अमेरिका की नौसेना कोर की आधिकारिक कविता में प्रसिद्ध रूप से कहा जाता है कि " हम मैक्सिको के मोन्टेजुमा के संकीर्ण मार्ग से त्रिपोली की समुद्री सीमा तक लडते हैं और हम अपने देश के लिये थल से लेकर समुद्र तक हर जगह लडते हैं" । इसमें त्रिपोली का जो संदर्भ लिया गया है वह 1805 के दर्ना संघर्ष से है जो कि अमेरिकी सेना की देश से बाहर स्थल पर पहली निर्णायक विजय थी।
लीबिया में अभी आरम्भ हुए संघर्ष से एक प्रश्न उठता है , क्या नौसेना को नये सिरे से त्रिपोली की समुद्री सीमा पर भेजा जाना चाहिये वह भी समुद्र के भीतर रक्षा के लिये नहीं वरन लीबिया के उन विद्रोहियों की सहायता के लिये जो अपनी ही सरकार के विरुद्ध उठ खडे हुए हैं और मुवम्मर अल कद्दाफी वफादारों की वायु सेना से घिर गये हैं?
मेरे अंतःकरण में पहला विचार आता है कि पहले तो नो फ्लाई क्षेत्र के लिये राजी होना चाहिये और उसके बाद बहादुर लडाकों की क्षमता को बढाने में सहायता की जानी चाहिये। अनेक कारण अंतःकरण के इस भाव का समर्थन करते हैं, अमेरिका और नाटो वायुयान अड्डे से लीबिया की निकटता ,देश की धरातलीय भौगोलिक स्थिति , कद्दाफी की कार्रवाई की चतुर्दिक निंदा , लीबिया के तेल को निर्यात बाजार के लिये तत्काल खोलने की आवश्यकता और इस बात की सम्भावना कि ऐसे हस्तक्षेप से 42 वर्ष के शासन के असभ्य और अरुचिकर चरित्र का समापन भी हो सकेगा।
लेकिन अकेले अंतःकरण के आधार पर सही नीति नहीं बनाई जा सकती । युद्ध के कार्य में प्रसंग, दिशानिर्देशन और निरन्तरता की भी आवश्यकता होती है।
कितना भी सहज आपरेशन दिखता हो लेकिन कद्दाफी के पास अप्रत्याशित शक्ति का भन्डार हो सकता है जो कि लम्बे समय तक गम्भीर रूप से उलझा सकता है। यदि वह बच जाता है तो अधिक घातक हो सकता है। कितना भी अरुचिकर वह क्यों न हो लेकिन उसके ( इस्लामवादी) विरोधी अमेरिका के हितों के लिये कहीं अधिक खतरनाक सिद्ध हो सकते हैं। अधिक विस्तार से कहें तो आन्तरिक मामलों में हाथ डालने से मित्र से अधिक शत्रु ही बनते हैं और इसके साथ ही यह अमेरिका विरोधी षड्यंत्रकारी सिद्धांतों को भी हवा देगा।
इससे आगे लीबिया में वायु शक्ति अभी निर्णायक सिद्ध नहीं हुई है ( इसका प्रभाव मनोवैज्ञानिक ही अधिक रहा है) और यह इस बात का निर्णय नहीं कर सकेगा कि कद्दाफी सत्ता में रहेंगे या नहीं। लीबिया में नो फ्लाई क्षेत्र घोषित करना उन क्षेत्रों के लिये एक उदाहरण प्रस्तुत करता है जहाँ कि परिस्थितियाँ अधिक अनुकूल नहीं हैं( उत्तरी कोरिया) । और यदि वह ही सत्ता से बाहर हो जायेगा तो फिर कौन कद्दाफी के उदाहरण का पालन करते हुए परमाणु हथियार का निर्माण करने की इच्छा त्याग देगा।?
लीबिया की बहस के मध्य इराक में जार्ज डब्ल्यू बुश का " स्वतंत्रता का एजेंडा" ध्यान में आता है। बुश के पक्षधर इसे ऋण चुकाने का समय मानते हैं जबकि इसको लेकर सशंकित लोग इसके अनिच्छित परिणामों को लेकर चिंतित हैं। क्या बराक ओबामा द्वारा लीबिया में शक्तिप्रयोग का अर्थ यह लिया जाये कि वह बुश की मध्य पूर्व की नीतियों को लेकर जो उनकी कटु आलोचना करते थे वह गलत थी? इसके साथ ही बरक ओबामा को यह भी समझना होगा कि मुस्लिमों के साथ परस्पर सम्मान की बात पर उनके जोर देने के बाद इराक और अफगानिस्तान सहित एक अन्य मुस्लिम बहुल देश में अमेरिकी सेना का युद्धरत होना कहाँ तक उचित माना जायेगा?
अधिक आधारभूत संदर्भ यह है कि दूसरे लोगों के मानवीय उद्देश्य के लिये अमेरिकी सेना को खतरे में नहीं डाला जा सकता क्योंकि अमेरिकी सरकार का उद्देश्य समाज सेवा नहीं हो सकता वरन सेना को सदैव राष्ट्रीय हितों के सुनिश्चित कार्य के लिये अग्रसर रखना चाहिये।
जैसा कि रक्षा मंत्री राबर्ट गेट्स ने इसे व्यक्त किया है कि अमेरिकी सेना ऐसे कार्यों से बचना चाहती है क्योंकि इसकी कीमत और खतरा दोनों अधिक हैं ( एक बडे देश में एक बडा आपरेशन) और यह अभिव्यक्ति एक चेतावनी होनी चाहिये विशेष रूप से अमेरिकी खुफिया में रह जाने वाली कमी के चलते । लीबिया के लोग नेतृत्व के लिये इस्लामवादियों की ओर रुख कर रहे हैं तो ऐसे में लीबिया एक और सोमालिया बन सकता है।
अमेरिका के हथियार राष्ट्रपति को यह अनुमति देते हैं कि वह अन्य राज्यों की उपेक्षा कर अकेले निर्णय ले सके लेकिन क्या यह बुद्धिमत्तापूर्ण है? इराक का उदाहरण हमारे समक्ष है ( 1991, 2003) कि अन्तरराष्ट्रीय संगठनों संयुक्त राष्ट्र संघ, नार्थ एटलांटिक ट्रीटी आर्गनाइजेशन , अरब लीग , अफ्रीकन यूनियन या यहाँ तक कि आर्गनाइजेशन आफ द इस्लामिक कांफ्रेंस की संस्तुति लेना भले ही असहज हो लेकिन राजनीतिक रूप से उपयुक्त होता है।
जैसा कि वाशिंगटन इंस्टीट्यूट फार नियर ईस्ट पोलिसी के जेफ्री व्हाइट ने कहा है कि नो फ्लाई जोन की बात विपक्ष कर रहा है लेकिन यह अनेक विकल्पों में से एक विकल्प मात्र है जो कि वाशिंगटन के पास उपलब्ध है। अन्य विकल्पों में कम से अधिक तक हैं, विरोधी शक्तियों को खुफिया सूचनायें उपलब्ध कराना, रणनीतिक सहयोग, सम्प्रेषण के सामान और उन्हें प्रशिक्षण देना व हथियार प्रदान करना, साथ ही मुक्त क्षेत्रों की रक्षा करने में सहायता करना, लीबिया की वायु शक्ति को शक्तिहीन करना या फिर सक्रिय रूप से शासन की सेना से संघर्ष करना।
इन सुझावों को देखते हुए ओबामा प्रशासन को कौन सी सलाह दी जाये? लीबिया की विरोधी शक्तियों को आर्थिक सहायता दी जाये और जहाँ तक हो सके बढाया जाये। मानवीय, राजनीतिक और आर्थिक कारणों को एकजुट कर लीबिया की हिचक दूर करनी होगी। अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ कार्य करते हुए अमेरिका को अपनी नेतृत्त्व की भूमिका निभानी चाहिये और लीबिया के विपक्ष का सहयोग करना चाहिये। यह कितना भी जोखिम भरा क्यों न हो लेकिन कुछ नहीं करना अधिक जोखिम भरा है।