या उदारवादी गैर – धार्मिक मुस्लिम पृष्ठभूमि से आती है जो अपनी युवावस्था में इस्लाम में धर्मान्तरित हुए हैं. पी डी एफ – 2 पेज – 9
6. इस रिपोर्ट के आधार पर जिस नीति की सिफारिश की गई है वह भी काफी रोचक है जैसे पी डी एफ – 1 पेज – 8 में अनुरोध किया गया है कि जनता और मीडिया को समझाने का प्रयास हो कि मुसलमान हमारे बीच में शत्रु नहीं हैं. इसमें आगे प्रस्ताव है कि सरकार को मुसलमानों की सफलता की कहानी समाज के सामने लाते हुए स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर उनके योगदान के उदाहरण लोगों के सामने प्रस्तुत करने चाहिए . इसके अलावा इस्लामी कट्टरपंथ जैसे शब्द से बचना चाहिए क्योंकि इसे कुछ उदारवादी मुसलमान अपनी आस्था के नकारात्मक चित्रण के रुप में देखते हैं. पी डी एफ – 2 पेज – 2
7. आम तौर पर मुस्लिम युवक और चरमपंथ रिपोर्ट के लेखक जिस रुझान से दो चार हो रहे हैं उसे राजनीतिक दृष्टि से अधिक समझना चाहते हैं . आखिर जो मुस्लिम व्यक्ति या संगठन धार्मिक अंधविश्वास की बात खुले आम करते हैं और अपरोक्ष रुप से वर्तमान व्यवस्था को बदलने का प्रयास करते हैं उन्हें उदारवादी मानना उचित है क्या . मेरा प्रिय उदारवादी मुसलामान हमजा युसुफ है ( पी डी एफ – 1 पेज – 13 ) क्योंकि उसने स्पष्ट शब्दों में इस उपाधि को स्वीकार करने से इंकार कर दिया .
इस रिपोर्ट के आधार पर ब्रिटिश प्रशासन के जो निष्कर्ष हैं वे ध्यान देने योग्य हैं. “मुस्लिम पहचान सुरक्षित रखने की व्याकुलता तथा इस्लाम की परंपरागत शिक्षाओं के प्रति मुसलमानों का लगाव ब्रिटेन के साथ कोई टकराव उत्पन्न नहीं करता .( पी डी एफ – 1 पेज – 9 ).” यह तो एक अलग सेमिनार का विषय हो सकता है .
मुस्लिम युवक और चरमपंथ रिपोर्ट का सर्वाधिक रोचक पक्ष मेरे लिए वह कारण है जिसके आधार पर ब्रिटिश खुफिया एजेन्सी , एम – 15 ने यह आश्चर्यजनक निष्कर्ष निकाला है .खुफिया जानकारियों के आधार पर संकेत मिलता है कि आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त ब्रिटेन के मुसलमान या ऐसी गतिविधियों का समर्थन करने वाले ब्रिटेन के मुसलमानों की संख्या अत्यंत कम है और अनुमानत: एक प्रतिशत से भी कम है .
पी डी एफ – 2 पेज – 9
यदि खुफिया एजेन्सी की इस रिपोर्ट को स्वीकार किया जाये तो ब्रिटेन में मुसलमानों की कुल जनसंख्या 16 लाख का एक प्रतिशत अर्थात् 16 हजार मुसलमान ब्रिटेन में आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त हैं.माफ करें यह संख्या उनके लिए कम हो सकती है लेकिन मेरे लिए बहुत बड़ी है . ब्रिटिश अधिकारी इस बात को लेकर बिल्कुल चिंतित नहीं दिखते कि उनके बीच में हजारों आतंकवादी रह रहे हैं और फिर भी वे किस दुनिया में जी रहे हैं .उनकी अदूरदर्शिता और अयोग्यता दूसरों को उनके देश के लिए चिंतित करती है .