पश्चिमी सरकारों को इस्लामिक रिपब्लिक आफ ईरान के साथ किस ढंग से कार्यव्यवहार करना चाहिये जिसे कि वाशिंगटन ने " आतंकवाद का सबसे सक्रिय राज्य प्रायोजक बताया है'?
ईरान की आक्रामकता 1979 में तेहरान में अमेरिकी दूतावास पर कब्जे से आरम्भ हुई और इसके कुछ कर्मचारियों को कुल 444 दिनों तक बंधक बना कर रखा। इसके बाद हुए कुछ बडे आक्रमणों में 1983 में बेरूत में अमेरिकी दूतावास पर आक्रमण जिसमें 63 लोग मौत के घाट उतारे गये और अमेरिका की नौसेना बैरक पर आक्रमण जिसमें 241 लोग मारे गये।
अभी हाल में अमेरिका के रक्षा सचिव लिवोन पनेटा ने कहा, " हमें दिखाई दे रहा है कि इन हथियारों में से अधिकतर इराक के रास्ते ईरान को जा रहे हैं और यह निश्चित रूप से हमें क्षति पहुँचा रहा है" । संयुक्त चीफ आफ स्टाफ के अध्यक्ष माइक मुलेन ने इसमें और जोडा कि, " ईरान प्रत्यक्ष रूप से कट्टरपंथी शिया गुटों की सहायता कर रहा है जो कि हमारे सैनिकों को मार रहे हैं" ।
अमेरिका की प्रतिक्रिया मूल रूप से दो वर्ग में विभाजित है: कठोर और कूटनीतिक। पहले वर्ग का मानना है कि तेहरान अब सुधरने वाला नहीं है और टकराव तथा यहाँ तक कि बल प्रयोग की सलाह देता है; इसका अनुमान है कि कूटनीति, प्रतिबंध, कम्प्यूटर वाइरस और सैन्य आक्रमण की धमकी से मुल्लाओं को परमाणु शक्ति सम्पन्न होने से नहीं रोका जा सकता और इसका मानना है कि या तो शासन में परिवर्तन करवाया जाये या फिर ईरानी बम के विरुद्ध सैन्य विकल्प का प्रयोग किया जाये। दूसरी ओर कूटनीतिक वर्ग जो कि सामान्य तौर पर अमेरिका की नीतियों पर नियंत्रण रखती है इस्लामिक रिपब्लिक आफ ईरान के स्थायित्व को स्वीकार करता है और इस बात की अपेक्षा करता है कि तेहरान कूटनीतिक समझौते का समुचित उत्तर देगा।
इस पूरी बहस में सबसे बडा विवाद इस बात पर है कि ईरान के सबसे बडे विरोधी गुट मुजाहिदीने खल्क को अमेरिका सरकार की आतंकवादी सूची में रखा जाये या नहीं। कठोर वर्ग सामान्य रूप से 1965 में स्थापित एमईके को मुल्लाओं के विरुद्ध एक हथियार मानता है (हालाँकि कुछ थोडी संख्या विरोध में भी है) और इसे आतंकवादी सूची से ह्टाने का पक्षधर है। दूसरी ओर कूटनीतिक वर्ग का मानना है कि इसे सूची से हटाने से ईरानी नेता असंतुष्ट होंगे और कूटनीतिक प्रयासों को क्षति होगी साथ ही ईरानी लोगों तक पहुँच बनाने में कठिनाई होगी।
एमईके से सहानुभूति रखने वाले पक्ष का तर्क है कि एमईके का इतिहास वाशिंगटन के साथ सहयोग करने का, ईरानी परमाणु संयंत्र के सम्बंध में मह्त्वपूर्ण खुफिया सूचनायें प्रदान करने और इराक में ईरानी प्रयासों के सम्बंध में भी रणनीतिक खुफिया सूचनायें प्रदान करने का रहा है। इससे आगे जिस प्रकार इस संगठन और नेतृत्व की क्षमता की सहायता से 1979 में शाह के शासन को उलट दिया गया उसी प्रकार शासन में परिवर्तन के लिये इनकी क्षमताओं का उपयोग किया जा सकता है। सडक पर विरोध करने वालों को एमईके के साथ सहयोग के आरोप में गिरफ्तार किया जाना भी विरोध प्रदर्शन में इसकी भूमिका को सिद्ध करता है और साथ ही ये नारे भी कि सर्वोच्च नेता अली खोमैनी " अपराधी" हैं , राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद "तानाशाह" हैं और धार्मिक नेता के राज्य के प्रमुख होने के विरुद्ध नारे।
अमेरिका के अनेक उच्च अधिकरियों ने एमईके को आतंकवादी सूची से निकालने की बात की है इनमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ( जेम्स जोंस), संयुक्त चीफ आफ स्टाफ के तीन अध्यक्ष ( ह्यूज शेल्टन, रिचर्ड मेयर्स, पीटर पेस) , गृहभूमि सुरक्षा के सचिव ( टाम रिज) ,एक महान्यायवादी ( माइकल मुकासे) और आतंकवाद प्रतिरोध के राज्य समन्वयक ( डेल डेली) शामिल हैं। रिपब्लिक और डेमोक्रेट दोनों ही दलों के प्रभावी लोग इस पक्ष में हैं कि इस संगठन को आतंकवादी की सूची से निकाल दिया जाये और इस सूची में दलीय मर्यादा से परे कुल 80 कांग्रेस सदस्य शामिल हैं।
एमईके विरोधी वर्ग इस संगठन को सूची से निकाल दिये जाने के लाभ पर विचार किये बिना तर्क देता है कि अमेरिकी सरकार को आतंकवाद के आरोपों के आधार पर इसे सूची में बनाये रखना चाहिये। उनका इस संगठन को दोषी बनाने का आधार है कि 1970 में इस संगठन ने छ्ह अमेरिकी लोगों की हत्या की थी। वैसे ये आरोप सत्य हैं या नहीं लेकिन आतंकवादी सूची में शामिल करने के लिये आवश्यक है कि आतंकवादी घटना दो वर्ष से हो रही हो और इस आधार पर 1970 की बात करना अप्रासंगिक है।
पिछले दो वर्षों का क्या? एमईके का पक्ष लेने वालों का कहना है कि अमेरिका के आतंकवाद सम्बंधी तीन मुख्य डाटाबेस Rand Database of Worldwide Terrorism Incidents , the Global Terrorism Database और the Worldwide Incidents Tracking system के अनुसार एमईके वर्ष 2006 से पूरी तरह साफ सुथरा पाया गया है।
क्षमता और आशय की बात का क्या? राज्य विभाग की वर्ष 2006 की " Country Report on Terrorism" रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि यह संगठन आतंकवादी घटनाओं की " क्षमता और इच्छा" रखता है लेकिन वर्ष 2007, 2008 और वर्ष 2009 की रिपोर्ट में ऐसा कोई उल्लेख नहीं है। ब्रिटेन में कोर्ट आफ अपील ने इसे गम्भीरता से नहीं लिया और इसे वर्ष 2008 में ब्रिटेन की आतंकवादी सूची से हटा दिया गया। यूरोपियन संघ ने वर्ष 2009 में इसे आतंकवाद के आरोप से मुक्तकर दिया। फ्रांस की न्यायपालिका ने भी इसके विरुद्ध आतंकवाद के आरोपों को मई 2011 में निरस्त कर दिया।
संक्षेप में, एमईके को आतंकवादी उपाधि देना आधारहीन है। अनेक न्यायालयों द्वारा एमईके की आतंकवादी उपाधि की पुनर्समीक्षा के बाद राज्य सचिव को अत्यंत शीघ्र ही यह सुनिश्चित करना चाहिये कि क्या इस सूची को आगे भी जारी रखना है? ओबामा प्रशासन एक सामान्य ह्स्ताक्षर से ईरानी लोगों को सशक्त कर सकता है कि वह अपने भाग्य पर बने नियंत्रण से बाहर आ सकें और शायद मुल्लाओं के परमाणु पागलपन से भी।