हिन्दी अवुनाद – अमिताभ त्रिपाठी
एक वर्ष पूर्व रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स दोनों इस बात पर सहमत हो गए थे कि आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध लड़ने की आवश्यकता है ।
परंतु अब ऐसा नहीं है. राष्ट्रपति पद के डेमोक्रेट प्रत्याशियों सहित अन्य भारी भरकम डेमोक्रेट लोगों ने आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध के विरुद्ध बोलना आरंभ कर दिया है । इससे भी अधिक प्राथमिकता आतंकवाद के विरुद्ध पुलिस कारवाई को देते हैं।
हार्वड डीन – इस प्रश्न के उत्तर में कि क्या बिन लादेन को पकड़े जाने पर उसे मृत्यु दंड दिया जाना चाहिए उन्होंने कहा “ किसी को दोषी साबित किए जाने के पूर्व मैं उसे सजा देने के खिलाफ हूं. मैं अब भी इस पुराने विचार का हूं कि ओसामा जैसे लोग जिनका दोषी पाया जाना तय है उन्हें भी परीक्षण से पूर्व दोषी करार देने के कार्यपालकीय शक्ति से हमें दूर रहना चाहिए . “
( कुछ दिनों बाद आलोचनाओं के चलते डॉ डीन ने अपनी स्थिति बदल दी और कहा कि एक अमेरिकावासी के नाते मैं भी चाहता हूं कि उसे वैसा ही दंड मिलना चाहिए जिसका वह पात्र है और वह है मृत्युदंड)
रिचर्ड ग्रेफार्ड – “मुझे ऐसा कभी नहीं लगा कि युद्ध में जाना हमारे लिए अवश्यंभावी है “
जान केरी –“ राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश गलत ढंग से युद्ध में कूद पड़े . “
जार्ज सोरोस – आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध को युद्ध छेड़कर नहीं जीता जा सकता , अपराध के लिए पुलिस कारवाई की आवश्यकता होती है न कि सैन्य कारवाई की .
विलियम स्लोन काफिन – 11 सितंबर के पश्चात अमेरिकी सरकार को संकल्प लेना चाहिए था कि कानून के प्रवर्तन से न्याय प्राप्त किया जाएगा न कि शक्ति के कानून से .
डेमोक्रेट लोगों के विचारों को पूरी तरह सराहना करने के लिए कुछ पृष्ठभूमि जानने की आवश्यकता है , यद्यपि अमेरिका के विरुद्ध इस्लामवादी हिंसा का आरंभ 1979 में हो गया था परंतु 22 वर्षों तक अमेरिका की सरकार ने इस्लामवादी खतरे के आपराधिक तत्व का प्रतिरोध कम करने पर ध्यान दिया फिर चाहे कोई भी दल सत्ता में क्यों न रहा हो .
क्योंकि न्यायालय में ईरान के विरुद्ध साक्ष्य प्रमाणित नहीं हो सका . उदाहरण के लिए अप्रैल 1983 में बेरुत में अमेरिकी दूतावास के नष्ट होने पर जिसमें 63 लोग मारे गए इस घटना का प्रतिवाद नहीं हुआ.1998 में पूर्वी अफ्रीका के दो दूतावासों में 224 लोगों की ह्त्या के लिए उत्तरदायी बमविस्फोटों के बाद विस्फोटकर्ताओं का पीछा किया गया और न्यूयार्क के एक न्यायालय में उन्हें दंडित कर अलग कर दिया गया . कभी भी इन घटनाओं का नियंत्रण करने वाले केन्द्रीय कमान को ध्वस्त करने का प्रयास नहीं किया गया , न ही इस हिंसा के पीछे की राजनीतिक विचारधारा , सांस्कृतिक सामाजिक वातावरण और आर्थिक ढ़ांचे को ध्वस्त करने का कोई प्रयास किया गया .
उसके बाद 11 सितंबर आया जब पूरे देश को आभास हुआ कि देश सिर्फ किसी अपराध का ही नहीं वो तो सैन्य खतरे का भी सामना कर रहा है । उसी शाम श्रीमान बुश ने आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी . यहां ध्यान देने योग्य है कि वह युद्ध था न कि पुलिस कारवाई।
इस नई पहुंच के व्यापक परिणाम होने वाले थे । इसमें से एक तालिबान शासन समाप्त करने के लिए सेना की तैनाती था। दूसरा पैट्रियाट एक्ट के द्वारा कानून प्रवर्तन संस्था और खुफिया एजेन्सियों के मध्य की दीवार को गिराना था ।
यद्यपि बाद वाली बात कुछ तकनीकी सी लगती है परंतु इसमें अमेरिका की क्षमता में वृद्धि हुई है । वर्षों से कानूनी जांचकर्ता उन जानकारियों की खोज करते रहे जो खुफिया एजेन्सियों के उनके सहयोगियों के पास पहले से थी ।
सामी अल अरियन आतंकवाद मामले की जांच कर रहे एफ बी आई एजेन्ट बैरी कारमोडी ने इसपर कुछ यूं टिप्पणी की कि यह वैसे हैं “ मानों आपकी अपेक्षाकृत कमजोर टीम फुटबॉल मैदान में हो और आपके अच्छे खिलाड़ी बेंच पर बैठे हों “
उसके बाद पैट्रीयॉक्ट एक्ट पारित हुआ और सहकुछ बदल गया । कारमोडी के अनुसार अब अधिकारी पूरे 52 पत्तों से खेल सकते हैं न कि आधे पत्तों से ।
एक और एफ.बी.आई एजेन्ट जोय नाबारो ने अल आरियन मामले में नई सूचनाओं की बाढ़ पर कहा कि “ यहां बहुत कुछ है ,” उसने इन सूचनाओं पर पकड़ को एक प्रेरणादायक क्षण बताया ।
दो महीने पूर्व सुरक्षानीति के उपसचिव डगलस फीथ ने आधिकारिक रुप से 11 सितंबर 2001 से पूर्व और पश्चात् की तुलना की और उन्होंने कहा कि 1993 में वर्ल्र्ड ट्रेड सेंटर पर बम विस्फोट ,1996 में खोबर टावरों पर आक्रमण 1998 में पूर्वी अप्रीका के अमेरिकी दूतावासों पर आक्रणण और यमन में 2000 में यू. एस एस पोल पर आक्रमण के बारे में सोचिए ।
पिछले एक दशक में जब ऐसे आक्रमण हुए तो अमेरिकी अधिकारियों ने युद्ध शब्द से परहेज किया । इस आरंभिक प्रतिक्रिया होती थी कि एफ बी आई को दोषियों की व्यक्तिगत् आधार पर पहचान के लिए भेज दिया जाता था ताकि दोषी दंडित हो सकें । 11 सितंबर के आक्रमण को एक युद्ध की मान्यता देकर स्थापित परिपाटी से नाता तोड़ा गया । यह राष्ट्रपति बुश की अंतर्दृष्टि थी और इस बुद्धिमानी की प्रतिफल भी हुआ अब डेमोक्रेट इस अंतरदृष्टि को अस्वीकार कर रहे हैं और 11 सितंबर से पूर्व के रास्ते पर लौटने पर जोर डाल रहे हैं ।
ऐसा करने से हम कुछ समय के लिए फिर पीछे चले जाएंगे । इस नए प्रकार के युद्ध में आपराधिकता भी है परंतु तब भी यह युद्ध है । 11 सितंबर की पीड़ादायक शिक्षा को भुला देना निश्चय ही युद्ध को हारने का एक तरीका है ।