जैसे जैसे अमेरिका और इजरायल के मध्य अस्वाभाविक तनाव की स्थिति बढ रही है तो ऐसे में तीस वर्ष पूर्व के चरण का स्मरण स्वाभाविक रूप से हो आता है जब मेनाकेम बेगिन और रोनाल्ड रीगन पद पर थे। बिनयामिन नेतन्याहू द्वारा बार बार क्षमपार्थी होने के विपरीत बेगिन ने पूरी तरह भिन्न रवैया अपना रखा था।
इस घटनाक्रम का आरम्भ सीरिया के तानाशाह हफीज अल असद के एक वक्तव्य से हुआ था कि वे सौ वर्षों तक भी इजरायल के साथ शांति स्थापित नहीं करेंगे, बेगिन ने इसके उत्तर में गोलन पहाडियों को इजरायल का भाग बना दिया और 1967 में सीरिया से इस क्षेत्र को लेने के बाद से स्थापित सैन्य प्रशासन को ह्टा दिया । इजरायल की संसद ने भी इससे सम्बंधित विधेयक भी सरलता से 14 दिसम्बर 1981 को पारित कर दिया।
यह कदम अमेरिकी इजरायल रणनीतिक सहयोग समझौता पर हस्ताक्षर करने के तत्काल दो सप्ताह बाद उठाया गया था जिसके चलते वाशिंग़टन में काफी झुँझलाहट थी । विदेश मंत्री एलेक्जेण्डर हेग की पहल पर अमेरिकी सरकार ने तत्काल ही हस्ताक्षरित हुये समझौते को स्थगित कर दिया। एक दिन पश्चात 20 दिसम्बर को बेगिन तेल अवीव में अमेरिकी राजदूत सैमुअल लेविस को बुला भेजा और फटकार लगाई।
बेगिन के पूर्व सहयोगी येहुदा अवनर इस पूरे घटनाक्रम का वातावरणिक आँखो देखा हाल वर्णित करते हैं कि जब वशिंगटन फंदा कस रहा था और बेगिन लाल पीले हो रहे थे, वे इसे फिर से याद करते है " प्रधानमन्त्री ने लेविस को बैठने के लिये बुलाया , कस कर मेज पर बैठे , अपनी ओर रखे कागजों की ओर लपके अपनी गोद में रखा पत्थर की भाँति अपना चेहरा किया और इस्पात की भाँति अपनी आवाज की" । बेगिन ने " सीरिया द्वारा दशकों से की गयी कार्रवाई को मेघ की भाँति गिनाना आरम्भ किया"। उन्होंने अंत में कहा कि यह राष्ट्रपति रीगन के लिये अत्यंत व्यक्तिगत और तात्कालिक संदेश है( यह इजरायल की विदेश विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध है)
बेगिन ने आरम्भ करते हुए कहा, " पिछले छह माह में अमेरिकी सरकार ने तीन बार इजरायल को दंडित किया है। उन्होंने वे तीन अवसर गिनाये, इराकी परमाणु संयन्त्र को ध्वस्त करने पर, बेरूत में पी एल ओ के मुख्यालय में बमबारी करने पर और अब गोलन पहाडियों के विधेयक पर। इस पूरी वार्ता में लेविस ने हस्तक्षेप का प्रयास किया लेकिन विफल रहे ऐसा अवनर का कहना है, " श्रीमान प्रधानमन्त्री जी दंडित नहीं केवल स्थगित", "क्षमा करें श्रीमान प्रधानमन्त्री जी ऐसा नहीं है" " श्रीमान प्रधानमन्त्री मैं आपकी भूल ठीक करूँ कि ऐसा है" और "यह दण्ड नहीं है श्रीमान प्रधानमन्त्री जी यह केवल स्थगन है जब तक कि"
आपने आक्रोश में बेगिन ज़ायोनिज्म की एक शताब्दी की ओर मुडे।
आखिर यह कौन सी अभिव्यक्ति है, " इजरायल को दण्डित करना" ? क्या हम आपके अधीन राज्य हैं? क्या हम कमजोर गणतंत्र हैं? क्या हम चौदह वर्ष के युवक हैं कि यदि वे ठीक से व्यवहार न करें तो उन्हें चपत लगा दो? मैं आपको बताना चाहता हूँ कि किन लोगों से यह सरकार बनी है। यह उन लोगों से बनी है जिनके जीवन प्रतिरोध में व्यतीत हुए जो लडते रहे और कष्ट सहते रहे। आप हमें "दंड" से डरा नहीं सकते। जो हमें डराने का प्रयास करेगा उसे दिखाई देगा कि उसकी धमकी हमारे कानों तक नहीं आती। हम केवल तर्क को सुनने के आदी हैं । आपको इजरायल को " दण्ड" देने का कोई अधिकार नहीं है और मैं ऐसे वाक्याँश का पुरजोर विरोध करता हूँ ।
अमेरिका पर सबसे तीखे प्रहार में बेगिन ने बेरूत पर इजरायल के आक्रमण के बाद हुई नागरिक क्षति के नैतिक प्रश्न पर उसे चुनौती दी।
आपको हमें नागरिक क्षति पर उपदेश देने का कोई अधिकार नहीं है। हमने द्वितीय विश्व युद्ध के बारे में पढा है और हमें पता है कि जब आपने अपने शत्रुओं के विरुद्ध कार्रवाई की थी तो क्या हुआ था। हमने वियतनाम युद्ध के इतिहास को भी पढा है और आपके मुहावरे " शरीरों की गिनती" भी।
हाल में अमेरिका के साथ किये गये समझौते को स्थगित करने का संदर्भ लेते हुए बेगिन ने घोषणा की कि, " इजरायल के लोग 3,700 वर्षों से अमेरिका के साथ सहयोग के किसी समझौते के बिना जीते आ रहे हैं और हम अगले 3, 700 वर्षों तक जीते रहेंगे" । एक और सामान्य अवसर पर उन्होंने हेग को रीगन की ओर से कहा कि अमेरिका की सरकार इजरायल के 200 मिलियन डालर के अस्त्र खरीदेगा " आपका कहना है कि ऐसा नहीं होगा। यह तो राष्ट्रपति के शब्दों की अवमानना है ? क्या यह सामान्य है? क्या यह उचित है?"
अमेरिकी सीनेट में हाल में कुछ विमानों को सउदी अरब को बेचने के मामले में हुए आपसी विवाद की ओर संकेत करते हुए उन्होंने कहा, " यह भी सेमेटिक विरोध के विद्रूप अभियान से प्रेरित था" । मुहावरों के द्वारा उन्होंने तीन विशेष बातों की ओर ध्यान दिलाया वह नारा, " बेगिन या रीगन"? " हमें यहूदियों को अमेरिका की विदेश नीति को निर्धारित करने की छूट नहीं देनी चाहिये" और यह भी कि हेनरी जैक्सन, एडवर्ड केनेडी, राबर्ट पैकवुड और रूडी बोशविज स्वामिभक्त नागरिक नहीं हैं।
गोलन पहाडियों के सम्बंधित विधेयक को समाप्त किये जाने को लेकर बेगिन ने चर्च द्वारा अपने पूर्वजों के उत्पीडन को स्रोत मानते हुए लेविस को याद कराया कि हमारे पूर्वजों ने समाप्त होना उचित माना लेकिन अपनी आस्था को नहीं छोडा। इसके लिये ईश्वर को धन्यवाद कि हमारे अंदर अपनी स्वतंत्रता की रक्षा करने और अपने अधिकारों की रक्षा करने की काफी शक्ति है। कृपया आग्रह पूर्वक विदेश मंत्री को बता दें कि गोलन पहाडियों से सम्बंधित कानून मान्य है। अब कोई भी ऐसी शक्ति इस पृथ्वी पर नहीं है जो इसे वापस कर सके।
इस पूरे सत्र की समाप्ति हुई और लेविस ने कोई उत्तर नहीं दिया। अवनर याद करते हुए कहते हैं, इस प्रकार के निर्बाध प्रहार जिसे कि राजदूत को बडबोलापन लगा और कुछ अर्थों में असंतुलित तो उन्हें इस बातचीत को जारी रखने का कोई आधार नहीं दिखा और इसलिये उन्होंने वहाँ से विदा ली"
टिप्पणियाँ : (1) रीगन प्रशासन में 1981 के अंत में अमेरिका और इजरायल के सम्बंध अत्यंत निचले स्तर तक पहुँच गये थे। विशेष रूप से रणनीतिक सहयोग का आरम्भ तो इसके बाद के वर्षों में हुआ है।
(2) मंत्रालय की वेबसाइट बेगिन के विस्फोट को " असाधारण "बताती है जिसके आगे मैं कहता हूँ यह न केवल असाधारण था वह वरन फिर इसे दुहराया भी नहीं गया।
(3) बेगिन ने भाग्य को भाँप कर अपनी वक्तृत्व शैली की महानता के चलते तात्कालिक नीतिगत भिन्नताओं में ही यहूदियों के 3,700 वर्ष पुराने इतिहास , चर्च उत्पीडन, वियतनाम युद्ध और अमेरिका में सेमेटिक विरोध को साथ ला दिया। इस प्रक्रिया में उन्होंने तर्क के स्वरूप को ही बदल दिया।
(4) बेगिन के साथ अमेरिका के सम्बंधों में भडकाऊपन आने के बाद भी उनके तीखे प्रहार से इजरायल की स्थिति और सम्मान बढा ही।
(5) अन्य देशों के राजनेता भी अमेरिका पर लगातार प्रहार करते हैं जैसा कि पिछले सप्ताह अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई ने किया। लेकिन उनका उद्देश्य अपने देश के लोगों को यह बताना था कि वे अमेरिका के पोषित नेता नहीं हैं और यह मामला बेगिन द्वारा इजरायल के सम्मान से मूलभूत रूप से भिन्न है।
(6) इस बात की कल्पना करना कठिन है कि कोई भी इजरायल का राजनेता जिसमें कि बिनयामिन नेतन्याहू भी शामिल हैं जो कि बेगिन के वक्तव्य के प्रहार को दुहरा सके।
(7) फिर भी यह वह था जो इजरायल चाहता था।